ट्रम्प, सिक्के के दो रूख़- 6
डोनल्ड ट्रंप जब से अमेरिका का राष्ट्रपति बने हैं तब से कोई एसा सप्ताह नहीं गुज़रता जब उनके ट्वीट, फैसले और बयान चर्चा के विषय न बनते हों।
ट्रंप की कथनी और करनी की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती कि वह कब क्या कह देंगे। इसी तरह उनके बहुत से बयान और कार्य प्रचलित कूटनीति एवं राजनीति के विपरीत होते हैं। बहरहाल ट्रंप के क्रिया- कलाप व बयान इस बात का कारण बनें हैं कि वह हमेशा संचार माध्यमों की सुर्खियों में रखते हैं। पिछले लगभग तीन वर्षों में शायद ही कोई एसा दिन रहा होगा जिस दिन वे संचार माध्यमों की सतह पर ख़बरों में न रहे हों। डोनाल्ड ट्रंप आजकल अपने राष्ट्रपति काल के सबसे कठिन दौर से गुज़र रहे हैं। ट्रंप ने अपने क्रिया- कलापों से अमेरिका को गम्भीर आघात पहुंचाया है। आज के कार्यक्रम का आरंभ हम न्यूयार्क में एक समाचार से कर रहे हैं। राष्ट्रसंघ की महासभा के वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर न्यूयार्क की मैट्रो में लिखा था" राष्ट्रसंघ के मेहमानों हमारे मूर्ख राष्ट्रपति के कार्यों के कारण हमारी क्षमा याचना को स्वीकार करें।“
अमेरिका के समस्त वर्गों के मध्य बहुत से लोग ट्रंप के मुखर विरोधी व आलोचक हैं। यहां तक कि वे लोग भी ट्रंप के धुर विरोधी हैं जिन्होंने वर्षों ट्रंप के साथ काम किया है और बाद में उन्होंने ट्रंप से दूरी बना ली। ट्रंप के एक मुखर विरोधी अमेरिका के जाने माने अभिनेता राबर्ट डिनीरो हैं। उन्होंने CNN टेलीविज़न चैनल से साक्षात्कार में ट्रंप के संदर्भ में कहा" इस आदमी को राष्ट्रपति नहीं होना चाहिये।" राबर्ट डिनीरो को ट्रंप से जो शिकायत है उसके बारे में वह कहते हैं" हम एसे समय में इस देश में ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं जब यह आदमी एक गैंगस्टर की तरह है। उसने एसे फैसलों की बात की है और एसे काम किये हैं जिनमें से कुछ ख़तरनाक हैं। हम भय व आतंक के वातावरण में रह हैं और यह आदमी अपने को कंट्रोल करने के बजाये बढ़ता ही जा रहा है।"
कुछ दिन पहले भी राबर्ट डिनीरो ने डोनल्ड ट्रंप को बहुत की बुद्धू राष्ट्रपति की संज्ञा दी थी। जब उनसे पूछा गया कि वह क्यों ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति बनने का अवसर नहीं देना चाहते तो इसके जवाब में उन्होंने कहा यह ठीक वही चीज़ है जो ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मैंने कहा था। मैंने सबसे कहा था कि इसे अवसर दो। मैं सबको यह अवसर देता हूं किन्तु इस आदमी ने सिद्ध कर दिया कि वह पूरी तरह विफल है।
ट्रंप जब से अमेरिका का राष्ट्रपति बने हैं उन्हें विभिन्न प्रकार के आरोपों, समस्याओं और चुनौतियों का सामना रहा है। यह चीज़ बारमबार कही गयी कि रूस ने अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप के पक्ष में भूमिका निभाई है। ट्रंप को अब नये आरोप का सामना है और इससे उनके लिए बहुत बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति का आह्वान किया है कि वह वर्ष 2020 में होने वाले चुनानों में उनके चुनावी प्रतिस्पर्धी जो बाइडेन के खिलाफ सुबूत उपलब्ध करायें वह भी कुछ करोड़ डालर की सैनिक सहायता के बदले। जब से अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नेन्सी पेलोसी ने ट्रंप पर