May १२, २०१९ १६:३७ Asia/Kolkata

हमने बताया था कि अपनी अच्छी तरह से देखभाल वास्तव में इन्सान के ईश्वर के साथ संबंधों को भी मज़बूत करती है और इसके साथ ही शांति भी मिलती है।

कुरआने मजीद में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अल्लाह को याद करने से दिलों को शांति मिलती है। वास्तव में ईश्वर की याद का मानव जीवन में बेहद महत्व है। ईश्वर पर भरोसा रखने वालों में, जीवन के उतार चढ़ाव का मुक़ाबला करने की शक्ति अधिक होती है। कुरआने मजीद में यह भी कहा गया है कि हम ने कुरआन में जो भी भेजा है वह ईमान लाने वालों के लिए कृपा और स्वास्थ्य है।

हमारे आस पास भांति भांति की आवाज़े होती हैं जिनका हम पर अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ता है। पंछियों की आवाज़, पानी की , नदी व झरने की आवाज़ें , मन व मस्तिष्क में ताज़गी भर देती है। जब कि बहुत सी आवाज़े हमें परेशान कर देती हैं और हमारा दिल चाहता है कि वह आवाज़ या तो बंद हो जाए या फिर हम खुद वहां से चले जाएं। आजकल विशेषकर लाउडस्पीकरों से और बेहद तेज़ आवाज़ में जो भी हो , हमें बुरा लगता है।

ध्वनि एक प्रक्रिया है जो विशेष गति से हमारे कानों तक पहुंचती है और हर आवाज़ , मस्तिष्क की कोशिकाओं पर अच्छा या बुरा  प्रभाव डालती है। आवाज़ सुनने और उसे समझने की प्रक्रिया काफी जटिल है और इसमें मस्तिष्क का क्रिया कलाप काफी महत्व पूर्ण है इस लिए हर प्रकार की मानसिक समस्या मस्तिष्क की इस जटिल प्रक्रिया को प्रभावित करती है और जब इस प्रक्रिया में विघ्न उत्पन्न होता है तो उसके परिणाम स्वरूप मस्तिष्क की कोशिकाओं में एक प्रकार का असमन्वय पैदा होता है जिसकी वजह से मस्तिष्क पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है जिससे कोशिकाएं कमज़ोर होती हैं और मस्तिष्क विभिन्न प्रकार की बीमारियों के सामने कमज़ोर पड़ जाता है।

 

 वास्तव में अब यह साबित हो चुका है कि आत्मा और शरीर का एक दूसरे पर बहुत अधिक प्रभाव होता है और मानसिक रोग सीधे रूप से शरीर को प्रभावित करते हैं।  आज अध्ययनों से यह सिद्ध हो चुका है कि धमनियों के रोग, दिमागी बीमारियां , सिर दर्द, अल्सर, ह्रदय रोग , अमाशय , फेफड़ों  में समस्या, चर्म रोग जैसी बहुत सी बीमारियों में स्थाई रूप से मानसिक तनाव और अवसाद आदि की बड़ी भूमिका होती है।

 

प्रसिद्ध बुद्धि जीवी डाक्टर कार्ल लिखते हैं कि मानसिक अवस्था, सीधे रूप से शरीर पर प्रभाव डालती है जैसा कि हम सब को पता है हमारी मनोदशा, रक्त के प्रवाह को सीधे रूप से प्रभावित करती है, अधिक खुशी या शर्म, से चेहरे पर लाली दौड़ जाती है और गुस्से और डर के समय चेहरा सफेद या पीला पड़ जाता है। मानसिक तनाव, अमाशय और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और बहुत से डाक्टरों का मानना है कि दीर्घकालिक तनाव और दुख, कैंसर तक का कारण बन जाता है।

इन हालात में मनुष्य मन व मस्तिष्क तथा शरीर द्वारा दूसरों से संपर्क करके उपचार कर सकता है लेकिन इस उपचार में आध्यात्म का बड़ा हाथ है जैसा कि हम ने कार्यक्रम के आरंभ में कहा है। मनुष्य का यह संपर्क यदि किसी परलौकिक हस्ती से होता है तो उसका प्रभाव उसके शरीर व आत्मा पर अलग तरह से पड़ता है।

 

