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लेख

  • अकेले दौड़कर पहले स्थान पर आना चाहती हैं आजकल की सरकारें! लोकतंत्र का दावा करने वाले केवल सरकारी तंत्र के हैं सहारे

    अकेले दौड़कर पहले स्थान पर आना चाहती हैं आजकल की सरकारें! लोकतंत्र का दावा करने वाले केवल सरकारी तंत्र के हैं सहारे

    Oct १७, २०२३ १९:३९

    आजकल अगर पूरी दुनिया पर नज़र डाली जाए तो शायद ही कुछ देश ही मिलेंगे कि जहां सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था से चल रही है। नहीं तो ज़्यादातर देशों और राज्यों की स्थिति देखने से पता चलता है कि वहां की सरकारें केवल और केवल सरकारी तंत्र और बल के सहारे ही अपना काम कर रही होती हैं। उदाहरण के तौर पर देश का संविधान यह कहता है कि अगर कोई शांति के साथ अपनी मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन करना चाहता है तो उसको इस बात की पूरी आज़ादी होगी। लेकिन ज़मीन पर बिल्कुल ऐसा नहीं है।

  • फ़िलिस्तीन अभी ज़िन्दा है, अलअक़्सा तूफ़ान ने बहुत सारी तस्वीरों को किया साफ़, एक झटके में नेतन्याहू का सपना हुआ चकनाचूर!

    फ़िलिस्तीन अभी ज़िन्दा है, अलअक़्सा तूफ़ान ने बहुत सारी तस्वीरों को किया साफ़, एक झटके में नेतन्याहू का सपना हुआ चकनाचूर!

    Oct १७, २०२३ १६:५४

    एक ओर 75 वर्षों से फ़िलिस्तीनी जनता का ख़ून बहाने वाला अवैध आतंकी शासन इस्राईल है और दूसरी ओर सात दशक पहले दर-दर भटक रहे यहूदियों को सिर छिपाने के लिए अपनी जगह देने वाले दयालु, बाहदुर, धैर्यवान और इस समय दुनिया की सबसे पीड़ित फ़िलिस्तीनी जनता है। हंसी के साथ-साथ शर्म आती है उन नेताओं, पत्रकारों और संस्थाओं पर जो फ़िलिस्तीन के संघर्षकर्ताओं को आतंकवादी और इस्राईली आतंकियों को आत्मरक्षा करने वाले सिपाही बता रहे हैं।

  • आतंकवाद से मुक़ाबले के नाम पर आतंक के सबसे बड़े समर्थक बने अमेरिका और यूरोपीय देश! हमास और इस्राईल युद्ध में बिकाऊ मीडिया की भी खुली पोल

    आतंकवाद से मुक़ाबले के नाम पर आतंक के सबसे बड़े समर्थक बने अमेरिका और यूरोपीय देश! हमास और इस्राईल युद्ध में बिकाऊ मीडिया की भी खुली पोल

    Oct १६, २०२३ १९:०३

    हमास और इस्राईल के बीच भयानक युद्ध चल रहा है। इस युद्ध के नुक़सान का अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता। नुक़सान दोनों तरफ हो रहा है। फ़र्क़ सिर्फ इतना है कि इस्राईल के पास नवीनतम हथियार, लाखों प्रशिक्षित सैनिक, एक रक्षा प्रणाली के साथ-साथ विश्व शक्तियां उसका समर्थन कर रही हैं। दूसरी तरफ, केवल हमास है, जिसके पास हज़ारों सैनिक हैं। कोई नई तकनीक नहीं, कोई नए हथियार नहीं, कोई रक्षा प्रणाली नहीं।

  • गांधी का देश अब अटल नहीं, फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर भारत सरकार आतंकवाद के साथ! भारत की मेन स्ट्रीम मीडिया ने भी पार कीं सारी हदें

    गांधी का देश अब अटल नहीं, फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर भारत सरकार आतंकवाद के साथ! भारत की मेन स्ट्रीम मीडिया ने भी पार कीं सारी हदें

    Oct १०, २०२३ १९:३०

    फ़िलिस्तीन का मुद्दा एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा है कि जिसके वास्तविक्ता शायद ही किसी से छिपी हो। दुनिया का हर देश यह अच्छी तरह से जानता है कि इस्राईल एक अवैध और आक्रमणकारी शासन है। आज जिस प्रकार वह फ़िलिस्तीनियों पर वह बम बरसा रहा है वही आतंकवाद का असली चेहरा है। क्योंकि जिनकी ज़मीन पर उसने अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर रखा है उन्हीं को वह अब पूरी तरह फ़िलिस्तीन से बाहर निकालने की योजना पर काम कर रहा है।

  • आख़िरकार ऊंट आ ही गया पहाड़ के नीचे, कल तक फ़िलिस्तीनियों के ख़ूल से होली खेलने वाला इस्राईल आज मदद की मांग रहा है भीख, आसमान में उड़ते दिखाई दिए फ़िलिस्तीनी जियाले

    आख़िरकार ऊंट आ ही गया पहाड़ के नीचे, कल तक फ़िलिस्तीनियों के ख़ूल से होली खेलने वाला इस्राईल आज मदद की मांग रहा है भीख, आसमान में उड़ते दिखाई दिए फ़िलिस्तीनी जियाले

    Oct ०७, २०२३ १६:४७

    शनिवार की सुबह का सूरज जब बादलों की चीरता हुआ बाहर निकला तो दुनिया को उसकी रोशनी में एक ऐसा तुफ़ान दिखाई दिया कि जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। इस तुफ़ान का नाम था "अलअक़सा तूफ़ान", इस तुफ़ान की शुरुआत हुई फ़िलिस्तीन के प्रतिरोध आंदोलन हमास की पांच हज़ार मिसाइलों से। उसके बाद तो जैसे-जैसे फ़िलिस्तीनी जियालों के क़दम आगे बढ़ते जा रहे थे वैसे-वैसे इस्राईल के हर पाश्विक हमलों का मुंहतोड़ जवाब उसे मिलता जा रहा था।

  • ईरान के ख़िलाफ़ उसके दो पड़ोसी देशों की भयानक योजना! तेहरान ने कहा हमारी सेना किसी भी स्थिति से मुक़ाबले के लिए पूरी तरह तैयार!

