Jul १४, २०१९ १५:५३ Asia/Kolkata

हमने बैठी हालत में दिनचर्या और क्रॉनिक अर्थात जीर्ण बीमारियों के बीच संपर्क की ओर इशारा किया।

आज यह बात साबित हो चुकी है कि बैठा रहना या शारीरिक मेहनत न करना उतना ही घातक है जितना बीड़ी सिगरेट पीना। शोध के अनुसार, शारीरिक मेहनत न करना या बैठा रहना मधुमेह-2, हृदय से जुड़ी बीमारियां और कई तरह के कैंसर ख़ास तौर पर आंत का कैंसर होने और इसके परिणामस्वरूम होने वाली मौत के पीछे बहुत बड़ा कारण है। इस आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का सुझाव है कि 18 से 64 साल की उम्र के लोग हफ़्ते में कम से कम 2 घंटे हल्की शारीरिक और 1 घंटा कड़ी शारीरिक गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

लोग, कसरत और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में ये सब बातें जानने के बावजूद, कसरत न करने के लिए बहाने तलाश करते हैं। जैसे वक़्त, हिम्मत या ऊर्जा न होने का बहाना पेश करते हैं। हालांकि स्वास्थ्य के लिए कसरत को अपनी दिनचर्या शामिल करना चाहिए जिस तहर हम दूसरी चीज़ों को ज़रूरी समझते हुए दिनचर्चा में शामिल करते हैं यहां तक कि वे आदत बन जाती हैं। अगर हम कसरत के लिए हिम्मत पैदा करना और न करने के बहाने से बचना चाहते हैं तो उसे गुट में अंजाम देने की कोशिश करनी चाहिए। शोध के अनुसार, अगर दो या दो से ज़्यादा लोग गुट बनाकर कसरत करते हैं तो वह अकेले कसरत करने से बेहतर है। कभी दोस्त के साथ कसरत करने से व्यक्ति में प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होती है और उसे अधिक शारीरिक गतिविधि के लिए प्रेरित करती है। इसी तरह गुट बनाकर कसरत करने से सामाजिक संबंध बेहतर होते हैं, प्रतिबद्धता की भावना पैदा होती है, कसरत की मुद्राएं इंसान सही तरीक़े से अंजाम देता है और निश्चित समय का निर्धारण सामूहिक कसरत के लाभ हैं।

विभिन्न प्रकार की कसरतें, कसरत को जारी रखने के लिए प्रेरणा का काम करती हैं। विविधतापूर्ण कसरतों से एक ओर मस्तिष्क अच्छी तरह काम करता है तो दूसरी ओर विभिन्न हालात के लिए शरीर की तय्यारी बढ़ जाती है। कसरत में विविधता के संबंध में एक अहम बिन्दु यह है कि हमें अपनी स्थिति के अनुरूप कसरत करनी चाहिए। बॉडी बिल्डिंग के विशेषज्ञों का मानना है कि जल्दबाज़ लोग कि जिनके लिए समय की समस्या है, चाहिए कि भारी कसरत करें ताकि कम से कम वक़्त में कसरत कर सकें। बेहतर है वार्म अप के बाद तीन मिनट तक एक जगह पर खड़े होकर दौड़ने की मुद्रा अपनाएं और फिर अपनी पसंद की एरोबिक कसरत करें। इस तरह की कसरत में साइकिल चलाना, दौड़ना इत्यादि शामिल है। इस काम से न सिर्फ़ यह कि कम समय में कसरत हो जाएगी बल्कि जल्दबाज़ लोग अपने शरीर की ऊर्जा भी निकाल सकेंगे।

कसरत और शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में एक और अहम बिन्दु कसरत का समय है। कुछ लोगों का मानना है कि कसरत को आदत का रूप देने के लिए ज़रूरी है कि लोग सुबह सवेरे कसरत करें। क्योंकि यह वह वक़्त होता है जब दूसरे कार्यक्रम कसरत में रुकावट नहीं बन सकते। लेकिन इस बिन्दु पर ध्यान देने की भी ज़रूरत है कि सुबह सवेरे शरीर का तापमान कम होता है इसलिए वार्म अप के लिए अधिक वक़्त की ज़रूरत होती है। कुछ और विशेषज्ञों का मानना है कि कसरत के लिए उचित समय का चयन उसके प्रकार पर निर्भर होता है। मिसाल के तौर पर वेट लिफ़्टिंग के लिए दोपहर के बाद का समय उचित नहीं है जबकि इसके विपरीत एरोबिक्स कसरत के लिए दोपहर बाद का समय अधिक उचित है।

