Sep ३०, २०१८ १६:०८ Asia/Kolkata

दुनिया और उसमें जो कुछ भी है वह ईश्वर की शक्ति, सुन्दरता, युक्ति और तत्वदर्शिता का दर्पण है।

पवित्र क़ुरआन वह किताब है जिसने उन वास्तविकताओं को बहुत ही सुन्दर और अच्छे शब्दों की परिधि में मनुष्यों के लिए बयान किया है जिसकी आवश्यकता मनुष्यों को होती है।  उसक हर शब्द और वाक्य वह इशारे हैं जो बुद्धिमान लोगों के ध्यान का केन्द्र होते हैं और उनको विचार विमर्श और चिंतन मनन की दावत देते हैं। पवित्र क़ुरआन ने बहुत से इशारे बयान किए हैं और यह इशारे और संकेत समस्त लोगों की दिनचर्या में प्रभावी और महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं। पवित्र क़ुरआन कुछ फलों का कभी उल्लेख करता है और कभी कभी कुछ फलों की सौगंध भी खाता है।

ईश्वर पवित्र क़ुरआन में अंजीर और ज़ैतून की सौगंध खाता है। क़सम है इंजीर और ज़ैतून की जबकि दूसरे स्थान पर खजूर, अंगूर, अनार और केले का भी उल्लेख करता है। यह फल खाद्य पदार्थ होने के साथ ही दवाओं और उपचार की विशेषताओं से भी संपन्न हैं। इन फलों की प्राचीन चिकित्सा और नवी चिकित्सा प्रणाली में विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए सलाह दी जाती है। यदि पवित्र क़ुरआन पर सूक्ष्म और तत्वदर्शी नज़र डालें तो हमारी समझ में आता है कि फलों का नाम लेना, ईश्वर की ओर से किसी ख़ास हिकमत और लक्ष्य के लिए है और पवित्र क़ुरआन ने जिन फलों के नाम लिए हैं वे विशेष गुणों और विशेषताओं से संपन्न हैं जिनसे दूसरे फल और सब्जियां संपन्न नहीं हैं।

 

उदाहरण स्वरूप खजूर में नौ प्रकार की अलग अलग विटामिनें पायी जाती हैं जिसका नाम पवित्र क़ुरआन ने दूसरे फलों से अधिक लिया है और इसको संसारिक और स्वर्ग का फल क़रार दिया है। खजूर इसी प्रकार एक संपूर्ण खाने का विकल्प हो सकता है। यह विशेषता अंजीर और अंगूर की भी हो सकती है। अर्थात यदि आपने ने खजूर, अंगूर और अंजीर खा ली तो एक समय का खाना न खाएं तो कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा और आपकी सेहत ख़राब नहीं होगी और आपको भूख का आभास नहीं होगा। ईश्वर ने इन फलों को केवल इस लिए नहीं बयान किया इनका प्रचलन उस समय के अरबों के बीच अधिक था बल्कि इनकी विशेषताओं और गुणों के कारण इनका उल्लेख किया है। पवित्र क़ुरआन में छह बार ज़ैतून का नाम लिया गया है जबकि एक बार सीधे रूप से उसके पेड़ का उल्लेख किया है। पवित्र क़ुरआन के सूरए मोमेनून की आयत संख्या 20 में आया है कि और वह पेड़ पैदा किया है जो तूरे सीना में पैदा होता है और उस से तेल भी निकलता है और वह खाने वालों के लिए सालन भी है। इस पेड़ का नाम दो बार अकेले और पांच बार खजूर, अनार, अंगूर और इंजीर जैसे दूसरे फलों के साथ उल्लेख किया गया है।  पवित्र क़ुरआन में ज़ैतून के पेड़ के उगने को अल्लाह की निशानी क़रार दिया गया है और ज़ैतून के पेड़ को बरकत वाला और विभूतिपूर्ण बताया गया है। इसी प्रकार ईश्वर ज़ैतून की सौगंध खाता है।

सूरए अनआम की आयत संख्या 99 में बताया गया है कि किस प्रकार फल का पकना, ईमान में वृद्धि का कारण है। ईश्वर कहता है कि ईश्वर है जिसने आसमान से पानी उतारा है फिर हमने हर वस्तु के कोए निकाले फिर हरी भरी शाखें निकालीं जिससे हम गुत्थे हुए दाने निकालते हैं और खजूर के पेड़ों से लटकते हुए गुच्छे पैदा किए और अंगूर, ज़ैतून और अनार के बाग़ पैदा किए जो रूप में मिलते जुलते और स्वाद में बिल्कुल अलग अलग हैं। ज़रा इसके फल और इसके पकने की ओर ध्यान से देखो कि इसमें ईमान वालों के लिए कितनी निशानियां पायी जाती हैं। (AK)

 

 

 

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