इस कार्यक्रम श्रंख्ला में हमने इस बात का उल्लेख किया कि इस्लामी संस्कृति में मस्जिद को हमेशा एक पवित्र स्थल के रूप में देखा गया है।
हमने बताया था कि मस्जिद में उपस्थिति और आध्यात्मिक भाइयों से समपर्क, मन को शांति प्रदान करता है इसी लिए इस्लामी मार्गदर्शकों ने हमेशा मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ने और मस्जिद में उपस्थित होने पर बल दिया है।
हमने मस्जिद की अहमियत की ओर इशारा किया और यह बताया कि मस्जिद एक जनकेन्द्रित स्थान के रूप में ईमान को मज़बूत करने के बेहतरीन स्थान के साथ ही सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और सांसकृतिक गतिविधियों के विस्तार के लिए सबसे अहम केन्द्र है।
मस्जिद वह स्थान है जहां पर मनुष्य नमाज़ पढ़ता है और ईश्वर की उपासना करता है।
हमने इस बात की ओर संकेत किया था कि मस्जिद वह जगह है जिसकी बुनियाद पैग़म्बरे इस्लाम ने सबसे पहले मदीना में रखा था और गत 1400 सालों के दौरान उसने बहुत उतार- चढ़ाव देखे हैं।
हमने मस्जिद के महत्व की विस्तार से चर्चा की थी।
आपको याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने इस बात का उल्लेख किया था कि पैग़म्बरे इस्लाम के दौर में महिलाएं विभिन्न वैज्ञानिक, सामाजिक व आर्थिक मंच पर सक्रिय रहती थीं और मस्जिद में उनकी मौजूदगी को अच्छी नज़र से देखा जाता था।
हमने बताया था कि मस्जिदें, मुसलमानों के प्रतिदिन इकट्ठा होने का स्थान रही है ताकि वे ईश्वर की उपासना के साथ ही विचारों का आदान-प्रदान भी कर सकें।
जैसाकि आप जानते हैं कि इस कार्यक्रम श्रंखला में हम मस्जिद के महत्व की चर्चा करते आ रहे हैं।
हम मस्जिद के महत्व पर चर्चा करते आए हैं।