Jun ०९, २०१९ १६:३५ Asia/Kolkata

वास्तव में जीना एक कला है और इस कला को सीखने के बाद मनुष्य अधिक बेहतर तरीक़े से जीवन व्यतीत कर सकता है।

अच्छे जीवन के लिए सब से पहला क़दम बुद्धिमान व विचारक होना है। अर्थात सही ढंग और अच्छे तरीक़े के जीने के लिए बुद्धि व विचार का होना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा, अन्य लोगों से और अनुभव लोगों के साथ विचार विमर्श भी मनुष्य को बहुत कुछ सिखा देता है।

 

 

चिंतन मनन, मनुष्य को, आत्मज्ञान तक पहुंचा देता है। जो स्वंय को पहचान लेता है अर्थात अपनी योग्यताओं, शारीरिक व मानसिक क्षमताओं, कमज़ोरियों , इच्छाओं  और सीमाओं को पहचान लेता है वास्तव में वह बेहतर जीवन व्यतीत करने की ओर एक क़दम बढ़ा चुका होता है।क्योंकि स्वंय को पहचानने वाला व्यक्ति, अपनी कमियों को भी जानता है और जो अपनी कमियों और कमज़ोरियों को जानता है वह उन्हें आसानी से दूर कर सकता है इसी प्रकार वह अपनी योग्यताओं को भी विकसित कर सकता है और उनमें निखार ला सकता है। इस प्रकार की बहुत सी घटनाएं हैं जिनमें कोई डाक्टर, अपनी राह छोड़ कर इतिहास की तरफ गया और प्रसिद्ध इतिहास कार बन गया। इस प्रकार की बहुत सी घटनाएं हैं। यह सब इस लिए है क्योंकि उन लोगों ने अपनी योग्यताओं को पहचाना और फिर उसी के हिसाब से आगे बढ़े और अपनी रूचि के क्षेत्र में बेहद सफल रहे।

 

 

शिक्षा और प्रशिक्षण, मनुष्य की विशेषता है। पैगम्बरे इस्लाम, अपनी एक हदीस में कहते हैं कि या तो ज्ञानी बनो या ज्ञान प्राप्त करने वाला, अपने समय को निर्रथकता में व्यतीत न करो।

 

इस्लाम धर्म अपने अनुयाइयों को विभिन्न प्रकार के ज्ञान प्राप्त करने का आदेश देता है। इस्लाम धर्म ने धर्म, क़ुरआन, नैतिकता, चिकित्सा, भौतिक शास्त्र आदि के बारे में ज्ञान प्राप्त करने का आदेश दिया है और इसके साथ ही अपने अनुयाइयों से कहा है कि वह कृषि, बागबानी, जहाज़रानी, मछली के शिकार आदि जैसे क्षेत्रों में दक्षता प्राप्त करें। इस्लाम धर्म ने इसी प्रकार आधुनिक ज्ञान प्राप्त करने पर भी बल दिया है क्योंकि इससे मानव समाज के विकास में मदद मिलती है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम का एक कथन है जिसमें वह कहते हैं कि अपने युग की संतान बनो। इस हदीस से यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है कि इस्लाम में आधुनिक और समकालीन ज्ञान को प्राप्त करने पर कितना ज़ोर दिया गया है।

 

वर्तमान युग में संपर्क व संबंध के साधन बदल गये हैं, सोशल मीडिया की वजह से क्रांति आ गयी है और इन्टरनेट ने दूरियां खत्म कर दी हैं। इन्टरनेट और सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के पहलु हैं। सूचनाओं का तेज़ी से आदान प्रदान और जनता की मालूमात में वृद्धि इस सुविधा के सकारात्मक परिणाम हैं लेकिन इसके साथ ही इस नयी और आधुनिक सुविधा ने  समाज पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। बहुत से लोग सोशल मीडिया पर अपना ढेर सारा, क़ीमती  समय बर्बाद करते हैं और इस तरह से वह स्वंय को शारीरिक व मानसिक बीमारियों के निशाने पर रखते हैं। दर अस्ल, समय ऐसी क़ीमती पूजी है जो हाथ से जाने के बाद वापस नहीं मिलती इस लिए समय को बहुत अधिक ध्यान से खर्च किया जाना चाहिए। किसी भी मनुष्य की जीवन में सफलता का काफी सीमा तक, उसके समय के इस्तेमाल से संबंध होता है।

