दुनिया के विख्यात कलाकार पलायन को कैसा देखते हैं?
पलायन का अर्थ होता है कि कार्य या जीवन व्यतीत करने के लिए लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर जाना।
सामान्यतः लोग निर्धन्ता, खाने की कमी, प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध, बेरोज़गारी और सुरक्षा की कमी जैसे कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर पलायन करते हैं। इसके अतिरिक्त पलायन के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक होना, अच्छी शिक्षा, अधिक आय या आवास की अच्छी सुविधाएं आदि। संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान समय में संसार में 258 मिलयन लोग पलायन का जीवन गुज़ार रहे हैं। इन लोगों की संख्या संसार की जनसंख्या का तीन से चार प्रतिशत है।
पलायन का दूसरा रूख़ भी है और वह है पलायन के दौरान विषम परिस्थितियों का सामना करना और अपने गंतव्य के स्थान पर मौत को गले लगाना। सन 2018 में पलायन के दौरान लगभग 3400 पलायनकर्ता अपनी जान से हाथ धो बैठे। पलायन की बलि चढ़ने वाले इन 3400 लोगों में से 2000 लोगों ने यूरोप में जाकर बसने का सपना देखते हुए पलायन आरंभ किया था किंतु उनका सपना साकार नहीं हो सका।
पलायन के मार्ग की बाधाओं में एक अन्य बाधा सरकारों की पलायन विरोधी नीतियां भी हैं। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पलायनकर्ताओं के विरुद्ध नीति अपनाते हुए हज़ारों बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया और इन बच्चों के माता-पिता को बड़े-बड़े पिंजरेनुमा जेल में बंद कर दिया।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में सन 2019 में पलायनकर्ताओं के बारे में अपनी नीति की घोषणा की है। ट्रम्प ने अमरीका में पलायनकर्ताओं के प्रवेष पर रोक के विरोध पर दी जाने वाली प्रतिक्रियाओं के बारे में कहा कि मैंने बहुत सी दीवारें बनाई हैं। मेरे पास पैसा बहुत है और मैने बहुत सी दीवारें बनाई हैं। क्या ट्रम्प की यह बात सही है? नहीं यह सही नहीं है क्योंकि कम पैसे के कारण ही ट्रम्प, अभी तक दीवार बनवाने में सफल नहीं हो सके हैं। इस संदर्भ में जो कुछ किया गया है वह केवल यह है कि सीमा पर बाड़ खीची गई है। अमरीका का राष्ट्रपति बनने से पहले डोनाल्ड ट्रम्प अक्सर पलायनकर्ताओं का अपमान करते और पलायन को रुकवाने की कोशिश करते रहते थे।
कैन्ज़ फ़िल्म फेस्टीवल-2019 की ज्यूरी के प्रमुख "अलेजेंडरो गोंज़ालेज़ इनरिटू" एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने ट्रम्प की कार्यवाही का विरोध किया है। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में ट्रम्प द्वारा मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि उन लोगों के बारे में डोनाल्ड ट्रम्प की नीति पूरी तरह से अत्याचरपूर्ण है जो निर्धन्ता और असुरक्षा से पीछा छुटाकर अपने जीवन को ख़तरे में डालकर पलायन करते हैं। उन्होंने कहा कि इन पलायनकर्तओं में से बहुत से एसे होते हैं जो रास्ता भटक जाते हैं जबकि कई अन्य, समुद्र में डूबकर मर जाते हैं। उनका कहना था कि यदि यही स्थिति आगे भी जारी रही तो फिर पलायनकर्ताओं का क्या होगा?

कैन्ज़ फेस्टिवल में अमरीका विरोधी वातावरण के अतिरिक्त आजकल इटली में भी एक फेस्टिवल में कलाकारों ने अमरीका सहित कुछ देशों की पलायन विरोधी नीति का विरोध करते हुए अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस फेस्टिवल में वैश्विक पलायन संकट के प्रतीक के रूप में पलायनकर्ताओं की एक नौका को पेश किया गया। इस नाव को स्वीटज़रलैण्ड के एक कलाकार ने पेश किया। यह नौका 18 अप्रैल 2015 को इटली के लांपदूसा के निकट डूबी थी जिसपर एक हज़ार से अधिक लोग सवार थे। इसको "हमारी नौका " का शीर्षक दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के पलायनकर्ता आयोग के प्रवक्ता "कारलोटा सामी" ने इटली के इस फेस्टिवल के बारे में कहा कि मैंने अपनी आखों से इस नौका पर सवार लोगों को डूबते हुए देखा है। इसपर उस समय 24 लोग सवार थे जो सबके सब युवा थे। यह घटना अप्रैल 2015 को कतानिया बंदरगाह के पास सूर्योदय के समय हुई थी। जब मैं बाद में इस बड़ी नाव के पास गया तो पानी से 800 लाशें निकाली जा चुकी थीं। इतनी ढेर सारी लाशों को देखकर मेरा मन तड़प उठा। यह दृश्य सदैव ही मेरे मन में रहेगा।
