Mar १६, २०१९ ११:५८ Asia/Kolkata

सबसे निश्चेत व्यक्ति के बारे में वरिष्ठ नेता कहते हैं कि वह व्यक्ति सबसे निश्चेत होता है जो संसार और लोगों में उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों से पाठ न सीखे क्योंकि यह संसार पाठों, शिक्षाओं और उपदेशों से भरी हुई है।

सूरए इब्राहीम की 45वीं आयत में कहा गया है कि तुम उन लोगों के स्थानों पर रह रहे हो जिन्होंने अपने आप पर अत्याचार किया। यह आयत उन लोगों को सचेत करती है जिन्हें कोई पद या शासन मिला है और कहती हैं कि आज जहां तुम बैठे हो, वहां तुमसे पहले कुछ दूसरे लोग बैठे हुए थे। वे चले गए और अब तुम आ गए हो। यह हालात का बदलाव है। मानव इताहस के इस बदलाव और कुछ के ऊपर जाने और फिर नीचे गिर जाने से इंसान को पाठ लेना चाहिए। पाठ के विभिन्न प्रकार हैं अर्थात ऐसा नहीं है कि मनुष्य यह सोचे कि यह अनुकंपा समाप्त होने वाली है, यह एक पाठ है, अगर आज हमारे और आपके पास कोई अनुकंपा है तो हमसे पहले भी कुछ लोग थे जिनके पास यह अनुकंपा थी और उनसे छीन ली गई। हमसे और आपसे भी यह अनुकंपा छिन सकती है। यह नहीं सोचना चाहिए कि यह अनुकंपा अनंतकालीन है। अतः ईश्वर का आभार प्रकट करके और अपने दायित्व का पालन करके इस अनुकंपा की रक्षा करनी चाहिए।

एक अन्य विषय यह है कि जीवन में कौन सी चीज़ सभी भलाइयों का मार्ग प्रशस्त करती है? पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम हज़रत अली अलैहिस्सलाम के हवाले से कहते हैं कि अगर तीन चीज़ें प्राप्त कर ली जाएं तो सभी भलाइयां प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनमें मौजूद हैं, प्रथम पाठ लेने के उद्देश्य से देखना, दूसरे मौन और तीसरे कथन। अगर देखना पाठ लेने के उद्देश्य से न हो तो उसका कोई लाभ नहीं है। अगर मौन, चिंतन के साथ न हो तो वह निश्चेतना है और अगर बात करना ईश्वर के ध्यान के साथ न हो तो वह व्यर्थ है। (HN)