Aug १७, २०१९ १६:३१ Asia/Kolkata

काशान नगर ईरान के केन्द्रीय क्षेत्र में स्थित है।

यह नगर उत्तर में ईरान के केन्द्रीय मरूस्थल से, दक्षिण में इस्फ़हान से, पूर्व तथा पूर्वोत्तर में अरदिस्तान और पश्चिम में महल्लात तथा गुलपाएगान से मिला हुआ है।  यह इस्फ़हान नगर से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  काशान, ईरान के पठारी क्षेत्र का एक अति प्राचीन नगर है। काशान नगर का एक भाग मरूस्थल में है जबकि इसका दूसरा भाग पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है। की सतह से इसकी ऊंचाई लगभग एक हज़ार मीटर है।  मरूस्थल में स्थित होने के कारण काशान में ग्रीष्म ऋतु में जलवायु गर्म रहती है जबकि इसके पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु ठंडी और संतुलित रहती है।  काशान के बारे में मशहूर है कि इस नगर का इतिहास सात हज़ार वर्ष पुराना है। हालांकि इस बारे में आधुनिक शोध यह दर्शाते हैं कि इसकी प्राचीनता लगभग 15000 वर्ष है जिसका संबन्ध Paleolithic काल से है।

काशान सुन्दर इमारतों, परम्परागत वास्तुकला और उन मीनारों का नगर है जिनका निर्माण घरों की छतों और कोनों पर हवा को शीतल बनाये रखने के लिए किया गया है। यह ऐसा नगर है जिसमें मौजूद बहुत ही सुन्दर इमारतों ने इसकी सुन्दरता में चार चांद लगा दिये हैं और इस नगर के चारों ओर मूल्यवान ऐतिहासिक अवशेषों ने इस नगर को ईरान के पर्यटन केन्द्रों में परिवर्तित कर दिया है।

काशान नगर में बहुत सी सुन्दर प्राचीन इमारते हैं जिनकी वास्तुकला शैली बहुत ही भव्य एवं आश्चर्यचकित करने वाली है।  यह ऐसी इमारते हैं जो अब पर्यटकों के आकर्षण स्थल में परिवर्तित हो चुकी हैं।  इन्हीं इमारतों में से एक इमारत है, ख़ानए तबातबाईहा।  यह इमारत भी ईरान की अन्य एतिहासिक इमारतों की ही भांति शुद्ध वास्तुकला शैली पर आधारित है जो स्थानीय जलवायु से मेल खाती है।  जैसे ही हम इस इमारत में प्रविष्ट होते हैं शीतल हवा, आगंतुक को अपनी ओर खींच लेती है।  इमारत में घुसते ही नीचे की ओर 20 सीढ़ियां हैं जो घर के सुन्दर आंगन की ओर हमें ले जाती हैं।  इस घर का आंगन इतना सुन्दर है जिसे देखकर आदमी मंत्रमुग्ध हो जाए।  आंगन में एक हौज़ है।  इस आंगन के चारों ओर क्यारियां बनी हुई हैं जिनमें सुन्दर फूलों के हरेभरे पेड़ लगे हुए हैं।  यह भव्य इमारत 4700 वर्गमीटर में है जिसके तीन भाग हैं।  इमारत में 40 कमरे, चार प्रांगण और चार सरदाब हैं।  यह इमारत आज से लगभग 175 वर्ष पहले बनाई गई थी जिसमें हवा की निकासी की पारंपरिक शैली प्रयोग की गई है।  तबातबाई इमारत को ईरान की राष्ट्रीय धरोहर में शामिल किया जा चुका है।

ख़ानए बोरोजर्दी

काशान में एक अन्य इमारत है खानए बोरोजेर्दी।  यह इमारत ख़ानए तबातबाई के निकट मौजूद है।  ख़ानए रोजेर्दी भी ईरान की एतिहासिक इमारतों में से है।  इसको क़ाजरिया शासन के दौरान बनाया गया था।  इस इमारत का नाम  ख़ानए बोरोजर्दी इसलिए पड़ा क्योंकि इसके मालिक बोरोजर्द से व्यापारिक सामान लेकर इस घर पर आया करते थे।  यह इमारत लगभग 1700 वर्गमीटर में बना हुआ है।  इसके भीतर दो प्रांगण हैं।  इसको भी स्थानीय जलवायु के अनुरूप बनाया गया है।  इसकी छत को बहुत ही सुन्दर ढंग से बनाया गया है।  इसमें आंगन बहुत बड़ा है।  इसमे विशेष प्रकार का हौज़ बने हुए हैं।  यहां का भीतरी वातावरण बहुत ही मनमोहक है।  इमारत के भीतर प्लास्टर आफ पैरिस का बहुत ही सुन्दर काम देखा जा सकता है।  काशान की इस ऐतिहासिक इमारत को ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूचि में अंकित किया जा चुका है।

