Apr १५, २०१९ १४:२२ Asia/Kolkata

ज़िंदा रहने और जीवन की इच्छा मनुष्य को इस बात के लिए प्रेरित करती है कि वह जीने के उत्तम मार्ग का चयन करे।

वह उस पेंटिंग की तरह होता है जो अपने जीवन को बेहतरीन रेखाओं के माध्यम से चित्रित किए जाने की इच्छुक होती है। वह अपनी योग्यताओं को खोजने, अपने आस-पास के संसार को पहचानने, अपने रचयिता को जानने और दूसरों से संपर्क की उत्तम शैली को खोजने का प्रयास करता है। अलबत्ता अच्छा जीवन बिताना उतना सरल नहीं है जितना हम सोचते हैं क्योंकि इसमें इतने उतार-चढ़ाव हैं कि कभी भी ऐसा प्रतीत होता है कि इस संसार में आने से पहले बेहतर होता कि हमने जीवन बिताने का अभ्यास कर लिया होता।

जीवन की समस्याओं पर नियंत्रण करने और सही मार्ग के चयन का एक रास्ता, पिछले लोगों के जीवन की जानकारी हासिल करना और उनसे पाठ सीखना है। जी हां! अतीत के लोगों के जीवन पर सोच-विचार करना और उनके अनुभवों से लाभ उठाना, एक नए जीवन की तरह और बहुत लाभदायक है। हमें अपनी आयु के मूल्यवान समय को बचाने के लिए पिछले लोगों और बड़े-बूढ़ों के अनुभवों, उनकी नसीहतों और उनकी जीवन शैली से लाभ उठाना चाहिए। हज़रत अली अलैहिसस्लसाम इस बारे में कहते हैं कि मैं पिछले लोगों के इतिहास से इतना अवगत हूं कि मानो मैंने उन्हीं के साथ जीवन बिताया है और उनके अनुभव हासिल किए हैं।

दूसरों से पाठ व शिक्षा लेने को अरबी में "इबरत" कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ किसी घटना के विदित पहलू से गुज़र कर उसके वास्तविक संदेश तक पहुंचना है। इसका मैदान अत्यंत व्यापक है और इसमें अत्यधिक विषय शामिल होते हैं। पिछली जातियों का अंजाम और शासकों व सरकारों का उदय व पतन सभी के लिए शिक्षा सामग्री है। जवानी व आयु का गुज़रना व बुढ़ापा आना भी पाठ है। कठिनाइयों व समस्याओं में ग्रस्त होने के बाद मुक्ति पाने वाले लोगों का जीवन भी दूसरों के लिए शिक्षा है। लोगों का मरना भी पाठ सामग्री है। प्राकृतिक आपदाएं, सामाजिक परिवर्तन और बहुत सी समस्याएं ऐसी हैं कि अगर उनके संदेश और पाठ को समझ लिया जाए तो वह मनुष्य के मार्ग का दीपक बन सकते हैं और उसके सामने से ख़तरों व संकटों को दूर कर सकते हैं।

आजकल हम समाज में ऐसे युवाओं को देखते हैं जो मादक पदार्थों, शराब और नशे की गोलियों की लत के चलते अपनी प्रफुल्लता खो देते हैं। हम ऐसे लड़कों और लड़कियों को देखते हैं जो प्यार की आग में जल कर ग़लत व्यक्ति से विवाह कर लेते हैं और लम्बे समय तक उसके कुपरिणाम झेलते रहते हैं। कुछ ऐसे छात्र भी होते हैं जो बिना परामर्श के विषय का चयन कर लेते हैं और उनकी आयु एक ऐसे विषय में बर्बाद हो जाती है जिसकी उनमें न तो योग्यता होती है और न ही रुचि होती है। हम ऐसे विख्यात लोगों को भी देखते हैं जो अधिक ख्याति प्राप्त करने के लिए अपनी अवैध इच्छाओं के चलते ऐसे काम करते हैं जिनसे उनका सम्मान ख़त्म हो जाता है। इन उदाहरणों और इसी प्रकार के अन्य ढेरों उदाहरणों से पाठ सीखा जा सकता है।