 

 

 

शिक्षा प्राप्त करने के लिए अध्ययन की बेहद ज़रूरत होती है। निश्चित रूप से अध्ययन और सीखने से हमारे जीवन में बहुत कुछ बदल सकता है। यदि आप अध्ययन की आदत डाल लें तो फिर देखेंगे कि अध्ययन से पहले और अध्ययन के बाद आप के जीवन में कितने बदलाव आ गये। बुद्धिजीवियों का कहना है कि अध्ययन हमें ज़्यादा बेहतर और समझदार इन्सान बना देता है और हम दूसरों को ज़्यादा आसानी से समझ सकते हैं। सन 2013 में अमरीका की एमोरी यूनिवर्सिटी ने इस संदर्भ में एक अध्ययन किया है। इस शोध में अध्ययन करने वाले और अध्ययन न करने वाले लोगों के मस्तिष्क की एक दूसरे से तुलना की गयी। इस शोध के नतीजे में पता चला कि अध्ययन करने वाले का मस्तिष्क, पढ़ी गयी चीज़ों का चित्रण करता है अर्थात मस्तिष्क मानो किताब में लिखी गयी चीज़ों को दोहराता है और उनका चित्रण करता है। ब्रिटेन के प्रसिद्ध लेखक व कवि, ओलिवर गोल्ड स्मिथ किताब के अध्ययन के बारे में कहते हैं कि मैं जब पहली बार एक अच्छी किताब पढ़ता हूं तो मुझे एेसा लगता है कि जैसे मैं एक नये दोस्त से परिचित हो गया, जब मैं उसी किताब को दोबारा पढ़ता हूं तो मुझे लगता है कि जैसे मैं अपने उसी पुराने दोस्त से दोबारा मिल गया। किताब का अध्ययन भले ही एक दिन में एक ही पृष्ठ के अध्ययन तक ही सीमित क्यों न हो, मनुष्य के लिए लाभदायक होता है। अध्ययन से  मनुष्य के सामने, नयी नयी वास्तविकताएं प्रकट होती हैं।

 

अधिकांश लोगों को तकनीकी कामों में रुचि रहती है। निश्चित रूप से आप लोगों में बहुत से एेसे लोग होंगे जिनकी कभी किसी खास कला को सीखने में बेहद रूचि रही होगी लेकिन विभिन्न बाधाओं की वजह से आप वह कला नहीं सीख पाए होंगे वैसे यह भी एक सच्चाई है कि इन्सान को हर चीज़ के बारे में थोड़ी बहुत मालूमात रखना चाहिए। घर बार के कामों में थोड़ी बहुत दक्षता होनी चाहिए। अध्ययन इस बात का अवसर देता है कि हम  अपने क्षेत्र से हट कर भी विभिन्न चीज़ों के बारे में जानकारी हासिल करें। जानकारी हमेशा लाभदायक होती है।

 

 

बहुत से लोग विभिन्न कारणों और अभाव की वजह से बहुत सी चीज़ें नहीं सीख पाते या फिर रुकावट की वजह से सीखते सीखते वह क्षेत्र ही छोड़ देते हैं। वास्तव में जीवन की समस्याएं ,बहुत से लोगों की योग्यताओं में निखार की राह में बाधा बन जाती हैं। उदाहरण स्वरूप बहुत से लोग, चित्रकला में रूचि रखते हैं और उन्हें इस कला में दक्षता भी होती है किंतु साधनों की कमी के कारण वह इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाते। इस लिए जब जीवन एक संतुलन तक पहुंच जाए और इन्सान के पास साधन आ जाएं तो वह अध्ययन और किताब द्वारा अपनी बहुत सी आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकता है।

 

 

 

