Nov २९, २०२० २०:१८ Asia/Kolkata

मित्रो, उत्तरी ख़ुरासान प्रांत की यात्रा को आगे बढ़ाते हुए आज हम वहां के जाजरम नगर के बारे में आपको विस्तार से बताएंगे।

जाजरम नगर उत्तरी ख़ुरासान के दक्षिण पश्चिम में स्थित है।  पुरातत्व वेत्ताओं की दृष्टि में यह नगर पुरातनविदों के स्वर्ग के नाम से जाना जाता है।  प्राचीन जाजरम नगर बुजनूर्द नगर से 133 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।  जाजरम नगर की गणना ईरान के अति प्राचीन नगरों में होती है।  इस नगर का इतिहास लगभग पांच हज़ार वर्ष पुराना है।  पैग़म्बरे इस्लाम के हिजरत काल में भी यह क्षेत्र अपनी अच्छी आबोहवा या जलवायु के लिए मश्हूर था।  इस नगर में मौजूद पहाड़ियों में हुई खुदाई से जो मिटटी के बरतन मिले हैं उनका संबन्ध चार हज़ार वर्ष ईसापूर्व से है।

 

इस बात के पुष्ट प्रमाए मौजूद हैं कि एक हज़ार वर्ष ईसापूर्व यहां पर लोग रहा करते थे।  वहां पर मिलने वाले मिट्टी के बरतन इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह अतिप्राचीन नगर है।  भू-वेत्ताओं की खोजबीन यह बताती है कि इस्लाम से पूर्व में अपने विकास की गाथा सुनाने वाला जाजरम क्षेत्र, बाद में भी विकसित रहा।  यहां पर पाई जाने वाली मस्जिदें और मक़बरे भी इसी बात की पुष्टि करते हैं।  "हबीबुस्सैर" नामक किताब में जहां कई स्थानों पर क़ज़वीन, दामग़ान, रे और इस्फ़हान जैसे महत्वपूर्ण शहरों का उल्लेख किया गया है वहीं पर उनके साथ में जाजरम उल्लेख देखने को मिलता है।  यह विषय इस नगर के महत्व को दर्शाता है।

जाजरम नामक क्षेत्र केन्द्रीय मरूस्थल और "बहार" नामक पर्वत के बीच स्थित है।  इस वजह से यहां पर नाना प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं।  यही कारण है कि यहां पर जलवायु में विविधता भी दिखाई देती है।  इन परिस्थितियों ने इस क्षेत्र को विभिन्न पशुओं और पौधों की प्रजातियों के लिए अनूठा स्थल बना दिया है।  यहां पर विभिन्न जातियों के हिरन, तीतर, जंगली बिल्लियां और तीतर के अतिरिक्त ईरानी चीते भी पाए जाते हैं जो एशियाई नस्ल के एकमात्र जीवित चीते हैं।  जाजरम के पूर्व में 85 हज़ार हेक्टर के क्षेत्र में ईरानी चीतों का सबसे पुराना शरणस्थल है।  जाजरम नगर की एक एक अन्य विशेषता यह है कि यह उत्तरी ख़ुरासान का एकमात्र नगर है जो नैश्नल रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।  इस बात ने जाजरम नगर के आर्थिक महत्व को कई गुना कर दिया है।

अपने कई एतिहासिक एवं पुरातत्व स्मारकों के कारण जाजरम नगर, उत्तरी ख़ुरासान प्रांत में उल्लेखनीय पुरातत्व स्थलों में से एक है।  इस प्राचीन क्षेत्र में कई प्रचीन एतिहासिक स्थल हैं जैसे पहलवान टीला और हैदरान टीला जो हज़ारों वर्षों के इतिहास के स्वामी हैं।  इसके अतिरिक्त यहां पर एक प्राचीन जामा मस्जिद भी है।  इस नगर के 53 से अधिक प्राचीन स्मारकों को अब तक पंजीकृत किया जा चुका है।  एतिहासिक दृष्टि से इनका विशेष महत्व है।  इसके अतिरिक्त जाजरम नगर में विभिन्न जातियों के लोग भी वास करते हैं जो अपनी संस्कृतियों और रीति-रिवाज के साथ यहां पर रहते हैं।  इन बातों ने जाजरम के आकर्षण को अधिक बढ़ा दिया है।  जाजरम के महत्वपूर्ण एतिहासिक इमारतों में से एक "नारीन क़िला" है।  बताया जाता है कि यह लगभग 5000 वर्ष पुराना है।  इसको जाजरम की शान भी कहा जाता है।

