गुट निरपेक्ष आंदोलन के 16वें शिखर सम्मेलन पर एक नज़र
-इसलामी गणतंत्र ईरान की राजधानी तेहरान ने 26 से 31 अगस्त तक गुट निरपेक्ष आंदोलन के 16वें शिखर सम्मेलन की मेज़बीनी की।
विश्व के 120 देशों के नेताओं एवं राजनीतिक हस्तियों तथा पर्यवेक्षक देशों एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के विशेष प्रतिनिधियों ने नैम के 16वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने के उद्देश्य से तेहरान की यात्रा की।
आंदोलन के प्रमुख मामलों में उच्चतम स्तर पर निर्णय लेने हेतु अगले तीन वर्षों के लिए नैम की अध्यक्षता ईरान को सौंपे जाने के साथ साथ तेहरान सम्मेलन में 11 अनुच्छेदों पर आधारित एक घोषणा पत्र पारित किया गया।
इस विशेष कार्यक्रम में हम नैम के 16वें शिखर सम्मेलन के परिणामों और उपलब्धियों की चर्चा करेंगे कि जो दो कड़ियों पर आधारित है, पहली कड़ी में आपका स्वागत है।
- शुक्रवार 31 आगस्त को एक विज्ञप्ति जारी करने के साथ ही तेहरान में गुट निरपेक्ष आंदोलन का 16वां शिखर सम्मेलन संपन्न हो गया।
सामूहिक सुरक्षा एवं शांति, हर प्रकार के आतंकवाद का मुक़ाबला, एनपीटी संधि के अंतरगत सभी देशों के परमाणु अधिकारों की रक्षा एवं परमाणु हथियारों को नष्ट करने पर बल, संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में परिवर्तनों एवं सुधारों की आवश्यकता, सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान, दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, फ़िलिस्तीन का मुद्दा तथा विश्व नेतृत्व में सहयोग जैसे विभिन्न विषयों पर तेहरान सम्मेलन में चर्चा की गई।
-16वें नैम शिखर सम्मेलन का घोषणा पत्र कि जो सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी सदस्यों की सहमति से पारित हुआ महत्वपूर्ण अध्यायों पर आधारित है जैसे कि विश्व के राजनीतिक एवं आर्थिक संकट, फ़िलिस्तीन का विषय, परमाणु उर्जा से शांतिपूर्वक लाभ उठाने का अधिकार तथा विश्व में स्थिर शांति व्यवस्था।
यह घोषणा पत्र कि जिसकी रूपरेखा नैम सम्मेलन में भाग लेने वाले विशेषज्ञों और विदेश मंत्रियों द्वारा एक सप्ताह तक विचार विमर्श के परिणामस्वरूप तैयार की गई, समस्त देशों के हितों की रक्षा के साथ साथ विश्व के संयुक्त नेतृत्व के लिए प्रभावशाली, पारदर्शी, व्यापक एवं न्यायपूर्ण व्यवस्था पर बल देता है।
-ज़ायोनी शासन द्वारा फिलिस्तीन का अवैध अधिकरण एवं निरंतर अत्याचार कि जो मध्यपूर्व में संकटपूर्ण स्थिति का मूल कारण है तेहरान सम्मेलन के घोषणा पत्र का दूसरा महत्वपूर्ण विषय था। घोषणा पत्र में बल दिया गया है कि इस समस्या के समाधान के लिए ज़रूरी है कि फ़िलिस्तीन के अवैध अधिकरण को समाप्त किया जाये, फिलिस्तीनियों को स्वयं अपना भविष्य निर्धारित करने का मौलिक अधिकार लौटाया जाये और एक स्वाधीन एवं स्वतंत्र फिलिस्तीन देश की स्थापना की जाये कि जिसकी राजधानी बैतुल मुक़द्दस हो।
-तेहरान सम्मेलन के पहले दिन ईरान ने विश्व में परमाणु शस्त्रों के नष्ट करने, विश्व नेतृत्व में देशों की सहकारिता तथा क्षेत्रीय समस्याओं विशेषकर सीरियाई संकट के समाधान हेतु आपसी सहयोग जैसे महत्वूर्ण विषयों को प्रस्तुत किया।
घोषणा पत्र में परमाणु शस्त्रों के उत्पादन और उनके भंडार करने को विश्व समुदाय के लिए गंभीर ख़तरा बताया गया और उल्लेख किया गया कि जिन देशों के पास परमाणु शस्त्र हैं उन्हें चाहिए कि एनपीटी के छटे अनुच्छेद का पालन करते हुए एक विर्धारित समय सीमा में अपने परमाणु हथियारों को नष्ट करने हेतु क़दम उठायें।
-गुट निरपेक्ष आंदोलन के 16वें शिखर सम्मेलन का घोषणा पत्र एक ओर से विश्व का संयुक्त नेतृत्व करने के उद्देश्य से न्यायपूर्ण, व्यापक, पारदर्शी एवं प्रभावशाली व्यवस्था की रूपरेखा तैयार करने पर बल देता है तो दूसरी ओर क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
तेहरान घोषणा पत्र के विषय से पता चलता है कि 16वें नैम शिखर सम्मेलन में वर्तमान और भविष्य के महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखा गया है किन्तु गुट निरपेक्ष आंदोलन के मूल सिद्धांतों और नीतियों को दृष्टि में रखते हुए।