महाभियोग चलाने की बात की है तब से ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच होने वाली टेलीफोनी वार्ता से नये- नये रहस्योदघाटन हो रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप बल देकर कहते हैं कि यूक्रेनी राष्ट्रपति के साथ टेलीफोनी वार्ता में कोई ग़लत बात नहीं है। उनके खिलाफ जो सुरक्षा जानकारियां प्रकाशित की गयी हैं उसे ट्रंप ने जासूसी का नाम दिया है परंतु राजनीतिक और संचार माध्यमों के हल्कों में कोई भी ट्रंप के दावों पर ध्यान ही नहीं देता है और इन हल्कों का मानना है कि ट्रंप ने अपने व्यक्तिगत हितों के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया है और इस विषय की वे समीक्षा व विश्लेषण कर रहे हैं और सोशल साइटों व संचार माध्यमों में यह चर्चा का विषय बन गया है। अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नेन्सी पेलोसी ने अमेरिका और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्षों के मध्य होने वाली टेलीफोनी वार्ता के प्रकाशित होने की प्रतिक्रिया में घोषणा की है कि यह जो वार्ता है वाइट हाउस इसकी पुष्टि करता है और ट्रंप ने अपने व्यवहार से अमेरिकी चुनाव और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाया है। नेन्सी पेलोसी ने इस संबंध में आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ग़ैर कानूनी कार्य को अमेरिका में एक मूल्य में परिवर्तित करने का प्रयास किया है और अब वह उसे दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहे हैं। अमेरिकी सेनेट में डेमोक्रेट्स के नेता चक शुमर ने भी कहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ ट्रंप ने जो टेलीफोनी वार्ता की है वह उससे अधिक संकट खड़ा करने वाली है जो राबर्ट मुलर ने अमेरिकी चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के बारे में जांच कराये जाने के संबंध में कही है। फारेन पालेसी पत्रिका ने दोनों विषयों के अंतर के बारे में लिखा है" यूक्रेन गेट का मामला रशिया गेट के मामले से भिन्न है। "यूक्रेन गेट" मामले में ट्रंप पर आरोप लगाया गया है और उन्होंने सत्ता का दुरुपयोग किया है जबकि रशिया गेट में मामला इस प्रकार नहीं है और इसी कारण जांच- पड़ताल करने वाले राबर्ट मूलर को कोई ठोस सुबूत नहीं मिल सका।
रशिया गेट मामले में मूल षडयंत्रकारी क्रिमलिन हाउस था जबकि यूक्रेन गेट मामले में यह ट्रंप हैं जिन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति का आह्वान किया है कि वह उनके चुनावी प्रतिस्पर्धी और डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार के सुबूत उपल्बध करायें।
वर्ष 2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव और लगभग तीन वर्षों तक डोनल्ड ट्रंप के शासन काल में बहुत से राजनीतिक एवं आर्थिक भ्रष्टाचार पहले से अधिक स्पष्ट हो गये हैं। आजकल यह बात अमेरिकी संचार माध्यमों और सोशल साइटों में भरी पड़ी हैं कि डोनल्ड ट्रंप का शासन काल उनसे पहले के अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों की तुलना में भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से भरा पड़ा है। समाचार पत्र गार्डियन ने अपने एक आलेख में लिखा कि अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया और उसके पश्चात उन्होंने इस पर