Sep ३०, २०१८ १६:२२ Asia/Kolkata

यह दुनिया अपनी पूरी सुन्दरता के साथ हमारे सामने मौजूद हैं।

इस सुन्दर दुनिया के रचियता से सृष्टि के कणों को विभिन्न अंदाज़ और रूपों में बनाया है और इन चीज़ों को अलग अलग रंगों और आकर्षक रूपों में बनाया ताकि दुनिया और उससे जुड़ी हुई चीज़ें गहरे संपर्क में रहे। वास्तव में दुनिया का सबसे पहला रचियता ईश्वर है। उसने अपनी रचना और सृष्टि के दौरान हर चीज़ को उसका विशेष रंग अता किया।

सृष्टि की सुन्दरता, आसमान व ज़मीन में, दरिया और मरुस्थल, फूल और वनस्पति, पक्षी और मछलियां, सभी चीज़ों के अपने विशेष रंग हैं कि ईश्वर ने इसको अपनी शक्ति और वैभवता की एक निशानी क़रार दिया है और कई बार इस पर बल भी दिया है।

ईश्वर पवित्र क़ुरआन के सूरए फ़ातिर की आयत संख्या 27 और 28 में कहता है कि क्या तुमने नहीं देखा कि ईश्वर ने आसमान से पानी उतारा, क्या फिर हम ने उस से विभिन्न रंग के फल पैदा किए और पहाड़ों में भी विभिन्न रंगों के सफ़ेद और लाल रास्ते बनाए और कुछ बिल्कुल काले रंग और इंसानों और चौपायों में भी विभिन्न रंग की रचनाएं पायी जाती हैं लेकिन अल्लाह से डरने वाले उसके बंदों में केवल परिज्ञानी हैं निसंदेह अल्लाह क्षमा करने वाला और बहुत अधिक माफ़ करने वाला है।

वहि, आयतें और ईश्वरीय महापुरुषों के शब्द प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रंगों की विविधता और सृष्टि की रचना में उसकी भूमिका की ओर संकेत करते हैं। पवित्र क़ुरआन में पीले, हरे, सफ़ेद, लाल और काले रंग को स्पष्ट रूप से बयान किया गया है। खाद्य पदार्थों की रंगों की विविधता, ईश्वरीय युक्ति की निशानी है जिसके खाने से स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, पवित्र क़ुरआन के अनुसार मनुष्यों, जानवरों और चौपायों को विभिन्न रंगों में पैदा किया तथा लोगों में भाषाओं और रंगों की विविधता को समझदारों के लिए निशानी बताया गया है।

 

अमरीका के लूज़ियाना विश्वविद्यालय में हुए शोध से पता चलता है कि पीला रंग, ख़ुशी और प्रफुल्लता की निशानी है। रंगों के अधिकतर विशेषज्ञों का कहना है कि पीला रंग, ख़ुशी प्रदान करता है। इसी बात की ओर पवित्र क़ुरआन ने पंद्रह शताब्दी पहले ही इशारा कर दिया। सूरए बक़रा की आयत संख्या 69 में इशारा किया गया है कि इन लोगों ने कहा कि यह भी पूछिए कि गाय का रंग क्या होगा, कहा कि ईश्वरीय आदेश है कि पीला भड़कदार रंग हो जो देखने में भली मालूम हो।

इसी प्रकार हरा रंग भी सुन्दर रंगों में है कि जिसका उल्लेख पवित्र क़ुरआन ने दस बार उल्लेख किया है। कुछ आयतों में रेशमी कपड़ों, स्वर्गवासियों के हरे कपड़ों की ओर संकेत किया गया है। इसी प्रकार पवित्र क़ुरआन में कई बार हरी हरी वनस्पतियों का भी वर्णन किया गया है।

प्राकृतिक व इंद्रियों से देखे जाने वालों रंगों के अतिरिक्त पवित्र क़ुरआन ने दूसरे प्रकार के रंगों का भी वर्णन किया है और वह ईश्वरीय रंग है। पवित्र क़ुरआन के सूरए बक़रा की आयत संख्या 138 में आया है कि रंग तो केवल अल्लाह का रंग है और इससे बेहतर किस का रंग हो सकता है और हम सब उसकी ही उपासना करने वाले हैं।

यह इस तरह से है कि रंग और उसकी आश्चर्यजनक सृष्टि, चिंतन मनन करने वालों के मन को सृष्टिकर्ता की ओर ले जाती है और संसारिक मोहमाया में ग्रस्त लोगों को हैरान कर देती है किन्तु यह याद रखना चाहिए कि संसारिक रंग से नाता तोड़ना और अध्यात्मिक रंग से नाता जोड़ना, सबसे अच्छे रंग में रंगना। (AK) 

 

 

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