Aug ०४, २०१८ ११:५१ Asia/Kolkata

ज़्यादातर लोग अपने जीवन में कुछ सवालों का जवाब चाहते हैं।

इसमें साधारण लोगों से लेकर विचारक भी शामिल हैं। लोगों को अपने जीवन के विभिन्न चरणों में कुछ ऐसे सवालों का सामना होता है कि अगर उन्होंने उसकी अनेक बार अनदेखी की हो लेकिन अंत में उसके बारे में सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। जैसे सृष्टि और सृष्टि के रचियता के बारे में यह सवाल ज़्यादातर लोगों के मन में उठता है कि क्या इस सृष्टि में किसी रचियता की मौजूदगी के चिन्ह हैं। ये इंसान के मूल सवालों में शामिल है। दार्शनिक मत, इब्राहीमी और ग़ैर इब्राहीमी धर्मों ने भी इस तरह के सवालों के जवाब दिए हैं।

इस्लाम ने सभी को सृष्टि के बारे में चिंतन मनन करने के लिए प्रेरित किया है और सृष्टि के बारे में दृष्टिकोण पेश किया है।

सृष्टि की सच्चाई के बारे में जो बातें हम आपको बताएंगे वे वरिष्ठ मुसलमान धर्मगुरुओं के विचारों व बयानों पर आधारित होंगी। इन बातों के ज़रिए आपको सृष्टि के बारे में दोबारा सोचने के लिए प्रेरित करेंगे और इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे कि हमारे आस-पास मौजूद चीज़ें एक रचयिता के वजूद का किस हद तक पता देती हैं।

सृष्टि आश्चर्य व निशानियों से भरी हुयी है। इन निशानियों से जितना अधिक परिचित होते जाते हैं, सृष्टि के रचयिता को बेहतर ढंग से पहचानने लगते हैं। रोचक बात यह है कि प्राकृतिक विज्ञान में हुयी तरक़्क़ी से एक ओर इंसान अपने शरीर की बनावट और प्राकृतिक आश्चर्य को जान कर हैरत में है तो दूसरी ओर वनस्पतियों के जीवन के रहस्य से पर्दा उठा रहा है। एक सेल या एक ऐटम की संरचना और तारों की हैरत में डालने वाली व्यवस्था ने सृष्टि और उसके रचयिता को पहचानने के लिए हमारे सामने अनेक द्वार खोले हैं। यह बात कहने में तनिक भी संकोच नहीं है कि प्राकृतिक विज्ञान की सभी किताबें ईश्वर को पहचनवाने वाली किताबें हैं जिसका हर खंड ईश्वर के ज्ञान, उसकी शक्ति, और जीव-जन्तुओं के प्रति उसके प्रेम व स्नेह को दर्शाता है। अब आपकी सेवा में जानवरों की दुनिया के एक पहलु की समीक्षा करेंगे।           

जब हम चार पैर वाले जानवरों के शरीर को देखते हैं तो पाते हैं कि वे भी इंसानों की तरह मांस और हड्डी से बने हैं और उनके भी आंख, कान और मुंह होते हैं। वे भी इंसानों की तरह इस तरह के अंग रखने के कारण खाना पानी ढूंढ सकते और अपनी ज़रूरतों को पूरी कर सकते हैं लेकिन इंसान और जानवरों के बीच अहम अंतर यह है कि जानवरों में सोच विचार की क्षमता नहीं होती ताकि वे इंसानों के सामने राम रहें। इंसान जानवरों को इस्तेमाल करता है और उनकी पीठ पर भारी बोझ लादता है। अगर जानवरों के अक़्ल होती तो वे बहुत सी कठिनाइयां सहन करने से जो इंसान उन पर थोपता है, इंकार कर देते। जैसा कि अतीत में ग़ुलाम बहुत कठिन काम करने की वजह से अपने मालिक से रिहा होने की कोशिश करते थे। लेकिन जिस तरह हम सभी यह जानते हैं गाय, भैंस और घोड़े जैसे चार पैर वाले जानवरों को पैदा करने का उद्देश्य इंसान का उनसे विभिन्न प्रकार की सेवाएं लेना हैं और उनके रचयिता ने इस बात को जानते हुए उन्हें अक़्ल नहीं दी ताकि इंसान के क़ाबू में रहे, न अपनी सेवा से दुखी हों और न इंसान को दुखी करें।

अगर चार पैर वाले जानवरों यहां तक कि जंगली जानवरों को देखें और उनके जन्म लेने की हालत को देखें तो यह पाएंगे कि जानवरों के बच्चे पैदा होते ही खड़े हो जाते और अपनी मां की ओर बढ़ते हैं। जानवर के बच्चे इंसान के नवजात की तरह नहीं है। इंसान का नवजात गोद में लिए जाने, प्रशिक्षण और अभिभावकता का मोहताज होता है। चूंकि इन जानवरों की माएं इंसान की तरह ज्ञान व प्रशिक्षण देने की क्षमता नहीं रखतीं और उनके हाथ और उंगुलियां इस काम के लिए उचित नहीं हैं, इसलिए जानवरों के बच्चों को यह शक्ति दी गयी है कि वे पैदा होने के बाद उठाकर ले जाए जाने के मोहताज न हों, बल्कि ख़ुद अपने पैर पर खड़े हो जाएं।  