    ईरान के ख़िलाफ़ उसके दो पड़ोसी देशों की भयानक योजना! तेहरान ने कहा हमारी सेना किसी भी स्थिति से मुक़ाबले के लिए पूरी तरह तैयार!

    Sep ३०, २०२३ १९:००

    काकेशस एक रणनीतिक क्षेत्र है, जो कैस्पियन सागर के पश्चिम और काला सागर के पूर्व के बीच स्थित है, इसके उत्तर पश्चिम में ईरान और उत्तर में रूसी संघ की सीमा है, यह एक असहज और संवेदनशील क्षेत्र है जो युद्ध की शुरुआत के बाद से अस्थिर बना हुआ है। नवंबर 2020 में आज़रबाइजान गणराज्य और आर्मेनिया के बीच हुए दूसरे युद्ध से यह और अस्थिर बना हुआ है।

  • क्या आप जानते हैं कि अमेरिका को क्यों सबसे बड़ा शैतान कहा जाता है? व्हाइट हाउस में बैठे मदारी ईरान से क्यों करते हैं इतनी नफ़रत?

    क्या आप जानते हैं कि अमेरिका को क्यों सबसे बड़ा शैतान कहा जाता है? व्हाइट हाउस में बैठे मदारी ईरान से क्यों करते हैं इतनी नफ़रत?

    Sep २७, २०२३ १९:२५

    ईरान में मानवाधिकार युवा संगठन के महासचिव ने इस्लामी क्रांति की सफलता बाद अमेरिका को सबसे बड़ा शैतान की उपाधि दी जाने की वजह बताते हुए कहा है कि क्योंकि दुनिया में जहां-जहां अशांति की आग भड़की हुई दिखाई देती है वहां-वहां उस आग को भड़काने में मुख्य भूमिका अमेरिका की ही होती है, इसलिए उसको इस ज़माने का सबसे बड़ा शैतान नाम दिया गया है।

  • आख़िर नेतनयाहू के निकल आए आंसू! ईरान और अमेरिका के बीच ऐसा क्या हुआ कि जिसने इस्राईल की हवा निकाल दी?

    आख़िर नेतनयाहू के निकल आए आंसू! ईरान और अमेरिका के बीच ऐसा क्या हुआ कि जिसने इस्राईल की हवा निकाल दी?

    Sep ०४, २०२३ १५:४३

    इस बात को दुनिया जानती है कि आज अगर पश्चिमी एशिया में इस्राईल नाम का कोई अवैध शासन है तो उसके लिए पूरी तरह अमेरिका और ब्रिटेन ही ज़िम्मेदार हैं। वहीं इस ग़ैर-क़ानूनी शासन का अगर कोई सबसे बड़ा विरोधी है तो वह ईरान है। इस्लामी गणराज्य ईरान ने हमेशा फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का समर्थन किया है और फ़िलिस्तीन की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हमेशा हर स्थिति में खड़ा रहा है।

  • भारत पर मंडराते संप्रदायिकता के काले बादल! दीमक की तरह संविधान को खोखला करता नफ़रती टोला, लेकिन अभी भी बाक़ी है आशा की किरण

    भारत पर मंडराते संप्रदायिकता के काले बादल! दीमक की तरह संविधान को खोखला करता नफ़रती टोला, लेकिन अभी भी बाक़ी है आशा की किरण

    Aug ३०, २०२३ १८:३७

    लगभग एक दशक का समय बीत रहा है तब से भारत में सांप्रदायिकता, राजनीति के केंद्र में आ गई। आधुनिक भारत के मंदिर बनाने की बजाए मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजे जाने लगे। इससे सामाजिक विकास की प्रक्रिया बाधित हुई है और विकास का सिलसिला थम सा गया है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इसी दौर में सबका साथ सबका विकास का नारा सबसे ज़्यादा ज़ोर और शोर से लग रहा है।

  • अरबईन की शुरुआत किसने की? दाइश के ख़तरे के बावजूद किसकी मदद से इराक़ में आयोजित हो रहा है विश्व का यह सबसे बड़ा और अनोखा धार्मिक कार्यक्रम?

    अरबईन की शुरुआत किसने की? दाइश के ख़तरे के बावजूद किसकी मदद से इराक़ में आयोजित हो रहा है विश्व का यह सबसे बड़ा और अनोखा धार्मिक कार्यक्रम?

    Aug ३०, २०२३ १५:३५

    एक ही वक़्त में एक ही स्थान पर जुटने वाली सबसे बड़ी भीड़ के विश्व-रिकार्ड पर नज़र डालने से पता चलता है कि इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में अरबईन के मौक़े पर आयोजित होने वाला धार्मिक कार्यक्रम इस समय, एक वक़्त में एक स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का एकत्रित होना अभूतपूर्व है।

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