Jul २९, २०१९ १६:०५ Asia/Kolkata

मनुष्य के जीवन में स्वास्थ्य का महत्व बहुत अधिक है।

 जीवन का मज़ा भी वे लोग ही लेते हैं जो स्वस्थ रहते हैं।  वास्तव में जिस व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है वह बहुत भाग्यशाली है।  अगर किसी इन्सान के पास बहुत धन है किंतु वह अस्वस्थ है तो वह जीवन का आनंद नहीं उठा सकता।  एसा व्यक्ति अपने धन से कोई लाभ नहीं प्राप्त कर सकता।  यदि कोई बीमार है तो फिर वह अयोग्य, अशिक्षित और उपेक्षित सबकुछ हो सकता है।  बीमार इन्सान न केवल यह कि स्वयं दुखी रहता है बल्कि उससे दूसरे लोग भी परेशान रहते हैं।  कहते हैं कि बीमार इन्सान से कई प्रकार की रूकावटें पैदा होती हैं और वह समाज की उन्नति में बाधा होता है।  इतिहास बताता है कि कोई भी देश या समाज उसी समय प्रगति कर सकता है जबकि उसके नागरिक स्वस्थ हों।  जो भी स्वस्थ्य है वह वास्तव में भाग्यशाली है।  किसी के पास अगर ज्ञान है किंतु वह बीमार है तो वह अपने ज्ञान से लाभ न उठा सकता और न ही दूसरे उसके ज्ञान से लाभान्वित हो सकते हैं।  इसीलिए कहा जा सकता है कि यदि स्वास्थ्य नहीं है तो जीवन व्यर्थ है।  स्वास्थ्य को सुख की कुंजी भी कहा जाता है।  मनुष्य को सदा स्वस्थ रहने के प्रयास करना चाहिए।

भोजन का मनुष्य के स्वास्थ्य से सीधा संबन्ध है।  मनुष्य बहुत पहले इस बात को समझ चुका है कि उचित और संतुलित भोजन का प्रयोग करके लंबे समय तक स्वस्थ्य रहा जा सकता है।  चिकित्सकों का कहना है कि हम जो भोजन करते हैं उसी से हमारा शरीर बनता है।  हम अपने दैनिक जीवन में थोड़ा बहुत परिवर्तन करके स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं।  परिवर्तन ऐसी चीज़ है जिसके लिए निरंतर प्रयास और दृढ संकल्प की आवश्यकता होती है।  सकारात्मक परिवर्तन उन पौधों की भांति हैं जो आरंभ में मन-मस्तिष्क में अपनी जड़े फैलाते हैं और फिर अपने सकारात्मक परिणामों को मनुष्य के जीवन में पैदा करते हैं।  यदि हम आलस्य और नकारात्मक सोच के माध्यम से स्वयं को निराश कर लें तो फिर अपने जीवन में किसी भी प्रकार के परिवर्तनों को नहीं देख पाएंगे।  हम ईश्वर पर भरोसे और अपने भीतर पाई जाने वाली क्षमताओं के माध्यम से जीवन में एक नए अध्याय का आरंभ कर सकते हैं।  विकास एवं प्रगति के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा निराशा है।  इस्लाम ने निराशा को पाप बताया है।  जब कभी भी हमारे जीवन में निराशा आ जाए जो हमें आशा के माध्यम से नए परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करने चाहिए।

स्वस्थ रहना जीवन का सबसे बड़ा सुख है।  सुख के इस महत्व को स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में अस्वस्थ या बीमार अच्छी तरह से समझता है।  एक स्वस्थ व्यक्ति के अधिकार में ऐसी महान विभूति या अनुकंपा होती है जिसके महत्व को वह स्वयं उचित ढंग से समझ नहीं पाता किंतु जब उसे बीमारियां घेर लेती हैं तो पता चलता है कि वास्तव में स्वास्थ्य क्या है।  कोई व्यक्ति अपने जीवन का पूरा आनंद उसी समय उठा सकता है जब वह शारीरिक रूप में स्वस्थ्य हो।  इसीलिए शरीर को स्वस्थ्य रखना हमारा पहला कर्तव्य है।  स्वास्थ्य ऐसा अनमोल रत्न है जिसका महत्व उसी समय मालूम होता है जब वह खो जाता है।