बुद्धिमान लोग, जो बेहतर जीवन बिताने के बारे में सोचते हैं, वे इंसानों के कर्मों, अतीत के लोगों के इतिहास और पिछली जातियों के अंजाम को सरसरी नज़र से नहीं देखते बल्कि उनसे पाठ लेते हैं। वे घटनाओं के विदित रूप से उनकी अंदरूनी परतों तक पहुंचते हैं और अनेक पाठ व संदेश हासिल करते हैं। यही कारण है कि उनके जीवन में ग़लतियां कम और उनकी सफलताएं अधिक होती हैं। बेहतर जीवन के लिए क़ुरआने मजीद की सिफ़ारिश भी, घटनाओं और इतिहास से पाठ लेना है। सूरए हश्र की दूसरी आयत में कहा गया है। हे बुद्धि वालो! पाठ हासिल करो।

क़ुरआने मजीद की अनेक आयतों में लोगों के पाठ के लिए महान ईश्वरीय पैग़म्बरों के क़िस्से बयान किए गए हैं। उदाहरण स्वरूप हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के क़िस्से में बताया गया है कि उनके पास संसार की सारी संपत्ति थी, जिन्न और इंसान उनकी सेवा में रहते थे, वे पक्षियों व पशुओं से बात करते थे लेकिन वे कभी भी अपनी संपत्ति पर मोहित नहीं हुए बल्कि दासों की तरह ईश्वर की उपासना करते थे और लोगों को आराम पहुंचाने के लिए प्रयासरत रहते थे। इसी तरह हज़रत लूत अलैहिसस्लाम की जाति का क़िस्सा भी है जिसने समलैंगिकता जैसी बुरी आदत अपना रखी थी और ईश्वर को भुला दिया था, परिणाम स्वरूप वह कड़े ईश्वरी दंड में ग्रस्त हुई। क़ुरआने मजीद में वर्णित हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम व अन्य पैग़म्बरों के क़िस्से भी पाठ लेने के लिए पर्याप्त हैं।

इन क़िस्सों को बयान करने में क़ुरआने मजीद का लक्ष्य कदापि केवल कहानी सुनाना नहीं है बल्कि लक्ष्य इन दास्तानों के माध्यम से मार्गदर्शन करना है। यही कारण है कि पैग़म्बरों के किसी भी क़िस्से में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देगी जिसका कोई लाभ नहीं हो और या मार्गदर्शन में बहुत कम लाभ हो। उदाहरण स्वरूप पैग़म्बरों की जन्म तिथि, निधन की तारीख़, बच्चों व पत्नियों की संख्या इत्यादि की ओर कोई इशारा नहीं किया गया है। क़ुरआने मजीद में पाठ लेने के लिए जो क़िस्से बयान किए गए हैं उनमें से एक हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम का क़िस्सा है। सूरए यूसुफ़ की आयत नंबर 111 में कहा गया है कि उनके क़िस्सों में सोचने वालों के लिए पाठ है।

 

हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के क़िस्से में पाठ लेने के दसियों बिंदु हैं, जैसे भाइयों की ईर्ष्या और उसका विध्वंसक प्रभाव, दुश्मनों की चालों की विफलता, हज़रत यूसुफ़ का निर्दोष होना, पाप और वासना से दूरी, ज़ुलैख़ा की बेइज़्ज़ती, हज़रत यूसुफ़ की पवित्रता और इसी प्रकार की अन्य बातें। क़ुरआने मजीद यह क़िस्सा बयान करके लोगों से चाहता है कि वे पिछले लोगों के जीवन के क़िस्सों से अपनी वर्तमान ज़िंदगी के लिए पाठ लें। क़ुरआन की प्रशिक्षण संबंधी शिक्षाएं, जीवन के लिए बेहतर मार्ग खोलने के उद्देश्य से बयान की गई हैं।

जिस तरह से गुज़रे हुए लोगों की जीवनी से पाठ लेना, बुद्धिमान लोगों की विशेषता है और वे उससे बेहतर जीवन बिताने के लिए लाभ उठाते हैं उसी तरह परामर्श करना भी उनकी एक अन्य विशेषता है। जिस मनुष्य ने अपने भीतर घमंड और आत्ममुग्धता को मार दिया हो वह पाठ लेने और परामर्श करने में अधिक बेहतर ढंग से काम करता है। वह किसी एक विषय के बारे में विभिन्न विचारों व दृष्टिकोणों को एकत्र करके सबसे अच्छे विचार का चयन करता है और उस पर अमल करता है। मानवीय व्यवहार विज्ञान के विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतर विफलताओं व पराजयों का एक मुख्य कारण जीवन के अहम मामलों में अपनी ही राय को महत्व देना और दूसरों से परामर्श न करना है।