पर्दा डालने का प्रयास किया। डोनल्ड ट्रंप ने भी दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए प्रयास किया परंतु इसके लिए उन्होंने वर्ष 2020 में अपने चुनावी प्रतिस्पर्धी डो बाइडेन को चुनाव में पछाड़ने के लिए देश के बाहर से मदद ली। रिचर्ड निक्सन अपने चुनावी प्रतिस्पर्धी की टेलीफोनी वार्ता रिकार्ड करते व सुनते थे जबकि डोनल्ड ट्रंप ने जो किया वह भी क़ानून के खिलाफ है और उन्होंने जो किया वह रिचर्ड निक्सन के काम से अधिक ख़तरनाक है। रिचर्ड निक्सन ने सत्ता का जो दुरुपयोग किया वह उसी समय खुल गया जब वह दोबारा राष्ट्रपति बन गये। रिचर्ड निक्सन चालाकी से राष्ट्रपति बने थे परंतु उसी समय में वह नतीजे पर पहुंच गये थे कि कोई काम एसा न करें जिससे डेमोक्रेसी को इससे अधिक नुकसान पहुंचे परंतु डोनल्ड ट्रंप ने सत्ता का जो दुरुपयोग किया वह वर्ष 2020 में होने वाले चुनाव से 14 महीने पहले ही सामने आ गया। वह इस समय एसी स्थिति में हैं कि अगली बार राष्ट्रपति बनने के लिए हर कार्य करने के लिए तैयार हैं। इस समय डोनल्ड ट्रंप और उनकी चुनावी टीम डेमोक्रेटों की कमियों का पर्दाफाश करने की जुगत हैं। समाचार पत्र वाशिंग्टन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में लिखाः ट्रंप सरकार के अधिकारी अमेरिका की पूर्व विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन के ईमेल मामले की फिर से जांच करा रहे हैं। अमेरिका की पूर्व डेमोक्रेटिक विदेशमंत्री हिलैरी क्लिंटन पर आरोप है कि वर्ष 2016 में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव में उन्होंने अपने व्यक्तिगत ईमेल का सही प्रयोग नहीं किया। इससे पहले ट्रंप कहते थे कि क्लिंटन को जेल जाना चाहिये यहां तक कि ट्रंप के समर्थक अपनी सभाओं में क्लिंटन के खिलाफ नारा लगाते और कहते थे कि उसे जेल भेजो। अब मामला बिल्कुल उल्टा हो गया है। डेमोक्रेट्स डोनल्ड ट्रंप पर महाभियोग चलाने और उन्हें जेल में डाले जाने की मांग कर रहे हैं।
अमेरिकी कांग्रेस में महिला डेमोक्रेट मैक्सिन वाटर्ज़ ने अपने ट्वीट में लिखाः मैं रिपब्लिकन पार्टी का आह्वान करती हूं कि वह ट्रंप की ज़बान पर लगाये, वह समाज में रहस्योद्घाटन करने वालों को जासूस और लोफर कहते हैं। वह अपने ट्वीट में लिखती हैं ट्रंप पर केवल महाभियोग चलाया जाना काफी नहीं है। उन्हें जेल में डाला जाना चाहिये और उन्हें अलग कोठरी में बंद करना चाहिये किन्तु अभी महाभियोग चलाये जाने की ज़रूरत है। जितना अधिक समय गुज़रता जा रहा है ट्रंप पर महाभियोग चलाये जाने की संभावना बढ़ती जा रही है। अमेरिकी सेनेट में रिपब्लिकन्स के नेता मिच मेक मिक्केनल ने घोषणा की है कि अगर प्रतिनिधि सभा ट्रंप के महाभियोग पर सहमत हो जाती है तो ट्रंप के खिलाफ जो आरोप हैं उसके संबंध में कार्यवाही के लिए बैठक बुलाने के बजाये सिनेट के पास कोई अन्य विकल्प नहीं होगा। अगर ट्रंप पर महाभियोग चलाने के संबंध में अमेरिकी सेनेट में सहमति नहीं बन जाती है तब भी वर्ष 2020 में होने वाले चुनाव में ट्रंप के विजयी होने की अपेक्षा कम हो गयी है। जो जनमत सर्वेक्षण कराये गये हैं वे इस बात के सूचक हैं कि अमेरिकी समाज में ट्रंप की लोकप्रियता गिर रही व कम हो रही है और साथ ही उन पर महाभियोग चलाने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है।