इस व्यापक दृष्टिकोण से पता चलता है कि इस आंदोलन ने यद्यपि प्रारंभ में राजनीतिक दृष्टिकोण के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई किन्तु आज विश्व नेतृत्व में संयुक्त सहयोग हेतु विविध उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित किया है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आंदोलन के सदस्यों के बीच सांस्कृतिक, व्यापारिक एवं आर्थिक परस्पर सहयोग के लिए भूमि प्रशस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। वास्तव में आज आंदोलन वैश्विक राजनीतिक मामलों में निर्णायक भूमिका अदा करने हेतु संभावनाओं की तलाश में है।
ईरान द्वारा नैम शिखर सम्मेलन के सफलतापूर्वक आयोजन से पता चलता है कि पश्चिमी दुष्प्रचारों के विपरीत ईरान ने बहुत ही सक्रियता और सफलता से इसका आयोजन किया, बल्कि उसने आंदोलन में एक ऊर्जस्वी वातावरण उत्पन्न किया यहां तक कि सम्मेलन को विभिन्न दृष्टिकोणों के प्रस्तुत करने एवं आलोचनाओं के लिए अनुकूल बनाया। आपसी सार्थक विचार विमर्श के कारण सम्मेलन के प्रभावशाली एवं व्यापक परिणाम निकले।
-इस आपसी एवं एक जैसी सोच ने सिद्ध कर दिया कि इस आंदोलन के सदस्य संभावनाओं एवं अपनी योग्यताओं में वृद्धि करके अशांति, युद्ध, एवं वर्चस्ववाद जैसी चुनौतियों का मुक़बला करने में प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं। इस लिए कि समस्त राष्ट्र न्याय, भाईचारे और सुरक्षा एवं शांति के भूखे तथा वर्चस्ववाद के विरोधी हैं।
इस दृष्टिकोण के अनुसार, इसी प्रकार गुट निरपेक्ष आंदोलन विश्व में शांति व सुरक्षा एवं विकास के लिए प्रयास का प्रतीक है। निःसंदेह इस आंदोलन के व्यापक स्वरूप तथा विश्व के दो तिहाई देशों के इसका सदस्य होने के दृष्टिगत यह संस्था निरपेक्ष दृष्टिकोण के साथ वैश्विक भूमिका निभाने के लिए उचित मंच है। यद्यपि आज के विश्व में इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक नये अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन ढांचे की आवश्यकता है।
-विश्व की समस्याओं के कारणों पर यदि वास्तविक रूप से दृष्टि डालें तो पता चलता है कि विश्व में अधिकांश समस्याओं एवं युद्ध भड़काने तथा अशांति फैलाने का प्रमुख कारण विश्व शक्तियों की वर्चस्ववादी नीतियां एवं एकाधिकार जमाना है। यह वर्चस्ववादी शक्तियां धौंस और धमकी द्वारा एवं हथियारों के बल पर विश्व के प्राकृतिक स्रोतों पर वर्चस्व जमाना चाहती हैं, इस एकाधिकारवादी नीति ने विज्ञान जैसे क्षेत्र को उदाहरणस्वरूप शांतिपूर्ण परमाणु विज्ञान की प्राप्ति को भी अपनी चपेट में ले लिया है।
वास्तव में वर्चस्ववादी राष्ट्र, प्रमुखता से अमरीका लोकतंत्र व स्वतंत्रता, मानवाधिकारों की रक्षा एवं परमाणु हथियारों के ख़तरे को अपनी वर्चस्ववादी नीतियों को सही ठहराने हेतु बहाने के रूप में प्रयोग कर रहे हैं, जब कि स्वयं इन्हीं देशों में मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और जनता के विरोध को सख्ती से कुचला जा रहा है। जब बात फिलिस्तीनी राष्ट्र के अधिकारों के हनन तथा इराक़ी एवं अफ़ग़ानी जनता के जनसंहार की होती है तो आतंकवाद से लड़ाई का बहाना बनाया जाता है जबकि ख़ुद आतंकवादी गुटों से संपर्क में रहते हैं और उनका समर्थन करते हैं।
-इन वास्तविकताओं पर ध्यान देने से पता चलता है कि आंदोलन के सदस्य देशों के बीच भौगोलिक दूरियों, धार्मिक, भाषाई, सांस्कृतिक और जातीय विविधताओं के बावजूद अपने महान उद्देश्यों एवं आकांक्षाओं की प्राप्ति हेतु संयुक्त सिद्धांत एवं सहकारिता पाई जाती है, 21वीं शताब्दी में भी विश्व के वर्तमान परिवर्तनों के दृष्टिगत यह उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप हैं।
वास्तव में गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापको के पारम्परिक विश्वास और विश्व राष्ट्रों की वर्तमान आकांक्षाओं के बीच एक अटूट संबंध है जो संयुक्त मानव आकांक्षाओं एवं उद्देश्यों पर आधारित है और जिसका लक्ष्य विश्व में न्याय और आध्यात्म को प्राप्त करना है।
-इस दृष्टिकोण के अनुसार, वर्चस्व को स्वीकार न करना, वर्चस्ववाद से मुक़ाबला और विश्व में न्याय आधारित व्यवस्था का प्रयास तथा उत्तर और दक्षिण के बीच की दूरियों को कम करने जैसे मूल सिद्धांत गुट निरपेक्ष आंदोलनकारियों के प्रारंभिक उद्देश्य थे और अभी भी हैं। किन्तु अहम बात यह है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन के सभी सदस्य देशों के बीच एकता, वर्चस्ववादी व्यवस्था पर विजय प्राप्त करने एवं क़ाबू पाने की मूल शर्त है।