Jun २४, २०१९ १२:५२ Asia/Kolkata

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों पर आधारित मशहूर किताब उसने ‘काफ़ी’ में हज़रत अली अलैहिस्सलाम के एक कथन को पेश किया है जिसमें हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः अगर कोई व्यक्ति यह समझता है कि वह कल तक ज़िन्दा रहेगा तो उसने मौत को नहीं पहचाना। अगर कोई यह सोचता है कि आने वाला काल उसके जीवन का हिस्सा है।

तो उसने मौत को नहीं पहचाना।

इसी तरह आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई नीतिशास्त्र के अपने एक अन्य लेक्चर में उसूले काफ़ी के उस कथन को पेश करते हैं जिसमें हज़रत जिबरईल ने पैग़म्बरे इस्लाम से कहाः हे मोहम्मद आप जितना चाहे ज़िन्दगी करें अंततः एक दिन मौत आनी है। जिस चीज़ से मोहब्बत कीजिए एक दिन वह आप से जुदा हो जाएगी। जो भी कर्म करेंगे वही काम आयेगा।

इस दुनिया में इंसान जिन चीज़ों को पसंद करता है, चाहे वह औलाद हो या दूसरा चीज़ें, जान ले कि एक न एक दिन उसमें और उसकी पसंददीदा चीज़ के बीच जुदाई होने वाली है।

इसी तरह हज़रत जिबरईल के कथन के इस टुकड़े में कि जो भी कर्म करेंगे, वही काम आयेगा तत्वदर्शिता निहित है।

क़यामत या प्रलय के दिन इंसान ने जो भी काम इस नश्वर संसार में किया होगा, उसे वह अपनी आंखों से देखेगा। जैसा कि पवित्र क़ुरआन में आया है कि जिसने भी राई के दाने के बराबर कोई भलाई की होगी उसे देखेगा जिसने भी राई के दाने के बराबर बुराई की होगी उसे देखेगा।

जी हां हम इस दुनिया में जो भी कर्म करते हैं उसका वास्तविक रूप हमें प्रलय में दिखाई देगा।

 

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