वेनिस में 15 मई को एक सम्मेलन का आयोजिन किया गया था जिसे हर दो वर्षों के बाद कराया जाता है। यह सम्मेलन नवंबर तक जारी रहेगा। इस सम्मेलन का विषय यह है कि यदि पलायनकर्ताओं को अवसर प्रदान न किया जाए तो इक्कीसवीं शताब्दी में बहुत सी योग्यताओं और क्षमताओं को बचाया नहीं जा सकेगा।
पलायन एसा विषय है जिसका किसी विशेष समय से संबन्ध नहीं है। वैसे यह भी एक वास्तविकता है कि समाजों के बनाने या उनके भीतर परिवर्तनों में पलायन की प्रभावी भूमिका रही है। यह प्रभाव वैचारिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक यहां तक कि वैज्ञानिक आयाम लिए रहे हैं। पलायन पर कला या साहित्य का अधिक प्रभाव रहा है। प्राचीनकाल से विचारों और पलायन के बीच एक गहरा संबन्ध देखा गया है। बहुत से सांस्कृतिक और कला से संबन्धित प्रभाव भी पलायन से प्रभावित रहे हैं। वास्तव में पलायन केवल एक भौगोलिक घटना नहीं है बल्कि उससे पहले वह एक आंतरिक घटना भी है। पहचान, व्यक्तित्व, स्वयं से अनजान होना, अपनों से दूरी और भाषा आदि वे विषय हैं जो पलायन से संबन्धित कला और साहित्य को बहुत ही गहराई से प्रभावित करते हैं।
वर्तमान समय में यूरोप की ओर पलायन करने वाले पलायनकर्ताओं के बारे में प्रकाशित होने वाले चित्रों ने फ़िल्मों के प्रभाव को कम कर दिया है। पलायनकर्ताओं के उन चित्रों ने, जिनमें उन्हें पलायन के दौरान होने वाली मुश्किलों का सामना करते हुए दिखाया गया है, लोगों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। अगले कुछ कार्यक्रमों में हम पलायन के बारे में बनाई जाने वाली कुछ फ़िल्मों का उल्लेख करेंगे। साथ ही इस बारे में ईरानी कलाकारों की कला को भी पेश करेंगे जिन्होंने इस विषय को एक दूसरे एंगेल से दर्शाने का प्रयास किया है।

चार्ली चैप्लिन की एक फ़िल्म "द इमीग्रेंट" के आरंभ में दिखाया गया है कि पलायनकर्ताओं का एक समुहिक जहाज़ अमरीका जा रही है जो तूफ़ानी समुद्र में फंसी हुई है। एक छोटे नटखट या आवारा के दृश्य में आने से विषय की कड़वाहट, मिठास में बदलने लगती है। फ़िल्म के पहले हिस्से में लक्ष्य तक पहुंचने के ख़तरों को दिखाया जाता है और इसके दूसरे भाग में लक्ष्य तक पहुंचने के बाद जीवन की समस्याओं और काम ढूंढने के विषय को दिखाया जाता है। फ़िल्म के दोनो हिस्सों में चार्ली चैप्लिन बहुत ही सुन्दर ढंग से यह दर्शाने का प्रयास करते हैं कि पलायनकर्ता का जीवन, समाप्त न होने वाला संघर्ष है जिसका अंत सुखद नही है।
अगले सीन में पानी के जहाज़ के न्यूयार्क से निकट होने और लिबर्टी स्टेचूयू को दिखाया जाता है जिसे देखकर लोग राहत की सांस लेते हैं किंतु तुरंत ही लोगों के साथ पुलिस के दुर्वयव्हार का दृश्य भी दिखाई देता है। छोटा नटखट या आवारा, इस फ़िल्म में पलायनकर्ताओं का आदर्श है जो परिश्रमी, ख़तरे मोल लेने वाला और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दृढ़ संकल्प रखता है।
इस फ़िल्म के बारे में चैप्लिन ने कहा था कि मैंने जितनी भी फिल्में बनाई हैं उनमें से किसी ने भी मुझे इतना अधिक प्रभावित नहीं किया जितना द इमीग्रेंट ने प्रभावित किया। द इमीग्रेंट, कमेडी की एसी लाजवाब फ़िल्म है जिसके अधिकतर दृश्य आज भी लोगों को याद हैं। उसमें लोग स्टेचूयू आफ़ लिबर्टी को देखकर भौचक्के हो जाते हैं।
पलायन के बारे में बनाई जाने वाली फ़िल्मों में से एक अन्य फ़िल्म कासाब्लांका है जिसे 1942 में बनाया गया था। हालांकि बहुत से दर्शक, इस फ़िल्म को प्यार के बारे में बनाई जाने वाली फ़िल्म समझते हैं किंतु वास्तव में कासाब्लांका, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यूरोप के युद्ध प्रभावित क्षेत्रों से किये जाने वाले पलायन पर बनी फिल्म है। इस फ़िल्म में युद्ध और प्रेम जैसे दो विरोधाभासी विषयों को मिश्रित किया गया है। इस फ़िल्म के अधिकतर कलाकार वे हैं जो युद्ध के काल में एसे राजनीतिक शरणार्थी हैं जिन्होंने नाज़ियों के भय से पलायन किया है।