बहुत से एतिहासिक उतार-चढ़ाव से गुज़रने के बावजूद यह क़िला आज भी मौजूद है।  यह प्राचीन क़िला, जाजरम नगर के प्राचीन प्रवेश द्वार के किनारे और नगर के पुराने हमाम के पास जामा मस्जिद के उत्तर पश्चिम में स्थित है।  इस क़िले का विशेष एतिहासिक महत्व रहा है।  पिछली शताब्दियों में जो जानेमाने पर्टक यहां से गुज़रे हैं उन्होंने अपने-अपने ढंग से इस प्राचीन क़िले का उल्लेख किया है।  पलान नामका क़िला एक कृत्रिम टीले पर बना हुआ है जो अंडाकार है।  पुराने ज़माने में इसके चारों ओर ख़ंदक़ खुदी हुई थी।  यह लगभग 360 मीटर ऊंचा है।  इसकी चौड़ाई 100 से 125 मीटर की है।  वर्तमान समय में इस टीले के केवल खण्डहर ही बाक़ी बचे हैं।  इस क़िले के खण्डर में उसके कुछ भागों को स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है।  तीन बहमन सन 1356 में इस क़िले को ईरान की राष्ट्रीय धरोहर के रूप में पंजीकृत किया जा चुका है।

मित्रो, नारीन क़िले के दक्षिणपूर्व में 200 मीटर के फासले पर जामा मस्जिद स्थित है।  यह जामा मस्जिद एक अद्वितीय मस्जिद है जो एतिहासिक दृष्टि से भी महत्व रखती है।  यह मस्जिद, उस शैली पर आधारित है जिस शैली पर इस्लाम के उदयकाल के आरंभिक वर्षों में मस्जिदें बनाई जाती थीं।  जाजरम की जामा मस्जिद में एक बड़ा सा प्रांगड़ है।  इसके बीच में एक चबूतरा बना हुआ है।  इसकी छत गोलाकार है।  इसके निर्माण में कच्ची ईंटों और चूने आदि का प्रयोग किया गया है।  इस जामा मस्जिद में कई शिलालेख देखे जा सकते हैं जो मस्जिद के मेहराब और अन्य स्थानों पर लगे हुए हैं।  यह मस्जिद, उत्तरी ख़ुरासान की सबसे पुरानी मस्जिद है। इसको भी ईरान की राष्ट्रीय धरोहर के रूप में पंजीकृत किया जा चुका है।

 

जाजरम में एक प्राचीन हमाम भी है जिसका निर्माण सफवी काल में करवाया गया था।  यह लगभग 500 साल पुराना हमाम है।  यह 700 वर्गमीटर में बना हुआ है।  इस नगर के प्रचीन क़िले के दक्षिण में यह हमाम बना हुआ है।  इस हमाम की गणना जाजरम के आकर्षण के केन्द्रों में होती है।  हमाम इस प्रकार के बनाया गया है कि इसका कुछ भाग भूमिगत है जबकि कुछ भाग धरती के ऊपर बना हुआ है।  हमाम के प्रवेश द्वार से एक रास्ता उस स्थान की ओर जाता है जहां पर कपड़े धोए जाते थे।  यही से एक अन्य रास्ता है जो इंसान को हमाम के उस भाग की ओर ले जाता है जहां पर पानी गर्म किया जाता है।  जिस स्थान पर गर्म पानी रखा जाता है वहां की ज़मीन पर बहुत ही सुन्दर ढंग से कलाकारी की गई है।  इसके अतिरिक्त वहां पर पत्थर पर उकेर कर भी कुछ लिखा गया है।  यह अपनेआप में विशेष प्रकार का हमाम है।

 

सन 1390 हिजरी शमसी को इस हमाम की पुनः मरम्मत करके इस नगर के संग्रहालयों की सूचि में सूचिबद्ध कर दिया गया।  आज यह जाजरुम के दर्शनीय स्थलों में से एक है।  जाजरुम नगर के प्राचीन हमाम से संबन्धित संग्रहालय में आठ कमरे हैं जिनमें हर एक में इस नगर में प्रचलित विभिन्न संस्कृतियों को दिखाने के प्रयास किये गए हैं।  इस संग्रहालय में एक कक्ष मुहर्रम के नाम से भी मौजूद है।  इस कक्ष में विगत में क्षेत्र में मुहर्रम और सफर के महीनों में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनों को दर्शाने के प्रयास किये गए हैं।  क्षेत्र के विख्यात लोगों से जनता को अवगत करवाने के उद्देश्य से यहां पर एक अन्य कक्ष है जिसमें विगत के ख्याति प्राप्त लोगों के बारे में बहुत कुछ मिलता है।  इसके अतिरिक्त यहां पर उनमें से कुछ से स्टेचू भी लगे हुए हैं।  इस संग्रहालय में क्षेत्र में मिलने वाले मिट्टी के एसे बरतन रखे गए हैं जिनका संबन्ध कई शताब्दियों ईसापूर्व से है।  यहां पर प्राचीनकाल के  सिक्के भी रखे हुए हैं।  यहां पर इस्लामी काल और उससे पहले वाले काल से संबन्धित कई चीज़ें दिखाई देती है।

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