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इस्राईल के साथ ऐसा क्या हुआ जो उसके आक़ाओं का छूटने लगा पसीना? एक छोटी से चिंगारी और ज़ायोनी शासन का वजूद ख़त्म!
Aug २८, २०२३ १८:२७पिछले कुछ समय से अवैध आतंकी ज़ायोनी शासन आंतरिक मतभेदों और विरोध-प्रदर्शनों से बुरी तरह जूझ रहा है। इस्राईल में पैदा हुए अभूतपूर्व सुरक्षा संकट ने न केवल ज़ायोनी सेना को प्रभावित किया है बल्कि इस शासन की रक्षा, सैन्य और सुरक्षा क्षमताओं को भी प्रभावित किया है। साथ ही प्रतिरोध धुरी की शक्ति दोगुनी हो गई है। इस समय गाज़ा से लेकर लेबनान तक मिसाइल परिक्षण, युद्धाभ्यास और सैन्य उपकरणों की प्रदर्शनियां आयोजित हो रही हैं।
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आख़िर महिलाओं को क्यों कम कपड़े में देखना चाहती है दुनिया? आज़ादी के नाम पर हिजाब को ही क्यों निशाना बनाते हैं यूरोपीय देश?
Aug २८, २०२३ १५:३६फ्रांस के शिक्षा मंत्री ने एक ऐसा फ़ैसला लिया है जो न केवल इस देश में रहने मुसलमानों को नाराज़ कर सकता है, बल्कि दुनिया भर की उन महिलाओं में भी रोष पैदा कर सकता है जो अपनी मर्ज़ी से हिजाब पहनती हैं।
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दुनिया के बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ता ईरान, दक्षिण अमेरिकी देशों में ईरानी ड्रोन विमानों की धूम!
Aug २३, २०२३ १८:३५ऐसी स्थिति में कि जब ईरान और इस्राईल दक्षिण अमेरिका में अधिक ड्रोन निर्यात करने के लिए तैयार हैं, उस क्षेत्र में मानव रहित विमानों (यूएवी) का बाज़ार अपेक्षाकृत छोटा है।
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चांद पर जाने का अर्थ यह नहीं है कि ज़मीन पर आग लगा दी जाए! भारत के शरीर से उसकी आत्मा निकालने की कौन कर रहा है कोशिशें?
Aug २३, २०२३ १५:२०भारत एक ऐसा देश जिसकी सांस्कृति की मिसाल में दुनिया में दी जाती रही है। यह एक ऐसा देश रहा है जो हमेशा से सांप्रदायिक सौहार्द के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन इधर कुछ वर्षों में इस संप्रदायिक सौहार्द में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। इसकी सबसे अहम वजह है हिंसा और दंगे की परिभाषा का बदल जाना। पहले दंगाईयों को किसी धर्म और जात-पात से जोड़कर नहीं देखा जाता था, बल्कि दंगाई को केवल दंगाई के रूप में ही देखा जाता था।
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दो साल अफ़ग़ानिस्तान बेहाल, कौन है इसका ज़िम्मेदार? अमेरिका और पश्चिमी देशों के बड़े-बड़े दावों की पोल खोलता तालेबान!
Aug २०, २०२३ १८:३३अफ़गान जनता महसूस करती है कि उन्हें विश्व समाज ने अकेले छोड़ दिया है। जब से तालेबान ने सत्ता पर क़ब्ज़ा किया है तब से ऐसी सामाजिक पाबंदियां लगाई गई हैं कि महिलाओं और लड़कियों की आज़ादी के साथ-साथ धार्मिक स्वतंत्रता भी ख़तरे में पड़ गई है। यहां सवाल यह उठता है कि आख़िर अफ़ग़ानिस्तान की इस स्थिति के लिए कौन ज़िम्मेदार है?
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भारत में क्यों बढ़ रही है भड़काऊ बयान देने वालों की लगातार संख्या? हेट स्पीच और हेट क्राइम के बढ़ते मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित
Aug २०, २०२३ १६:०६भारत में "हेट स्पीच" और "हेट क्राइम" के बढ़ते मामलों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि हेट स्पीच के दोषियों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। अब सवाल यहां यह पैदा होता है कि आख़िर देश की सर्वोच्च अदालत के बार-बार आदेश दिए जाने के बाद भी वे कौन हैं जो भड़काऊ बयान देने वालों के ख़िलाफ़ कार्यवाही न केवल कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं बल्कि उनको सम्मानित भी किया जा रहा है।
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आख़िर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चाहने वालों को क्यों नहीं लगता डर? हज़रत ज़ैनब ने किस लिए खाई थी सौगंध?
Aug १४, २०२३ १७:१३जैसे-जैसे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों का चेहलुम क़रीब आ रहा है वैसे-वैसे हुसैनियों के दिलों की धड़कनें तेज़ी होती जा रही हैं। यह ऐसा मौक़ा है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से श्रद्धा रखने वाला हर व्यक्ति यह चाहता है कि वह अरबईन के दिन पवित्र नगर कर्बला में मौजूद रहे। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पवित्र परिजनों के कथनों में बताया गया है कि मोमिन की एक निशानी, अरबईन की ज़ियारत है।
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दुनिया भर के देशों में चांद पर जाने की क्यों मची है होड़? क्या क़यामत की आहट को वैज्ञानिकों ने कर लिया है महसूस?
Aug १४, २०२३ १५:१४दुनिया भर की स्पेस एजेंसियां आज के समय चांद पर फोकस कर रही हैं। भारत ने अपना चंद्रयान-3 लैंडर भेजा है। वहीं रूस ने लूना-25 मिशन लॉन्च किया है। दोनों मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे। साथ ही दुनियाभर के देशों की चांद की प्रति बढ़ती दिलचस्पी इस बात का सबूत है कि कुछ तो वैज्ञानिकों ने ऐसा महसूस किया है कि जिसको अभी वह दुनिया के सामने नहीं लाना चाह रहे हैं।
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मार-काट, तोड़-फोड़ और भ्रष्टाचार-बलात्कार भारतीय जनता पार्टी की पहचान बनता जा रहा है! बीजेपी के नारों की क्या है सच्चाई?
Aug ०८, २०२३ १५:५३विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बयान जिस स्तर के होते हैं उसको सुनने के बाद यही समझ में आता है कि मार-काट, तोड़-फोड़ और भ्रष्टाचार-बलात्कार इस पार्टी की वास्तविक पहचान है। सबसे अहम बात तो यह है कि जो यह नारा देती है उसके बिल्कुल विपरीत कार्य करती है। जैसे सबका साथ सबका विकास नारे का वास्तविक अर्थ आज तक कोई नहीं समझ पाया है।
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दूसरे देशों में युद्ध की आग भड़का कर अपनी रोटी सेंकने वाले अमेरिका के दरवाज़े पर पहुंची जंग की लपटें!
Aug ०७, २०२३ १६:५१कहते हैं न दोस्त का दोस्त, दोस्त और दुश्मन का दुश्मन, दुश्मन होता है। यही हाल इस समय पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। आज के दौर में विश्व के ज़्यादातर देश दो हिस्सों में बंटे हुए नज़र आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण अमेरिका की दादागीरी और युद्ध-उन्मादी नीतियां हैं। इस धरती पर जहां-जहां अशांति और जंग है वहां-वहां अमेरिका की उपस्थिति ज़रूर देखने को मिलेगी। बल्कि यह कहना ग़लत नहीं है कि अमेरिका का अस्तित्व ही युद्ध पर टिका हुआ है।