संसार के हर जीव का जीवन भोजन पर निर्भर करता है।  स्वस्थ्य रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।  हम जो भोजन करते हैं उससे हमारा शरीर बनता है।  भोजन शरीर में पहुंचने के बाद उसे ऊर्जा देता है।  भोजन, शरीर में नए सेल्स बनाता है।  खाए हुए भोजन से मनुष्य को ऊर्जा मिलती है।  स्वस्थ जीवन का संबन्ध अच्छे भोजन से होता है।  अच्छे भोजन से मनुष्य अपने जीवन को सही रख सकता है।  उत्तम स्वास्थ्य के लिए भोजन करते समय इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि हम उतना ही खाना खाएं जितना आसानी से पचा सकें।  भोजन में मनुष्य को सभी विटमिन्स को शामिल करना चाहिए।  सही तरीक़े के भोजन से मनुष्य स्वस्थ रहता है और बीमारियों से दूर रहता है।  पौष्टिक भोजन, मनुष्य के शरीर को जो ऊर्जा देता है उसके माध्यम से वह अपने जीवन के दैनिक काम करता है।  पौष्टिक भोजन मनुष्य के शरीर के साथ ही उसके मन को भी प्रभावित करता है।  स्वस्थ्य रहने का सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि प्राकृतिक नियमों का पालन किया जाए, कठोर शारीरिक परिश्रम किया जाए और पौष्टिक भोजन लिया जाए।

 

स्वस्थ्य जीवन व्यतीत करने के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है।  मनुष्य के शरीर को विभिन्न प्रकार के खाध पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है।  संतुलित आहार उस भोजन को कहा जाता है जिसमें प्रचुर मात्रा में मानव शरीर के लिए पोषक तत्व पाए जाते हों।  वे तत्व जो मन और मस्तिष्क के बीच में संतुलन बनाए रखें।  इनमें हरी सब्जियां, दालें, फल, सूखे मेवे, दूध, अनाज और मांस आदि सभी शामिल हैं।  संतुलित आहार महत्वपूर्ण होता है क्योंकि किसी व्यक्ति के अंगों और ऊतकों को प्रभावशाली ढंग से काम करने के लिए उचित पोषण की आवश्यकता होती है।  अच्छे पोषण के बिना मनुष्य के शरीर में बीमारी, थकान, संक्रमण और इसी प्रकार की कमियों की संभावना अधिक बनी रहती है।  स्वस्थ एवं संतुलित आहार न केवल मनुष्य को स्वस्थ रखता है बल्कि उसे मन को भी प्रभावित करता है।  हम जो भी भोजन खाते हैं उसी से हमारा शरीर बनता है।

आजकल एक चीज़ बहुत तेज़ी से प्रचलित होती जा रही है वह है फास्ट फूड का चलन।  आधुनिक युग मे फास्टफूड, जीवनशैली का भाग बनता जा रहा है।  बच्चों से लेकर बड़े सबही इसका शिकार दिखाई दे रहे हैं।  पार्टी, विवाह या किसी अन्य आयोजन में जो खाना परोसा जाता है उसमें फास्टफूड सबसे पहले दिखाई देने लगा  है।  फास्टफूड से जहां मोटापा बढ़ता है वहीं पर इससे तरह-तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं।  इसके खाने से मनुष्य का शरीर, बीमारियों का घर बनता जाता है।  फास्टफूड, शरीर के साथ ही साथ मनुष्य के दिमाग़ पर भी प्रभाव डालता है।  फास्टफूड खाने से सामान्यतः कई प्रकार की बीमारियां जन्म लेती हैं जैसे मोटापा, दिल की बीमारियां, कैंसर, किडनी की बीमारी, तनाव, थकान, डायबिटीज़ और इसी प्रकार की बहुत सी अन्य बीमारियां।  फास्टफूड मनुष्य के शरीर के साथ ही साथ उसके दिमाग़ को भी क्षति पहुंचाता है अतः हमें इस भोजन से पूरी तरह से बचना चाहिए।  वर्तमान समय में वैसे तो इसका चलन बहुत ही तेज़ी से बढ़ रहा है लेकिन समझदार लोग इसे त्याग रहे हैं।  यदि हम भी फास्टफूड का प्रयोग करते हैं तो हमको भी फास्टफूड को त्याग कर संतुलित भोजन को अपनाना चाहिए।  अपनी डाइट में हमें ताज़े फल, हरी सब्जियां और पौष्टिक तत्व शामिल करने चाहिए।

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