Jul २४, २०१८ १५:२९ Asia/Kolkata

ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद जिन चीज़ों पर गम्भीरता से बहस की गयी और ध्यान दिया गया उनमें एक महिला, उसका स्थान और समाज में उसके अधिकार हैं।

ईरान की इस्लामी क्रांति ऐसे समय में सफल हुई जब विभिन्न धर्मों व धारणाओं में महिलाओं को विशेष दृष्टि से देखा जाता था परंतु ईरान की इस्लामी क्रांति ने महिलाओं को सबसे भिन्न दृष्टिकोण से देखा और इस दृष्टि को उसने व्यवहारिक भी बनाया जिसे ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने तीसरे आदर्श की संज्ञा दी है यानी यह आदर्श न पूर्वी है न पश्चिमी। ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद ईरान की स्वाभिमानी महिलाओं ने क्रांति के दौरान और इराक द्वारा ईरान पर थोपे गये युद्ध के दौरान दर्शा दिया कि तीसरा आदर्श भी है और यह तीसरा आदर्श ईरान की मुसलमान महिलाओं का है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृष्टि में ईरान की मुसलमान महिलाओं ने विश्व की महिलाओं के समक्ष नया इतिहास पेश किया और सिद्ध कर दिया कि पर्दे के साथ पवित्र व शरीफ महिला बन कर रहा जा सकता है और साथ ही महत्वपूर्ण मामलों की ज़िम्मेदार भी बना जा सकता है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृष्टि में ईरानी महिला परिवार को पवित्र व स्वच्छ रखने के अलावा राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में भी रचनात्मक भूमिका निभाती है और बड़ी बड़ी सफलताएं अर्जित करती हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि पूरब की दृष्टि में महिला अधिकतर ऐसा तत्व है जो हाशिये पर रहता है और इतिहास की रचना में उसकी कोई भूमिका नहीं है और पश्चिम की परिभाषा में उसका महिलापन उसकी मानवता पर प्राथमिकता रखता है और मर्दों की कामेच्छा पूरी का साधन और नये पूंजीवाद की सेवा में है परंतु इस्लाम में महिला न तो हाशिये पर रहने वाला तत्व है और न ही दूसरों के दुरुपयोग व शोषण का साधन है।

पश्चिमी धारणा में महिला लाभ उठाने का साधन है जबकि महिला के संबंध में ईरान की इस्लामी क्रांति के दृष्टिकोण का आधार उसकी पहचान, पवित्रता और उन कार्यों को अंजाम देना है जिसे उसके अलावा कोई और अंजाम नहीं दे सकता और वह महिला को परिपूर्णता की ओर ले जाता है। वरिष्ठ नेता का मानना है कि इस्लामी क्रांति ने महिला की नई परिभाषा पेश की है और वह परिभाषा वैश्विक है और वर्तमान समय में महिलाओं की समस्याओं का समाधान पेश करने वाली है।

 

वरिष्ठ नेता की दृष्टि में मुसलमान महिला के आदर्श का आधार ईश्वरीय पहचान है और उसके सकारात्मक बिन्दु ईमान और पवित्रता के साथ हैं और इस प्रकार की विशेषता के साथ वह अद्वितीय भूमिका निभा सकती है और इस प्रकार उसका मूल्य व पहचान अर्थपूर्ण होगा। इस मध्य महिला के सम्मान और उसके व्यक्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण कारक उसकी पवित्रता है। वरिष्ठ नेता का मानना है कि पवित्रता और पाकदामनी महित्वपूर्ण चीज़ें हैं जिन्हें पश्चिम ने धीरे- धीरे महिलाओं से ले लिया और वास्तव में महिला को उसके वास्तविक  स्वरूप से बाहर निकाल लिया और इस प्रकार उसने महिला को अपमानित किया और उसकी मानवीय पहचान पर अत्याचार किया।

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई कहते हैं” महिला अपनी उन सकारात्मक क्षमताओं व योग्यताओं के साथ जिसे ईश्वर ने उसके अस्तित्व में रखा है और वे उससे विशेष हैं, ईश्वर पर भरोसे के साथ समाज में अद्वितीय भूमिका निभा सकती है।  

महिला के बारे में इस्लामी क्रांति का जो दृष्टिकोण है वह पश्चिमी दृष्टिकोण के ठीक विपरीत है। पश्चिमी संस्कृति ने महिला के बारे में एक अंसतुलन उत्पन्न करके व्यवहारिक रूप उसे लाभ व शोषण के साधन में बदल दिया है। इस असंतुलन में एक ओर लाभ उठाने वाला है तो दूसरी ओर वह है जिससे लाभ उठाया जाता है। खेद की बात है कि जिससे लाभ उठाया जाता है वह महिला है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृष्टि में पश्चिम ने महिला के बारे में इसी तीसरे दृष्टिकोण को धीरे धीरे, विभिन्न शैलियों और प्रचार के माध्यम दसियों साल में सबसे पहले पश्चिमी समाजों में प्रचलित किया और उसके बाद दूसरे समाजों में प्रचलित किया। इस प्रकार महिला के सामाजिक स्थान को गलत बताया। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि जिस तरह आज जलवायु संकट, ऊर्जा संकट और जमीन के गर्म होने को मानव समाज की मुख्य समस्या के रूप में पेश किया जाता है जबकि इनमें से कोई भी चीज़ मानव समाज की मुख्य समस्या नहीं है। इसी प्रकार वरिष्ठ नेता का मानना है कि जो चीज़ें मानव समाज की मुख्य समस्यायें हैं उनका संबंध अध्यात्म, इंसान के व्यवहार और इंसानों के एक दूसरे के सामाजिक व्यवहार से है उनमें से एक महिला और पुरुष का विषय है और एक समाज में महिला का स्थान है जो वास्तव में एक संकट है।

