Aug १४, २०१९ १५:१२ Asia/Kolkata

हमने बताया था कि व्यायाम इंसान के सक्रिय और उत्साहपूर्ण जीवन का एक  महत्वपूर्ण घटक है।

व्यायाम के माध्यम से हम जहां स्वास्थ्य हासिल कर सकते हैं वहीं लंबी आयु और सशक्त शरीर के स्वामी भी बनेंगे। इस प्रकार हम अपने आपको एक बेहतर जीवन के लिए तैयार कर सकते हैं।

आपके लिए यह जानना भी रोचक होगा कि इंसान किसी भी उम्र का हो वह व्यायाम कर सकता है तथा इसके स्वास्थ्य संबंधी लाभों से फ़ायदा उठा सकता है। यदि आप उन लोगों में से हैं जो यह धारणा रखते हैं कि व्यायाम तो जवानी और जवानों की चीज़ है अब यदि आप उस उम्र में व्यायाम से दूर रहे हैं तो अधेड़ उम्र या बुढ़ापे में आपके  लिए व्यायाम कर पाना संभव नहीं है तो यह धारण सही नहीं है।

कुछ लोगों को तो व्यायाम से शरीर पर पड़ने वाले रचनात्मक प्रभावों की जानकारी होती है जबकि कुछ अन्य इस बारे में अनभिज्ञ रहते हैं। नियमित रूप से व्यायाम करने का नतीजा यह होता है कि शरीर की मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं और शरीर बलवान बन जाता है। इससे हड्डियों का अच्छा विकास होता है और मानव शरीर का पूरा ढांचा मज़बूत होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि व्यायाम से इंसान का दिल भी बहुत स्वस्थ रहता है।

वैज्ञानिक व चिकित्सा अनुसंधानों से पता चलता है कि किसी भी उम्र में व्यायाम करने से हड्डियों का घनत्व बढ़ता है तथा बदन के ढांचे को मज़बूती मिलती है। यही नहीं इंसान का मस्तिष्क भी बेहतर रूप में काम करता है और मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

मनोचिकित्सकों ने मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य पर व्यायाम से पड़ने वाले सार्थक प्रभावों के बारे में विस्तार से लिखा है।

न्यूयार्क विश्व विद्यालय में मनोचिकित्सा विज्ञान की प्रोफ़ेसर विंडी  सुज़ुकी का कहना है कि व्यायाम से मानव शरीर और मस्तिष्क पर पड़ने वाला प्रभाव हैरानी में डाल देने वाला है। व्यायाम का प्रभाव बहुत तेज़ी से होता है और इंसान इसका नतीजा भी महसूस करने लगता है। व्यायाम करने क बाद जहां शरीर को विशेष प्रकार की स्फूर्ति मिलती है वहीं दिमाग़ को भी बड़ी ताज़गी का आभास होता है। उनका कहना है कि मैने ख़ुद व्यायाम किया और व्यायाम के बाद मुझे जिस प्रकार का आभास हुआ और जो एहसास मेरे मन मस्तिष्क के भीतर उत्पन्न हुआ वह बहुत सुखदायक है। मेरे अनुसंधान से साबित हुआ कि यदि कोई व्यक्ति व्यायाम करता है तो किसी विशेष बिंदु और विशेष विषय पर मन और दिमाग़ केन्द्रित करने के लिए उसके भीतर एकाग्रता की क्षमता बढ़ जाती है। व्यायाम करने से इंसान लगातार दो घंटे तक किसी एक बिंदु पर ध्यान और मन को केन्द्रित रखने में सक्षम हो जाता है। अनुसंधानों से पता चला कि अभ्यास और व्यायाम से आप बेहतर प्रतिक्रिया की आदत डाल सकते हैं। अलग अलग प्रकार की परिस्थितियों और घटनाओं पर आप बहुत सधी हुई और मज़बूत प्रतिक्रिया देने की आदत बना सकते हैं। यह बात बहुत महत्वपूर्ण होती है कि किसी घटना पर इंसान की प्रतिक्रिया कैसी होती है। क्योंकि प्रतिक्रिया से इंसान किसी भी घटना और किसी भी मामले को अच्छी और सार्थैक दिशा दे सकता है जबकि ख़राब प्रतिक्रिया से पूरे खेल को ख़राब भी कर सकता है। एक बदलाव यह भी आता है कि व्यायाम के नतीजे में इंसान की प्रतिक्रिया दिखाने की क्षमता में तेज़ी आती है। यह चीज़ बहुत महत्वपूर्ण होती है। समय पर प्रतिक्रिया का महत्व बहुत अधिक होता है क्योंकि यदि प्रतिक्रिया सही समय पर न दिखाई जाए तो उसका असर समाप्त हो जाता है।