वास्तव में समस्याएं, कभी भी बाधा नहीं होनी चाहिए, अगर इन्सान, बैठ कर समस्याओं के बारे में ही सोचता रहे और उनका कोई समाधान न करे तो इससे कोई लाभ नहीं होने वाला। क्योंकि साधनों का अभाव और समस्याएं कोई एेसा पहाड़ नहीं जिस पर विजय प्राप्त न की जा सके। बस समस्याओं के समाधान के लिए समय की आवश्यकता होती है और थोड़े से संयम की। धैर्य, संयम और निंरतर प्रयास से पहाड़ जैसी समस्याएं भी इन्सान के रास्ते से हट जाती हैं। इन्सान में यह भावना निश्चित रूप से जीने की कला है क्योंकि जब यह भावना पैदा हो जाती है तो इन्सान समस्याओं से घबराता नहीं बल्कि उन्हें निपटाता है।

 

 

 

निश्चित रूप से एक नयी कला सीखना, एक नये क्षेत्र की यात्रा की तरह होता है इस लिए जिस तरह से हम किसी नये देश किसी नयी जगह यात्रा से पहले, उस जगह की यात्रा कर चुके लोगों से वहां के बारे में जानकारी लेते हैं उसी तरह कोई नयी चीज़ सीखने के लिए हमें दूसरों से सहायता लेना चाहिए। यह सीखने के लिए बहुत ज़रूरी क़दम है और इससे सीखने की गति तेज़ होती है और इन्सान सही तरीक़े से सही चीज़ सीखता है।

 

 

 

सीखने वाले को यह  भी याद रखना चाहिए कि सीखने के लिए रूचि बेहद ज़रूरी तत्व है और रुचि के साथ साथ, धैर्य और संयम भी ज़रूरी है। इन्सान को यदि किसी कला में रूचि होती है तो उसका दिल चाहता है कि पलक झपकते ही वह उसे सीख ले और जब सीखने में समय लगता है , जो कि स्वाभाविक है , तो उसका मन हट जाता है और उसकी रुचि खत्म हो जाती है। इस लिए कुछ भी सीखने के लिए उतावला पन नहीं करना चाहिए क्योंकि जल्दबाज़ी से कुछ भी हासिल नहीं होता। जल्दबाज़ी अक्सर, नाकामी तक पहुंचा देती है।

 

 

जीवन में आने वाली समस्याओं से निपटने का एक तरीक़ा सामूहिक कार्य है। सामूहिक रूप से काम करने से हम एक दूसरे की दक्षता से लाभ उठते हैं, काम के साथ ही साथ एक दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं और एक दूसरे को देख कर हमें प्रोत्साहन भी मिलता है। इसी लिए टीम वर्क का बहुत महत्व है और खेल हो या काम, अगर टीम वर्क अच्छा है तो फिर निश्चित रूप से नतीजा भी बहुत अच्छा होता है। टीम वर्क के लिए टीम के सदस्यों का चयन भी  बेहद अहम होता है जिस टीम में जितने योग्य लोग अधिक होंगे उस टीम की सफलता की आशा उतनी ही अधिक होगी।

 

 

 

कोई भी कला सीखने के लिए अध्ययन के साथ साथ अभ्यास भी बहुत ज़रूरी होता है इसके लिए आज कल क्लासेस होती हैं जिनमें जाकर अपनी योग्यताओं को परवान चढ़ाया जा सकता है। वैसे कला सीखने में आत्मविश्वास की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, आत्मविश्वास और सफलता , एक दूसरे का अभिन्न भाग हैं। आत्मविश्वास से सफलता मिलती है और सफलता से आत्मविश्वास पैदा होता है। यह सब कुछ इन्सान को जीने की कला में दक्ष करता है और मनुष्य इन सब चीज़ों की मदद से अपना जीवन संवार सकता है। यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो का कहना है कि , प्रकृति ने हम सब में एक जैसी योग्यताओं नहीं पैदा की हैं बल्कि योग्यताएं अलग अलग हैं कुछ किसी एक काम के योग्य होते हैं कुछ दूसरे काम के।

 

हमें यह सच्चाई नहीं भूलना चाहिए अपने बारे में और अपने बच्चों के बारे में निर्णय लेने से पहले यह ज़रूर सोचना चाहिए कि हमारी या हमारे बच्चों की योग्यता क्या है (Q.A.)

 

 

 

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