अनमोल बातें-16
इस कार्यक्रम में भी हम वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई के नैतिकता पर दिये गये भाषण का उल्लेख कर रहे हैं।
हदीस है कि अच्छे व्यवहार के साथ जीने जाने वाले जीवन से बेहतर कोई जीवन नहीं है। यहां पर वास्तव में अच्छे व्यवहार वाले मनुष्य की प्रशंसा की गयी है और अच्छे व्यवहार से आशय लोगों के साथ रहन सहन के दौरान अपनाया जाने वाला अच्छा व्यवहार है, अर्थात लोगों के साथ विनम्रता से पेश आना और एसा व्यवहार करना जिससे लोगों को अच्छा लगे। जिन लोगों में यह विशेषता होती है उनके लिए जीवन सरल होता है क्योंकि वह समाज में व्यवहार के बदले व्यवहार होता है अर्थात अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति के साथ प्रायः लोग सम्मान के साथ पेश आते हैं और इस तरह से वह बहुत सी समस्याओं से दूर रहता है। क्योंकि यह बिल्कुल स्पष्ट सी बात है कि पूरी दुनिया में विनम्र लोगों का सम्मान किया जाता है और घमंडियों से लोग दूर रहने की कोशिशि करते हैं।
वैसे यह दुनिया का जीवन कुछ दिनों का ही होता है इसमें यदि इन्सान अच्छे से रहे तो लोग उसे याद रखते हैं। और इस दुनिया में सही से रहने के लिए इन्सान को हमेशा अपनी मौत को याद रखना चाहिए क्योंकि मौत को जितना याद किया जाएगा, सांसारिक मोह माया से उतनी ही दूरी होगी। यदि ध्यान दिया जाए तो हमारी अधिकांश समस्याओं की जड़, सांसारिक वस्तुओं और संसार से रूचि है। यह सांसारिक मोह माया है जिस की वजह से हमारे क़दम डगमगा जाते हैं और हम राह से भटक जाते हैं। अलबत्ता इसका मतलब यह भी नहीं है कि दुनिया की हर चीज़ बुरी है। नहीं , कुरआने मजीद में कहा गया है कि धन और संतान , सांसारिक जीवन का गहना है। धर्म में धन दौलन और संतान रखने की आलोचना कहीं नहीं की गयी है बल्कि हमारे लिए यह चीज़ें हानिकारक उस समय होती हैं जब हम इसमें अतिवादी बन जाते हैं। इन्ही चीज़ों को महत्व देते हैं और हमारे लिए यही चीज़ें सब कुछ हो जाती हैं। जहां उपकार करना चाहिए नहीं करते, जहां दान करता चाहिए वहां हाथ नहीं खोलते, जहां बलिदान देना चाहिए वहां चुप बैठे रहते हैं। हम कमज़ोर इन्सानों की समस्या यही है। हम पूरी तरह से इस संसार में डूब जाते हैं इसकी चमक दमक में गुम हो जाते हैं तो फिर इसका इलाज क्या है? इसका इलाज मौत को याद करना है। (Q.A.)