यहां यह भी बता  देना ज़रूरी है कि तत्कालिक प्रतिक्रिया का प्रभाव सामयिक होता है मगर साथ ही इसके कई प्रभाव एसे हैं जो दीर्घकालीन होते हैं। यदि इंसान अपने आहार का भी ध्यान रखे और साथ ही व्यायाम भी करता रहे तो उसका हृदय सक्रिय रहेंगा जिसके नतीजे में शरीर को बेहतर स्वास्थ्य मिलता है। इससे शरीर पर लंबे समय तक बने रहने वाले प्रभाव पड़ते हैं। एनाटोमी और फ़िज़ियोलोजी के अनुसंधानों से साबित हुआ है कि व्यायाम के प्रभाव से मनुष्य के शरीर और दिमाग़ पर जो असर पड़ता है वह मन मस्तिष्क की गतिविधियों में भी बदलाव लाता है। व्यायाम से इंसान के मस्तिष्क में नए सेल्ज़ बनते हैं और इंसान की स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है।

जब शारीरिक सक्रियता के चलते शरीर के ढांचे को मज़बूती मिलेगी तो इससे हड्डियों को भी नई मज़बूती मिलेगी। यदि नियमित रूप से  कोई व्यायाम करता है तो बुढ़ापे की उम्र में भी वह अपनी मांसपेशियों को काफ़ी मज़बूत बना सकता है और हड्डियों की मज़बूती भी बढ़ा सकता है। हर रोज़ नियमित रूप से पैदल चलना या सप्ताह में एक बार पर्वतारोहण के लिए जाना इंसान के शरीर और मस्तिष्क पर बहुत अच्छा असर डालता है और विशेष शक्ति व मन व आत्मा को विशेष ताज़गी और स्फूर्ति देता है।

अलबत्ता यह भी जान लेना ज़रूरी है कि हर आयु के लिए अपना विशेष व्यायाम होता है और शरीर पर उसका विशेष असर पड़ता है। इसलिए व्यायाम शुरू करने से पहले यह ज़रूर देख लें कि आप आयु के किस वर्ग में हैं। हर आयु वर्ग के लोगों के लिए उचित व्यायाम होता है। उदाहरण स्वरूप जवानी में इंसान को अपनी मांसपेशियों को मज़बूत बनाने की ज़रूरत होती है। यदि युवाकाल में इंसान अपनी मांसपेशियॉं मज़बूत बनायए तो आगे चलकर जब उम्र बढ़ जाएगी तो इसका लाभ उसे बहुत मिलेगा और बुढ़ापे में मांसपेशियां मज़बूत बनी रहेंगी।

अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि 6 साल की उम्र में उन व्यायामों और खेलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिनसे बच्चों के शारीरिक विकास में मदद मिलती है। वह खेल जिनमें बच्चे अधिक दौड़ते हैं और मेहनत करते हैं उनका उनके शारीरिक विकास पर बहुत अच्छा असर होता है। जब बच्चा 12 साल का हो जाए तो उसे विधिवत रूप से कसरत करवाने के साथ साथ इस प्रकार के खेलों में शामिल करना चाहिए जिनमें सीमित दर्जे का मुक़ाबला और प्रतिस्पर्धा हो। जब बच्चा बालिग़ हो जाए तो फिर उसका शरीर हर प्रकार के व्यायाम और खेल के लिए तैयार हो चुका होगा। बालिग़ होने पर यदि नियमित रूप से कसरत की जाए तो वज़्न भी बढ़ता है और हड्डियां चौड़ी होती हैं तथा मांसपेशियों में भी असाधारण रूप से शक्ति बढ़ती है।

खेलों के मुक़ाबले यदि 18 साल की उम्र से करवाए जाएं तो बेहतर है। बच्चा 18 साल से लेकर 20 साल की उम्र तक पहुंच जाने तक इसी प्रकार 20 साल की आयु के बाद वाले वर्षों में खेलों और प्रतियोगितयाओं के लिए बहुत फ़िट होता है 35 साल की उम्र उसके लिए कड़े व्यायाम करने और संघरष वाले खेल खेलने की उम्र होती है।

जब इंसान 40 साल का हो जाए तो फिर उसे भारी कसरत और कठिन संघर्ष वाले खेल छोड़ देना चाहिए और खुद को इतना नहीं थकाना चाहिए कि सांस फूलने लगे। विशेषज्ञों का मानना है कि जो इंसान चालीस साल का हो चुका है यदि कोई खेल चुनना चाहता है तो पहले अपने हृदय, रक्तचाप और डायब्टीज़ आदि के टेस्ट ज़रूर करवा ले इसी तरह यकृत के स्वास्थ्य की ओर से भी पूरी तरह संतुष्ट हो जाए।