ऐसी स्थिति में कि जब महिलाओं के लिए पश्चिम के पास कोई अच्छा आदर्श नहीं है और वे संकट में हैं इस्लाम धर्म महिलाओं के लिए बड़ा आदर्श पेश करता है। इस्लाम एसी महिलाओं को आदर्श के रूप में पेश करता है जो महिला होने के साथ उनका अस्तित्व अध्यात्म से भरा है। इसी प्रकार इस्लाम धर्म उन महिलाओं को आदर्श के रूप में पेश करता है जिन्होंने पवित्रता और पाक दामनी के साथ सामाजिक एवं राजनीतिक मंच पर प्रभाव डाला है और इतिहास भी इस प्रकार की महिलाओं की विशेषताओं को बयान नहीं कर सका है।

इस्लाम जिन महिलाओं को आदर्श के रूप में पेश करता है उनमें से एक हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा हैं। हज़रत ज़ैनब कौन हैं, वह हज़रत अली अलैहिस्सलाम और हज़रत फातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की बेटी और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की बहन हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता हज़रत ज़ैनब की विशेषता के बारे में कहते हैं” हज़रत ज़ैनब बहुआयामी व्यक्तित्व की स्वामी हैं, वह महान ज्ञानी महिला हैं और जो भी इंसान उनसे परिचित होता है वह उनके सामने नतमस्तक हो जाता है। वरिष्ठ नेता हज़रत ज़ैनब को मुसलमान महिलाओं और पुरुषों के लिए ज़िन्दा आदर्श बताते हैं।  वरिष्ठ नेता हज़रत ज़ैनब की विशेषता बयान करते हुए कहते हैं” आशूरा जैसी घटना हज़रत ज़ैनब को नहीं तोड़ सकी। यज़ीद और उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद जैसे अत्याचारी शासकों का विदित वैभव भी हज़रत ज़ैनब को नीचा न दिखा सका। हज़रत ज़ैनब यज़ीद और उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद जैसे क्रूर शासकों के महलों में भी अपनी आध्यात्मिक महानता की सुरक्षा करती हैं और उनके सामने दूसरे अपमानित होते हैं। क़ैदी बनाई गयी इस महान महिला के सामने अहंकारी यज़ीद और उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद को नीचा दिखाया जाता है। हज़रत ज़ैनब एक मोमिन इंसान के समस्त सदगुणों से सुसज्जित हैं। उनके दिल और ज़बान से निकलने वाले शब्द सुनने वालों और उपस्थित लोगों को हतप्रभ कर देते हैं। उनकी महानता झूठे व विदित बड़ों को नीचा व तुच्छ दिखाती है। महिला की महानता यानी यह। यानी यह उत्साह और मानवीय भावना। हज़रत ज़ैनब महान व अध्यात्मिक व्यक्तित्व के साथ समस्त बड़ी घटनाओं का डटकर सामना करती हैं। साथ ही वह लोगों को शिक्षा देती हैं और लोगों को जागरुता प्रदान करती हैं। साथ ही अपने समय के इमाम यानी इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम को एक कृपालु माता की भांति धैर्य बधाती हैं। साथ ही भाई के बच्चों और कर्बला की घटना में अपने पिता को खो चुके बच्चों को मज़बूत बांध की तरह ढारस दिलाती हैं। इस आधार पर हज़रत ज़ैनब बहुआयामी व्यक्तित्व की स्वामी महिला थीं। इस्लाम महिला का पथप्रदर्शन इस ओर करता है।“    

                 

        

जब मुसलमान महिला का दिल ईमान से ओत- प्रोत हो और उसने अपने दिल को महान ईश्वर की कृपा के प्रति आशान्वित बना रखा हो तो उसका दिल इतना बड़ा हो जाता है कि बड़ी से बड़ी घटना का मुकाबला करना भी उसके लिए आसान हो जाता है।

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह के महान व्यक्तित्व के बारे में जो बातें बयान कीं उसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि महिलाएं बुद्धि से काम लेकर, अपनी पवित्रता की सुरक्षा करके और अपनी योग्यताओं व क्षमताओं से लाभ उठाकर समस्त इंसानों के साथ अच्छा व्यवहार कर सकती हैं। वे घर में अपने पति और बच्चों के लिए प्रेम का दीप जला सकती हैं, परिवार को प्रेम व भावना के दस्तरखान पर इकट्ठा कर सकती है और अपनी पवित्रता की सुरक्षा के साथ राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हां यह एक मुसलमान महिला की विशेषता है जिसका परिचय इस्लाम कराता है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि जिन लोगों को धर्म और अध्यात्म का पता नहीं है उनसे यह अपेक्षा नहीं रखी जा सकती कि वे हज़रत ज़ैनब और इस्लाम के इतिहास की अद्वितीय महिला की महानता को समझें। जो लोग महिलाओं को दूसरों के हाथों का खिलौना समझते हैं वे महिला की उस पहचान को नहीं समझ सकते जो पहचान इस्लाम बताता है।

 

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