                    

ज़्यादातर मांसाहारी जानवर अपना आहार शिकार से हासिल करते हैं। अगर उनके पास शिकार करने की क्षमता न हो तो वे ज़िन्दा नहीं रह सकते इसलिए उनके रचयिता ने उन्हें शिकार के लिए उचित पंजे दिए। इस तरह के पंजे इंसान के लिए लाभदायक नहीं हैं क्योंकि इंसान के दैनिक कार्य में उनकी कोई उपयोगिता नहीं है। दूसरी ओर रचयिता ने पालतू जानवरों को शिकार वाले पंजे नहीं दिए क्योंकि वे घास खाते हैं और उन्हें दूसरे जानवरों को चीर फाड़ने की ज़रूरत नहीं होती। इसके बदले उन्हें खुर दिए गए हैं ताकि आसानी से कठिन से कठिन चरागाह तक जा सकें और उन्हें कोई नुक़सान न पहुंचे। अगर रचयिता जंगली व घास खाने वाले जानवर को पंजा देता तो ये उनके लिए कठिनाई का कारण बनता और वे ख़ुद को घायल कर लेते। इसी तरह अगर शिकार करने वाले जानवरों को खुर देता तो यह उनकी ज़रूरत के विपरीत होता। इसलिए इन दोनों तरह के जानवरों को ऐसी चीज़ देकर पैदा किया गया है जो उनके वजूद को बाक़ी रखने के लिए उचित है। यह कृपालु व सर्वज्ञानी पालनहार की महानता को दर्शाती है।

बहुत से पालतू व चार पैर वाले जानवर मज़बूत शरीर के होते हैं और वे कठिन काम करते हैं लेकिन इसके बावजूद वे इंसान के क़ाबू में रहते हैं। मिसाल के तौर पर ऊंट में कई इंसान के बराबर ताक़त होती है लेकिन इस विशाल शक्ति व भीमकाय वुजूद के बावजूद वह एक छोटे से बच्चे के इशारे पर बैठ जाता है और उसके क़ाबू में रहता है।   

        

बैल बहुत ताक़तवर होता है लेकिन अपने मालिक के क़ाबू में होता है और खेत जोतता है। जबकि शेर, भेड़िये और तेंदुए जैसे जानवर जंगली पैदा हुए हैं और उन्हें क़ाबू में रखना बहुत कठिन होता है। दूसरी ओर जंगली जानवर की जीवन शैली, खान-पान और शरीर की संरचना ऐसी है कि इंसान द्वारा सेवा में इस्तेमाल होने के लिए पैदा नहीं हुए हैं। ये सब दर्शाते हैं कि सृष्टि में मौजूद सभी चीज़ें चाहे जानदार हों या बेजान सबको बड़ी सूक्ष्मता से बनाया गया है।

 

अगर चार पैर वाले जानवरों के चेहरे पर ध्यान दें तो पाएंगे कि उनकी आंखें आगे होती हैं ताकि अपने सामने की चीज़ों को अच्छी तरह देख सकें, किसी गड्ढे में न गिरें। जानवरों के मुंह की बनावट अगर इंसान की तरह होती कि उसके मुंह के नीचे इंसान की तरह ठुड्डी होती तो आसानी से ज़मीन पर पड़ी चीज़ नहीं खा पाता। जानवरों के विपरीत इंसान अपने मुंह से कोई चीज़ नहीं उठाता बल्कि हाथ से खाना मुंह में डालता है। चूंकि जानवरों के पास हाथ नहीं हैं इसलिए उनके मुंह की बनावट इस तरह की है कि वे वनस्पति को आसानी से मुंह में रखकर खा सकें।

अगर जानवरों के दूसरे अंगों पर ध्यान दें तो उनके वजूद में ऐसी चीज़ें नज़र आएंगी जिन पर हैरत होगी। मिसाल के तौर पर जानवरों की दुम पर ध्यान दें। जानवरों की पीठ पर जो गंदगी होती है, मक्खी और मच्छर जैसे कीड़े-मकोड़े उनकी पीठ पर इकट्ठा हो जाते हैं उनसे छुटकारा पाने का जानवरों के पास सिर्फ़ एक माध्यम दुम है जिसे हिलाकर वे मक्खियों और मच्छरों को हंकाते हैं। इसके अलावा जानवर अपनी दुम को दाएं बाएं हिलाकर आराम का आभास करते हैं।

जानवरों के वुजूद और उनके अंगों पर ध्यान देकर रचचिता की महानता को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। इसलिए यह बात पूरे यक़ीन से कही जा सकती है कि जानवरों का वुजूद एक संयोगवश घटना नहीं बल्कि उनका कोई रचयिता है जिसने जानवरों को बनाने में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती बल्कि बहुत सूक्ष्म ज्ञान व अपार शक्ति का प्रदर्शन करते हुए जानवरों को जीवन प्रदान किया है।

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