इस तरह यह स्पष्ट हो जाएगा कि उसके लिए कौन से खेल और व्यायाम उचित हैं और उसे किन खेलों से परहेज़ करना है। यह सच्चाई है कि 40 साल उम्र हो जाने के बाद कसरतु स्वास्थ्य बनाए रखने के उद्देश्य से की जानी चाहिए और लक्ष्य यह होना चाहिए कि इंसान लंबा स्वस्थ जीवन व्यतीत करे।

जब इंसान चालीस साल का हो जाता है तो उसके शरीर में बदलाव आना शुरु हो जाता है। मोटापा नज़र आने लगता है और उसके स्वास्थ्य के लिए गंभीर परिस्थितियां उत्पन्न होने लगती हैं। इसलिए हो सकता है कि यदि किसी ने 40 साल की उम्र में व्यायाम शुरू किया है तो उसे कुछ दिन तक समझ में ही न आए कि उसे क्या करना चाहिए और किस प्रकार की कसरत करना चाहिए। हमें यह पता होना चाहिए की चालीस साल उम्र हो जाने के बाद हमारे शरीर में वह पहले वाली प्रतिरोधक क्षमता बाक़ी नहीं रहती। इसलिए व्यायाम शुरू करने से पहले यह देख लेना ज़रूरी है कि शरीर के भीतर क्या क्षमता है और वह किस प्रकार की आशंकाओं और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इंसान चालीस साल की उम्र हो जाने के बाद व्यायाम शुरू कर रहा है तो उसकी कोशिश यह होनी चाहिए कि मांसपेशियों और हड्डियों की ताक़त बढ़ाने वाली कसरत करने के बजाए वह ऐसे व्यायाम करे जिससे उसकी प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है। उदाहरण स्वरूप उसके लिए धीरे धीरे या मध्यम गति से दौड़ना अधिक लाभदायक है। इसी तरह वह टेनिस आदि जैसे खेल खेल सकता है।

यदि इंसान व्यायाम करता रहे और शरीर सक्रिय रहे तो इससे बुढ़ापा भी देर में आता है जो लोग बुढ़ापे में भी अपनी आयु के अनुरूप व्यायाम करते रहते हैं वह अधिक स्वस्थ रहते हैं। इसलिए बुढ़ापे के काल को सुगम और सुखद बनाने के लिए ज़रूरी है कि व्यायाम की आदत डाली जाए। हां इस बात का ध्यान रहे कि इस उम्र में इस प्रकार की कसरत न की जाए जिससे शरीर बहुत थक जाए बल्कि हल्की फुल्की कसरत ही इस उम्र में उचित और सहायत होती है। जैसे पैदल चलना तथा पानी में तैरना आदि बुढ़ापे के समय की बड़ी अच्छी कसरत है। पचास साल के बाद यदि इंसान व्यायाम शुरू कर दे तो वह काफ़ी हद तक बुढ़ापे को टालने में सफल हो सकता है। अर्थात बुढ़ापा काफी देर में आएगा। जब इंसान 65 साल का हो जाता है तो फिर उसका बुढ़ापा शुरू हो जाता है। बुढ़ापे में व्यायाम बहुत ध्यान पूर्वक चुनना चाहिए। इस उम्र में हर कसरत नहीं की जा सकती है। यह भी ज़रूरी है कि कसरत शुरू करने से पहले शरीर को हल्की गतिविधियों से गर्म कर लिया जाए। इसके  लिए यह किया जा सकता है कि धीरे धीरे पैदल चला जाए और फिर अपनी रफ़तार धीरे धीरे बढ़ाई जाए।

धीरे धीरे पैदल चलना और हल्की कसरत करना शरीर को गर्म करने का बहुत अच्छा तरीक़ा है। शरीर गर्म करने के बाद व्यायाम किया जाए और फिर 5 मिनट तक हल्की कसरत की जाए, अर्थात पैदल चला जाए या इसी तरह की कोई और कसरत की जाए तो बहुत उचित है। डाक्टरों का मानना है कि जिन लोगों के जोड़ों में दर्द है उनके  लिए तैरना बहुत अच्छा है। यदि तैरना नहीं आता तो पैदल चलना बहुत उचित कसरत है।

यदि बहुत सर्दी या गर्मी पड़ रही है तो बूढ़े लोगों को चाहिए कि वह बंद जगह पर अपनी कसरत करें। खुले में कसरत करने से हो सकता  है कि उनके कोई नुक़सान पहुंच जाए। उनकी कसरत इस तरह होनी चाहिए कि थोड़ी देर कसरत के बाद थोड़ा विश्राम करें।

यदि बुढ़ापे के काल में कोई व्यक्ति कसरत करते समय सीने पर दबाव महसूस करे या  सांस फूलने लगे, या  चक्कर आने लगे या उल्टी महसूस होने  लगे तो तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

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