दूसरों की राय, उनके विचार और उनके दृष्टिकोण, मनुष्य के मार्ग को प्रकाशित व स्पष्ट कर देते हैं और यह प्रकाश मनुष्य के व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में भलाई व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि जो दूसरों से परामर्श करता है, वह उनकी बुद्धि व अनुभवों से लाभ उठाता है और वह अधिक सही फ़ैसला कर सकता है। अलबत्ता सलाह लेने और परामर्श करने की विशेष शर्तें हैं। उदाहरण स्वरूप अच्छी सोच वाले, दूरदृष्टि रखने वाले और मामलों पर गहरी नज़र रखने वाले बेहतर सलाह दे सकते हैं। बुद्धिमान लोगों से परामर्श करना, उन राहों में से एक है जो हमें बेहतर जीवन का तोहफ़ा देती हैं। एक चीनी कहावत है कि अगर तुम कोई काम सही ढंग से करना चाहते हो तो तीन वृद्ध लोगों से सलाह लो। फ़ारसी साहित्य में भी कहा गया है कि जो अधिक परामर्श करता है वह कम ग़लती करता है।

कहा जाता है कि दो व्यक्ति एक नदी के किनारे मछली पकड़ने में व्यस्त थे। उनमें से एक की आयु अधिक थी और वह अनुभवी व दक्ष मछुआरा था जबकि दूसरा युवा था और उसे मछली पकड़ने का बिलकुल भी अनुभव नहीं था। जब भी अनुभवी मछुआरा कोई बड़ी मछली पकड़ता उसे अपने पास रखे एक बर्तन में डाल देता था जिसमें बर्फ़ रखी हुई थी ताकि मछलियां ताज़ा रहें। उसने कुछ ही घंटों में काफ़ी मछलियां पकड़ लीं लेकिन वह अनुभवहीन युवा, जो काफ़ी घमंडी था, कोशिश कर रहा था कि उस अनुभवी मछुआरे से मदद लिए बिना ख़ुद ही कोशिश करके मछलियां पकड़ ले। घंटों बीत गए लेकिन वह एक भी मछली नहीं पकड़ पाया और उसे ग़ुस्सा आने लगा। उसने अपने कांटों में बहुत अच्छा चारा भी लगा रखा था लेकिन वह अनुभवहीन था। दूसरे मछुआरे की सफलता का राज़ बहुत गहरा नहीं था। उसने कांटे में चारा लगाने के अलावा रोटी के छोटे छोटे टुकड़े भी एक जालीदार थैली में रख कर लम्बे धागे के माध्यम से पानी में डाल रखे थे। ये टुकड़े धीरे धीरे पानी के अंदर जाते और मछलियों को अपने पास एकत्रित कर लेते थे। मछलियां रोटी के इन टुकड़ों के चक्कर में मछुआरे के कांटे में फंस जाती थीं। इस तरह उसने ढेरों मछलियां पकड़ लीं लेकिन जवान मछुआरा, उससे परामर्श न करने के कारण केवल अपना समय बर्बाद करता रहा।

हममें से अधिकतर के जीवन की कहानी भी यही है। विशेष कर किशोर व युवा, जो एक लम्बे मार्ग के आरंभ में हैं, अगर बुद्धिमान लोगों से परामर्श और सलाह को अपनी आदत बना लें तो निश्चित रूप से अपने जीवन में वे बेहतर क़दम उठाएंगे। अगर वे युवाकाल की शक्ति व उत्साह को बुज़ुर्गों की युक्तियों व अनुभवों से जोड़ दें तो यह ऐसी पारसमणि बन जाएगी जो उनके अस्तित्व के पीतल को खरे सोने में बदल देगी। यही कारण है कि धर्म के नेता व शिष्टाचार के गुरू, सभी विशेष कर युवाओं को वृद्धों व अनुभवी लोगों से परामर्श की सिफ़ारिश करते हैं। (HN)

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