Aug ०५, २०१९ १६:२२ Asia/Kolkata

हमने आपको व्यक्ति के स्वास्थ्य पर व्यक्तिगत सफ़ाई और पौष्टिक आहार के फ़ायदे के बारे में बताया था।

हमने आपको यह भी बताया था कि एक अच्छे और बेहतर जीवन के लिए अच्छे आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यदि स्वास्थ्य के बिन्दुओं का ध्यान रखा जाए तो हमारा जीवन अच्छा रहेगा।

जीवन-उपवन में खुशियों के फूल और सुख का सौरभ तभी बिखरता है, जब शरीर सुन्दर, स्वस्थ और नीरोग होता है। जीवन संघर्ष में, जीवन यात्रा में, सफलता की चोटियों पर तभी पहुंच सकते हैं जब शरीर शक्ति और उत्साह से भरा होता है। मनुष्य को शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना पड़ता है। इससे शक्ति का क्षय होता है। इसकी पूर्ति होने पर ही पुन: क्रियाशील होना सम्भव होता है। शरीर की तुलना इंजन से की जा सकती है, जो उसी स्थिति में क्रियान्वित होता है जब उसे ऊर्जा प्राप्त होती है। केवल पोषक तत्व खाने पर ही शरीर स्वस्थ और बलशाली नहीं होता है अपितु इसके लिए अन्य साधन भी अपनाने पड़ते हैं और इन्हीं साधनों में व्यायाम भी प्रमुख और अनिवार्य साधन है। अर्थात वह कार्य जिससे शरीर सुदृढ़ होता है जिससे बल बढ़ता है, उसे व्यायाम कहते हैं। स्पष्ट है कि व्यायाम का अर्थ उन शारीरिक क्रियाओं से है जिनके द्वारा शरीर नीरोग रहता है, बल की वृद्धि होती है तथा मस्तिष्क संतुलित रहता है।

एक दो तीन, इसी आसानी और सरलता से अपना व्यायाम शुरु करें।  बेहतर है कि व्यायाम करने से पहले अपने शरीर को वार्म अप के ज़रिए हल्का से गर्म करें और यह काम लगभग हर दिन ही करना है और यदि आप में इस विषय को लेकर रुचि पैदा हो गयी तो आप जल्दी ही व्यायाम के क्षेत्र में दक्षता हासिल कर लेंगे। आलस्य को अपने से दूर करें और अपने शरीर को बेहतर बनाने और जीवन में उन्नति के लिए अपने प्रयास शुरु कर दें। आम तौर पर गतिशीलता जीवन के लिए आवश्यक है।

 

व्यायाम का कोई एक विशेष रूप नहीं होता, अपितु शरीर के अनुसार ही व्यायाम करना उचित होता है। व्यायाम में आयु का विशेष ध्यान रखा जाता है। बच्चों के लिए रस्सी कूदना, विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, व्यायाम के रूप हैं। जिमनास्टिक, तैराकी जैसे खेल भी व्यायाम के ही स्वरूप हैं। बच्चों के शरीर में विकास और वृद्धि तीव्र गति से होती है। अत: व्यायाम के द्वारा शरीर का विकास संतुलित रूप में हो सकता है। बच्चों के शरीर की अस्थि और माँस-पेशियां अपेक्षाकृत अधिक लचकदार होती है अत: वे सहजता से मुड़ सकती हैं। भार-तोलन जैसे व्यायाम में विशेष सावधानी रखना आवश्यक होती है। इसी प्रकार बच्चों के लिए दौड़ना भी व्यायाम का ही रूप है। युवावस्था में विभिन्न प्रकार के व्यायाम किए जा सकते हैं। खिलाड़ियों को भी व्यायाम की आवश्यकता होती है ताकि वे अपने शरीर का संतुलन बना कर रख सकें। इस अवस्था में योगाभ्यास के अतिरिक्त सभी प्रकार के खेलकूद, व्यायाम इस प्रकार के होने चाहिए जिसमें अधिक शरीरिक श्रम न करना पड़े। प्रात:काल का भ्रमण इस अवस्था के लिए सबसे अधिक उपयोगी व्यायाम है।

