भारतः सांप्रदायिक दंगों के बाद पुलिस की भूमिका को लेकर नया विवाद
भारत के त्रिपुरा राज्य में हालिया दिनों सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं जिनमें अप्लसंख्यक मुस्लिम समुदाय को बुरी तरह निशाना बनाया गया।
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका को लेकर नई बहस छिड़ गई है। पुलिस पर आरोप है कि उसने पक्षपात किया है। पुलिस ने बड़ी संख्या में सोशल मीडिया यूज़र्स पर यूएपीए क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है और आरोप लगाया है कि इन लोगों ने कथित तौर पर 'फ़र्जी फोटो और जानकारियां ऑनलाइन अपलोड कीं जिनके कारण सांप्रदायिक तनाव बढ़ने का ख़तरा था।
हालांकि यह भी सच्चाई है कि सोशल मीडिया की वजह से ही यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था।
विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर त्रिपुरा के उत्तरी ज़िलों में हालिया सांप्रदायिक हिंसा के ख़िलाफ़, यहां तक कि इसका केवल उल्लेख करने के लिए त्रिपुरा पुलिस ने 102 लोगों पर कड़े गैर क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है।
त्रिपुरा पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, ट्विटर के 68, फेसबुक के 32 और यूट्यूब के दो एकाउंट होल्डर के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा पहले पश्चिम अगरतला थाने द्वारा दर्ज किए गए मामलों को अब राज्य की अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया है।
इन हालिया मामलों से पहले राज्य पुलिस ने दिल्ली के दो वकीलों- अंसार इंदौरी और मुकेश पर बीते महीने की सांप्रदायिक हिंसा की एक स्वतंत्र फैक्ट-फाइंडिंग जांच में भाग लेने के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था।
3 नवंबर 2021 को लिखे एक पत्र में पश्चिम अगरतला थाने ने ट्विटर को उसके प्लेटफॉर्म से कम से कम 68 खातों को ब्लॉक करने और उनके बारे में व्यक्तिगत जानकारी प्रदान करने का अनुरोध किया और बताया कि इनके खिलाफ यूएपीए की धारा 13 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस ने अपने नोटिस में यह आरोप लगाते हुए कि ‘सोशल मीडिया पोस्ट्स के चलते त्रिपुरा में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की क्षमता है, जिसके परिणामस्वरूप दंगे हो सकते हैं’ कहा है कि इन खाताधारकों ने राज्य में हाल ही में हुई झड़प और मुस्लिम समुदायों की मस्जिदों पर कथित हमले से जुड़े भ्रामक और आपत्तिजनक समाचार और बयान पोस्ट किए हैं।
इस बीच त्रिपुरा हाईकोर्ट ने 26 अक्तूबर को हुई हिंसा के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 10 नवंबर से पहले एफिडेविट दायर कर ये बताने को कहा कि उन्होंने हिंसा की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए और सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए उनके पास क्या प्लान है।
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