अनमोल बातें-15
आज के कार्यक्रम में भी हम वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई के नैतिकता पर दिये गये भाषण का एक अंश आप की सेवा में पेश कर रहे हैं।
वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हदीस है कि जो भी , ज्ञान विज्ञान के लिए यात्रा करता है ईश्वर उसके लिए स्वर्ग की व्यवस्था कर देता है, ईश्वर के फरिश्ते उससे प्रसन्न होते हैं और उसके पैरों के नीचे अपने पंख बिछा देते हैं और धरती व आकाश पर हरेक यहां तक कि समुद्र की मछलियां भी उसके लिए ईश्वर से क्षमा याचना करती हैं। इस हदीस में बहुत सी बातें ध्यान देने की हैं। उदाहरण स्वरूप यह सवाल पैदा हो सकता है कि मछलियां क्यों ऐसा करेंगी और अगर वह दुआ करेंगी तो उससे क्या होगा? यहां पर ध्यान देना चाहिए कि ईश्वरीय दूतों और उन दूतों के उत्तराधिकारों के कथनों में कई बार ऐसे शब्द होते हैं जिनका सही अर्थ हम समझ नहीं पाते। इस प्रकार के शब्दों पर अध्ययन की ज़रूरत है। जैसे यह कथन है कि ज्ञानी को उपासक पर वही वरीयता प्राप्त है जो सितारों पर चांद को है। यहां पर यदि आप ध्यान दें तो रात के समय आकाश पर चांद और तारे दोनों होते हैं लेकिन जब चांद नहीं होता तो अंधेरा छाया रहता है, चौदहवीं का चांद जब निकलता है तो हर ओर प्रकाश फैला होता है अर्थात चांद दूसरों की सहायता करता है इसी प्रकार ज्ञानी भी होता है जो दूसरों को रास्ता दिखाता है तो आप ध्यान दें यहां किस सुन्दर ढंग से मिसाल दी गयी है। बुद्धिजीवी और ज्ञानी अपने बाद , धन दौलत विरासत में नहीं छोड़ते बल्कि ज्ञान छोड़ते हैं जिससे उनके वारिस ही नहीं बल्कि सब लोग लाभ उठाते हैं।
इस्लाम में इसी लिए दूसरों की सहायता और दूसरों पर खर्च करने का बहुत महत्व है। निश्चित रूप से वह बहुत सौभाग्य शाली है जो लोगों की सहायता करता है किंतु न अपव्यय करता है न ही कंजूसी करता है क्योंकि धर्म की नज़र में दोनों की दशा अस्वीकारीय है। मध्यमार्ग को तलाश करें और जब आप मध्य मार्ग पर चल रहे हों तो उसमें से जो कुछ बच जाए उससे दूसरों की मदद करें, ईश्वर के लिए , उन लोगों की सहायता करें जिन्हें ज़रूरत हो और जो लोग वंचित हों। (Q.A.)