कहते हैं कि शारीरिक अक्षमता और मानसिक दबाव, जल्दी बुढ़ापे और आलस्य का कारण बनता है जबकि उचित व्यायाम और आहार तथा गतिशीलता, स्वस्थ्य जीवन का राज़ है। लंबी उम्र, सुरक्षित दिल, मांस पेशियों में मज़बूती, व्यायाम के साथ अवसाद और दबाव से दूरी से ही प्राप्त हो सकती है।

कहते हैं कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में पुरी दुनिया में व्यायाम पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। बहुत से लोग विशेषकर युवा वर्ग व्यायाम में रुचि रखते हैं और इनमें से कुछ लोग दक्षता के साथ व्यायाम करते नज़र आते हैं। कुछ लोग व्यायाम में दक्ष होते हैं और वह बड़ी महारत से व्यायाम करते हैं जबकि कुछ लोग व्यायाम के शौक़ीन होते हैं।  कुछ लोग व्यायाम और उसे जुड़े कार्यक्रम टेलीवीजन में देखना पसंद करते हैं जबकि कुछ लोग बाडी बिल्डिंग शो देखते हैं। कुछ लोग जीवन के सामान्य कार्यक्रम के साथ ही व्यायाम को भी महत्व देते हैं। यूं कहा जा सकता है कि व्यायाम बेहतरीन जीवन का एक प्रोग्राम है।

मनुष्य के स्वास्थ्य और उसकी आत्मा तथा सामाजिक सुरक्षा पर व्यायाम के पड़ने वाले प्रभाव तथा इसके प्रति लोगों में पाई जाने वाली रुचि के दृष्टिगत सरकारों की ओर से व्यायाम और एक्सरसाइज़ के बहुत से स्थान बनाए हैं। पूरी दुनिया विशेषकर विकसित देशों में मंत्रालय और नगर पालिका स्टेडियम बनाने, व्यायाम स्थल के निर्माण तथा प्लेग्राउंड बनाने में बहुत अधिक पैसे ख़र्च करती है जबकि रेडियो, टेलीवीजन, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में व्यायाम या खेलकूद के पेज या स्पोर्ट्स समाचार और मैगज़ीन इत्यादि भी होती है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि खेल कूद या व्यायाम ऐसा विषय है जिस पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है। पूरी दुनिया में दो ही खेल ऐसे हैं जिनको बहुत अधिक पसंद किया जाता है, एक फ़ुटबॉल और दूसरा क्रिकेट।

व्यायाम केवल पुरुषों के लिए नहीं होते है अपितु स्त्रियों के लिए भी विशेष प्रकार के व्यायाम उपयोगी होते हैं। केवल घर के काम करने से ही अथवा नित्य प्रति काम करने से व्यायाम नहीं होता। किसान जो अपने खेतों में हल चलाता है तथा मज़दूर हमेशा शारीरिक श्रम करता है, को भी व्यायाम की आवश्यकता होती है। व्यायाम के लिए किसी निश्चित समय का होना आवश्यक है। दिन-भर व्यायाम नहीं किया जा सकता तथा भोजन करने के तुरन्त बाद भी उचित नहीं होता।

व्यायाम करने से पूर्व तथा पश्चात् कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए जैसे भरे हुए पेट के बाद व्यायाम करना हानिकारक होता है। इसी प्रकार व्यायाम करने के तुरन्त बाद स्नान करना शरीर के लिए हानिकारक होता है। व्यायाम करने में लगातार घंटा अथवा दो घंटे का समय भी लगाना उचित नहीं होता। कुछ समय बाद थोड़ा-सा विश्राम करना श्वसन प्रणाली के लिए लाभदायक होता है। जब साँस फूलने लगती है तब विश्राम करना आवश्यक होता है। इससे फेफड़ों पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। शरीर पर मालिश करने से भी शरीर लचकदार बनता है तथा माँसपेशियाँ सरलता से गतिशील होती है। विशेष प्रकार के व्यायामों में विशेष प्रकार की सावधानियों को ध्यान में रखा जाता है। व्यायाम करते हुए यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि अनावश्यक रूप से अधिक शक्ति का प्रयोग न किया जाए।