शोध के अनुसार, कसरत अगर कम की जाए तब भी इससे स्मरण शक्ति बेहतर होती है। यह प्रभाव उस समय बढ़ जाता है, जब हफ़्ते में 3 बार कसरत करें। अमरीका की ओर्गन हेल्थ ऐन्ड साइंस यूनिवर्सिटी में हुए शोध से यह तथ्य सामने आया है कि जिन वृद्ध लोगों ने हफ़्ते में 3 बार एक घंटे तक ड्रेड मिल पर तेज़ चलने सहित विभिन्न प्रकार की कसरत चार महीने तक की, उनकी स्मरण शक्ति और किसी घटना पर प्रतिक्रिया देने की क्षमता बेहतर हुयी। इसी तरह इस शोध से यह तथ्य भी सामने आया कि हलके दौड़ने, पैदल चलने, साइकिल चलाने और तेज़ चलने से भी लोगों की स्मरण शक्ति बेहतर हुयी और उनमें किसी घटना पर प्रतिक्रिया देने की क्षमता भी बेहतर हुयी।

कसरत न सिर्फ़ मांसपेशी मज़बूत होती है बल्कि इससे दिमाग़ को भी बहुत फ़ायदा पहुंचता है। कसरत से शरीर में ख़ून का दौरान अच्छा रहता है साथ ही मस्तिष्क में ख़ून का दौरान बढ़ने से मस्तिष्क के सिकुड़ने की प्रक्रिया धीरी हो जाती है जो आम तौर पर 40 साल की उम्र से शुरु होती है। ख़ून का दौरान बढ़ने से मस्तिष्क के न्यूरोन का पोषण होता है, उसमें ऑक्सीजन अच्छी तरह पहुंचती है और मस्तिष्क की धमनियां नहीं सिकुड़ती। कसरत से न्यूरोन मज़बूत होते हैं। इसी तरह कसरत से बड़ी हद तक अल्ज़ायमर और पार्किन्सन जैसी बीमारियों की पूर्व रोकथाम की जा सकती है।

शिकागो यूनिवर्सिटी में हुए शोध के अनुसार, शोधकर्ताओं को शोध में यह बात पता चली कि जो लोग दफ़्तर के काम के बाद कसरत करते हैं, वह सुबह कसरत करने वालों की तुलना में, उनका शरीर अधिक सुडौल बनता है। इस शोध के अनुसार, जिन लोगों ने शाम के वक़्त कसरत की उनके शरीर में कोर्टिज़ोल और थाइरोट्रोपिन हार्मोन में काफ़ी वृद्धि देखी गयी और इसके विपरीत रक्त में शर्करा की मात्रा कम हुयी। कोर्टिज़ोल और थाइरोट्रोपिन हार्मोन में वृद्धि और शर्करा की मात्रा में कमी का अर्थ यह है कि आपका शरीर मेटाबोलिक सिस्टम सुव्यवस्थित कसरत के अनुकूल हो गया है। इसी वजह से कुछ शोधकर्ता दोपहर बाद कसरत को सुबह कसरत करने पर वरीयता देते हैं।

कसरत पर हुए शोध के अनुसार, ख़ास तौर पर एरोबिक कसरत करने का अवसाद सहित अनेक बीमारियों से छुटकारा मिलने में बहुत बड़ा रोल माना जाता है। रोज़ाना 30 मिनट की कसरत, अवसाद को दवाओं और मानसिक उपचार जैसी शैलियों की तरह कम करती है। कसरत से एन्डॉर्फ़िन नामी हार्मोन बढ़ता है और इंसान ख़ुद को ख़ुश महसूस करता है। इसी तरह कसरत से सोरोटोनिन नामी हार्मोन भी बढ़ता है जिसका इंसान के व्यवहार पर असर पड़ता है।संगीत

एक सवाल यह भी है कि कितनी मात्रा में कसरत स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। इस सवाल का जवाब यह है कि कसरत की मात्रा हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती। कसरत की मात्रा व्यक्ति के शारीरिक वज़्न और उसकी स्थिति के अनुसार बदलती है। जिनके शरीर का वज़्न संतुलित है, उनके लिए हर दिन 30 मिनट कसरत काफ़ी है ताकि विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त होने की संभावना कम हो जाए और वे अधिक स्वस्थ जीवन बिता सकें। जिन लोगों का वज़्न सामान्य से ज़्यादा था और उन्होंने वज़्न कम कर लिया है, उन्हें अपने वज़्न को कम व नियंत्रित करने के लिए एक घंटा कसरत करनी चाहिए, लेकिन अगर आप अपने वज़्न में कमी को स्थिर रखना चाहते हैं तो आपके लिए 90 मिनट कसरत करना बेहतर रहेगा।

इसी तरह शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपनी कार्यसूचि में उन कामों को शामिल करें जिन्हें अंजाम देने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय होने की ज़रूरत पड़ती है। फिर इन गतिविधियों को परिवार के सदस्यों या दोस्तों के बीच अंजाम दें। जैसे परिवार के सदस्यों या दोस्तों के साथ पैदल चलना। या अपने बच्चों के साथ पार्क जा रहे हैं तो बेंच पर बैठने के बजाए बच्चों के साथ उनके खेल में शामिल हो जाएं। इसी तरह अपनी कार को दूर पार्क करें ताकि बाक़ी रास्ता पैदल चलें, या इसी तरह के दूसरे कार्यक्रम।

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