काशान की यात्रा को जारी रखते हुए हम एक अन्य एतिहासिक इमारत के दर्शन करेंगे जिसका नाम है, "ख़ानए आमेरीहा"।  ख़ानए आमेरीहा न केवल ईरान की बल्कि ईरान की मश्हूर एतिहासिक इमारतों में से एक है।  यह इमारत ज़ंदिये काल की है।  ख़ानए आमेरीहा नामकी इमारत बारह हज़ार वर्ग किलोमीटर में बनी हुई है।  इसका भूमिगत भाग नौ हज़ार मीटर में है।  इमारत का प्रांगण बहुत ही विस्तृत है जिसके बीच में बहुत ही सुन्दर हौज़ बना हुआ है।  इस हौज़ के चारों ओर सुन्दर पेड़ लगे हुए हैं जिनके कारण इमारत के भीतर बहुत ही सुन्दर दृष्य उत्पन्न हो गया है।  इमारत में जहां पर बहुत ही आकर्षक ढंग में प्लास्टर आफ पैरिस का काम किया गया है वहीं पर इसमें बहुत ही सुन्दर ढंग से शीशाकरी की गई है।  इमारत के भीतर की शीशाकरी हर देखने वाले को अपनी ओर आकृष्ट करती है।  सन 1377 हिजरी शमसी में ईरान के पुरातन संगठन ने ख़ानए आमेरीहा नामक इमारत ख़रीदकर इसका पुनःनिर्माण कराया और इसे होटल कर रूप दे दिया।  वर्तमान समय में इस इमारत की गणना, मध्यपूर्व के 20 महान होटलों में होती है।  यहां पर देश-विदेश से पर्यटक आते रहते हैं।  इस इमारत को ईरान के पारंपरिक होटल का रूप दिया गया है।

ख़ानए आमेरीहा

काशान में ही एक अन्य इमारत भी है जिसे बहुत ख्याति प्राप्त है।  इसका नाम है, "मस्जिदे आग़ा बुज़ुर्ग"।  यह इस्लामी जगत की महान मस्जिदों में से एक है।  काशान में स्थित मस्जिद व मदरसे आक़ा बुज़ुर्ग, एक सुन्दर मस्जिद है जो ईरान की इस्लामी वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। इसका निर्माण पूर्णरुप से मरुस्थली जलवायु को दृष्टि में रखकर किया गया है। इस मस्जिद के अंदर के प्रांगण को भी ईरान के गर्म व शुष्क क्षेत्रों में स्थित दूसरी इमारतों की भांति प्राकृतिक सुन्दरताओं से सुसज्जित किया गया है। इस प्रकार मस्जिद व मदरसे के प्रांगण को हराभरा बनाकर क्षेत्र में हरियाली एवं अच्छे दृश्यों की कमी की भरपाई की गई है।  इस प्रकार मस्जिद व मदरसे आग़ा बुज़ुर्ग के प्रांगण में उत्पन्न की गई हरियाली से बड़ा ही आकर्षक व लुभावना दृश्य उत्पन्न हो गया है। "मस्जिद व मदरसए आक़ा बुज़ुर्ग" को एक मुजतहिद मुल्ला मेहदी नराक़ी से संबंधित बताया जाता है जिनकी उपाधि, आक़ा बुज़ुर्ग है।  इस इमारत की बहुत ही सुन्दर बनावट से ऐसा दृश्य उत्पन्न हो गया है जो दूसरी मस्जिदों में बहुत कम ही देखने को मिलता है।

मस्जिद व मदरसए आक़ा बुज़ुर्ग

इस मस्जिद को इस प्रकार से दो मंज़िला बनाया गया है कि दोनों मंज़िलों से प्रांगण बहुत ही सुन्दर व बड़ा दिखाई देता है। मस्जिद में प्रवेश के समय भव्य व वैभवशाली गुम्बद के साथ उसके किनारे दो मीनार दिखाई पड़ते हैं। मस्जिद की पहली मंजिल पर भी प्रांगण के चारों ओर धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए कमरे बनाये गये हैं। इस मस्जिद में दो ओर सीढ़ियां बनी हैं जो दोनों मंजिलों के मध्य संपर्क मार्ग हैं तथा प्रांगण में प्रवेश के समय पहली दृष्टि में दिखाई ही नहीं पड़ती।

आक़ा बुज़ुर्ग मस्जिद का भव्य गुम्बद ईंट से बने बड़े एवं वैभवशाली गुम्बदों में से एक है और आठ स्तंभों पर बना है तथा उसमें दो छतें हैं जिन्हें दो पूशे कहा जाता है। नीचे वाले गुम्बद की छत का भार व दबाव दीवारें सहन करती हैं जबकि उसके ऊपर दूसरा गुम्बद है जिसका निर्माण गुम्बद के बाह्य रूप को बड़ा दिखाने और निचले गुम्बद की सुरक्षा के लिए किया गया है। गुम्बद के उपर ईंटों से बने रौशनदान, गुम्बद की दीवार के किनारे-किनारे पवित्र क़ुरआन की आयतों का लिखा होना और मस्जिद के हालों में प्लास्टर आफ पेरिस के सुन्दर काम और कमरों एवं प्रांगण की हतप्रभ कर देने वाली सुन्दरता से ऐसा दृश्य उत्पन्न हो गया है जिसे देखने वाला घंटों देखता ही रहता है।