डाक्टर कार्ल कहते हैं कि ईश्वर से प्रार्थना और नमाज़, मनुष्य द्वारा अपनी आत्मा में पैदा करने वाली सब से बड़ी शक्ति है जो गुरुत्वाकर्षण की ही भांति एक ठोस सच्चाई है। ईश्वर स प्रार्थना और उसके सामने शीश नवा कर मनुष्य स्वंय को शक्ति व ऊर्जा के असीम व अनन्त स्रोत से जोड़ लेता है। यही वजह है कि ईश्वरीय धर्मों के अनुयाई , दुखों और तनाव में पवित्र ग्रंथ पढ़ कर शांति का आभास करते हैं। इस्लाम में तो औपचारिक रूप से इस पर बल दिया गया है और हर हाल में कुरआने मजीद की तिलावत का आदेश दिया गया है विशेषकर तनाव के समय तो कुरआन पढ़ने पर बहुत अधिक बल दिया गया है और कहा गया है कि ईश्वर को याद करने से मन को शांति मिलती है। 

 

वैज्ञानिकों की खोज के अनुसार हर कोशिका में मौजूद डीएनए  में निर्धारित रूप से उतार चढ़ाव और कंपन होता है। डीनएनए का यह उतार चढ़ाव ज़रूरी होता है और विरासत में मिलने वाले गुण व अवगुण इसी में होते हैं जब शरीर पर रोग और वायरस का हमला होता है कि इसका कंपन कम हो जाता है जिसे अपनी पुरानी हालत पर लाना, ध्वनि की लहरों से संभव होता है। इस लिए आज कल बहुत से चिकित्सक अनिद्रा तथा इस प्रकार के कई रोगों का इलाज , ध्वनि से करते हैं।

ध्वनि से उपचार में एक सब से अच्छा उपाय क़ुरआने मजीद की तिलावत सुनना है। विशेषज्ञों के अनुसार रोग, रोगी व्यक्ति के हार्मोन्स में समन्वय न होने की वजह से होता है और कुरआने मजीद अपनी चमत्कारिक क्षमता की वजह से शरीर व आत्मा में अदभुत समन्वय स्थापित करता है।

 

 क़ुरआने मजीद से इलाज विशेष कर इस्लामी देशों में काफी प्रचलित है। कुरआने मजीद से उपचार करने वाला, कुरआने मजीद की आयतों का प्रयोग करके रोगी के मन व आत्मा में शांति व समन्वय पैदा करता है। कुरआने मजीद से उपचार में विशेषकर मानसिक रोगों पर ध्यान दिया जाता है और रोगी के मन में शांति द्वारा बहुत से मानसिक विकारों का उपचार किया जाता है।

 

आप के लिए यह जानना रोचक होगा कि इस संदर्भ में अमरीका में अध्ययन किया गया है जिसमें यह सिद्ध हुआ है कि क़ुरआने मजीद की तिलावत सुनने से , मनुष्य के स्नायु तंत्र में परिवर्तन होते हैं और अवसाद की समस्या दूर होती है। यह अध्ययन, अमरीका में अरबी न जानने वाले अमरीकियों पर किये गये हैं। कुछ दिनों तक निरंतर कुरआने मजीद की तिलावत सुनाने के बाद जब उनके मस्तिष्क से जुड़ी मशीन को देखा गया तो उससे पता चलता कि इन लोगों पर मानसिक दबाव काफी हद तक कम हो गया है जबकि इन लोगों में से कोई भी मुसलमान नहीं था।

 

इस प्रकार से यह सिद्ध होता है कि कुरआने मजीद की तिलावत अवसाद जैसे मानसिक रोगों का अचूक इलाज है। इसके साथ ही अध्ययनों से पता चलता है कि पागल पन, ब्रेन हेमरेज और पार्किन्सन जैसे रोगों में ग्रस्त लोगों को कुरआने मजीद की तिलावत सुनाने से उनके उपचार में आसानी होती है। यह सब कुछ अध्ययनों से सिद्ध हो चुका है। इस के साथ यह भी पता चलता है कि कुरआने मजीद की तिलावत से मनुष्य में रचनात्मकता का विकास होता है और इसी प्रकार उस में सकारात्मक सोच विकसित होती है जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है कि इस्लामी देशों में जहां रमज़ान के महीने में कु़रआने मजीद की तिलावत अधिक होती है , अपराध का ग्राफ बहुत नीचे चला जाता है। यही वजह है कि कुरआने मजीद में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि इस कुरआन में  शिफा अर्थात स्वास्थ्य लाभ है। (Q.A.)