व्यायाम के लाभों को अंगुलियों पर गिनना सम्भव नहीं है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि व्यायाम तन, मन तथा मस्तिष्क के लिए प्रत्येक पहलू से उपयोगी होता है। जहां तक तन का प्रश्न है व्यायाम के द्वारा शरीर सुगठित होता है। मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं। चेहरे पर कान्ति तथा तेज़ उत्पन्न होता हैं। शरीर में अनेक प्रकार की जो व्याधियां उत्पन्न होती है वे व्यायाम के द्वारा दूर हो जाती हैं। पेट के रोग, अपच की शिकायत उन लोगों को अधिक होती है जो अधिकतर बैठे रहते हैं और कोई शारीरिक श्रम नहीं करते। जैसे-दर्जी, मोची आदि। ये लोग यदि नित्य प्रति समय निकाल कर व्यायाम करें तो इनके शरीर को बीमारियां नहीं घेर सकती हैं।

व्यायाम के द्वारा रक्त-संचार ठीक प्रकार से होता है। इसलिए शरीर में स्फूर्ति रहती है, मन में उत्साह रहता है तथा किसी भी कार्य को करने के लिए व्यक्ति तत्पर रहता है।

प्राय: देखा जाता है कि लोगों का शरीर अधिक चर्बी बढ़ने से अनावश्यक रूप से मोटा हो जाता है। इस प्रकार का मोटापा आ जाने से सांस फूलने लगती है तथा चलना-फिरना, उठना-बैठना कष्टदायक सिद्ध होता है।

व्यायाम करने से शरीर में पसीना आता है तथा विभिन्न प्रकार के अनावश्यक पदार्थ जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं पसीने के साथ बाहर निकल आते हैं। इस प्रकार शरीर स्वस्थ रहता है। रोम छिद्र के खुल जाने से पसीना सरलता से आ जाता है।

 

व्यायाम अलग - अलग प्रकार के हो सकते हैं । बूढ़े और अशक्त लोगों के लिए प्रात: या शाम के समय तेज चाल में टहलना अच्छा व्यायाम हो सकता है । बच्चे और युवा दौड़ लगा सकते हैं या दंड-बैठक कर सकते हैं । साइकिल चलाना, तैरना, मुगदर भांजना, गोला फेंकना, जैवलिन थ्रो ( भाला फेंकना) आदि व्यायाम के ही विभिन्न रूप हैं । विभिन्न आयुवर्ग के लोग अपनी सुविधा और पसंद को देखते हुए व्यायाम के उचित रूप का चुनाव कर सकते हैं । शहरों में व्यायाम करने वालों की सुविधा के लिए व्यायामशालाओं की स्थापना की गई है । यहाँ व्यायाम करने के लिए अनेक प्रकार के उपकरण होते हैं । युवा यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं।

इस्लाम की नज़र में हर व्यक्ति के जीवन में व्यायाम का बहुत महत्व है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्ल्लाहो अलैह व आले ही व सल्लम का कहना है  कि तुम्हारे पालनहार का तुम पर कुछ हक़ है और तुम्हारे शरीर का भी कुछ तुम पर हक़ है और परिवार का भी तुम पर कुछ हक़ है।

इस मूल्यवान हदीस से जो चीज़ समझ में आती है वह यह कि पैग़म्बरे इस्लाम शरीर और बदन के मूल्य को बताना चाहते हैं और यह कहना चाहते हैं कि शरीर का हक़ पालनहार और परिवार के हक़ के समान  और यहां तक कि उससे पहले ही उल्लेख किया है। हदीस हमसे कहती है कि मनुष्य अपने पालनहार और अपने परिवार का हक़ अच्छी तरह से उसी समय अदा कर सकता है जब वह स्वस्थ्य शरीर का मालिक हो। (AK)

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