Dec ०१, २०२० १८:५२ Asia/Kolkata
  • ईरान भ्रमण-61(ख़ुरासाने रज़वी )

ख़ुरासाने रज़वी फ़िरदोसी जैसे महाकवियों और विद्वानों की जन् स्थली व सभ्यता का पालना रहा है।

इसी तरह यह प्रांत पैग़म्बरे इस्लाम के परपौत्र हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े के वजूद से ईरानी प्रांतों में नगीने की तरह चमक रहा है।

ख़ुरासाने रज़वी प्रांत एतिहासिक ख़ुरासान प्रांत का एक हिस्सा है।

सन २००४ में ईरानी संसद में ख़ुरासान प्रांत को तीन अलग अलग प्रांतों में बांट दिया गया। मशहद को ख़ुरासान रज़वी प्रांत के केन्द्र की हैसियत दी गयी।

जलवायु की नज़र से ख़ुरासाने रज़वी प्रांत उत्तरी संतुलित इलाक़े में स्थित है।

बीनालूद चोटी ख़ुरासान प्रांत की सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई ३६१५ मीटर है। प्रांत के सबसे निचले बिन्दु की ऊंचाई २९९ मीटर है।

ख़रासान रज़वी प्रांत पूर्वी ईरान में जीवन का सबसे अहम केन्द्र और इसे देश की सामाजिक , आर्थिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र समझा जाता है। यह प्रांत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का रौज़ा, तुर्कमनिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसे और धार्मिक पर्यटन के चलन की वजह से वाणिज्यिक गतिविधियों के फलने फूलने के साथ रणनैतिक अहमियत भी रखता है।

खेतिहर ज़मीन , पानी की बहुतायत और उपजाऊ दर्रे से संपन्न होने की वजह से इस प्रांत में अख़रोट, बादाम, सेब , नाशपाती, मिस्ता, खजूर, संतरा व मुसम्मी की पैदावार बहुत है। इसी तरह ख़ुरासाने रज़वी प्रांत ईरान में पशुपालन के अहम केन्द्रों में गिना जाता है। फ़िरोज़े के ज़ेवर, क़ालीन और रोएंदार जानवरों की खाल के कपड़े इस प्रात के अहम हस्तकला उद्योग हैं।

मशहद शहर को ईरान की अध्यात्मिक राजधानी समझा जाता है। यह शहर धार्मिक पर्यटन के अहम केन्द्रों में है।

सन २०२ हिजरी क़मरी में इमाम रज़ा की शहादत और दफ़्न के बाद, तूस शहर के उपनगरीय भागों में से एक सनाबाद नामी भाग में मौजूदा मशहद शहर वजूद में आया। सातवीं हिजरी क़मरी में तूस शहर को मंगोलों ने तबाह कर दिया जिसके बाद इस शहर की जनता ने मशहद का रुख़ किया।

इस वक़्त प्राचीन तूस के सिर्फ़ खंडहर बचे हैं और नये तूस को फ़ारसी भाषा के महाकवि फ़िरदोसी की क़ब्र होने की वजह से अहमियत हासिल है।

बहरहाल, मौजूदा मशहद का इतिहास प्राचीन तूस शहर के इतिहास से इस तरह जुड़ा है कि उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। पीछली कुछ सदियों के बदलाव ने जो इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े की बर्कत से हुए, मशहद शहर की धार्मिक और एतिहासिक अहमियत कई गुना बढ़ गयी। आज यह शहर ने सिर्फ़ शियों बल्कि सुन्नी  मुसलमानों के अहम दर्शनस्थलों में शामिल है। मौजूदा मशहद ईरान और इस्लामी देशों के बड़े शहरों में बहुत विशाल व मशहूद है।

 

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