भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग से अमरीका परेशान
(last modified Sun, 02 Oct 2022 06:52:23 GMT )
Oct ०२, २०२२ १२:२२ Asia/Kolkata
  • भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग से अमरीका परेशान

भारत और रूस के बीच हथियारों की ख़रीदारी से अमरीका नाराज़ हो गया है।

अमरीका के सीनेटरों ने अमरीका-भारत रक्षा भागीदारी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमरीकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी बताया। एक विधायी संशोधन में तीन अमरीकी सीनेटरों ने यह बात कही। यह विधायी संशोधन राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन से भारत को रूसी हथियारों से दूरी बनाने के लिए प्रेरित करने की अपील करता है।

सीनेट में इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर, सीनेटर जैक रीड और जिम इनहोफ राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम में संशोधन के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि भारत, चीन से आसन्न और गंभीर क्षेत्रीय सीमा खतरों का सामना करता है और भारत-चीन सीमा पर चीनी सेना का आक्रामक रुख़ जारी है।

संशोधन में कहा गया है कि अमरीका को भारत की रक्षा जरूरतों का दृढ़ता से समर्थन करते हुए उसे रूस में निर्मित हथियार और रक्षा प्रणाली न खरीदने के लिए भारत को प्रेरित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने चाहिए। इसमें कहा है कि भारत अपनी राष्ट्रीय रक्षा के लिए रूस में निर्मित हथियारों पर निर्भर रहता है।

रूस, भारत में सैन्य हार्डवेयर का मुख्य आपूर्तिकर्ता रहा है। अक्तूबर 2018 में भारत ने अमरीका की चेतावनी को नज़रअंदाज करते हुए एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की 5 यूनिट्स खरीदने के लिए 5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

इस संशोधन में अहम और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर अमरीका-भारत पहल का स्वागत किया गया है। इसमें कहा गया है कि कृत्रिम बुद्धिमता, क्वांटम कम्प्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी, एअरोस्पेस और सेमीकंडक्टर विनिर्माण में आगे बढ़ना जरूरी है। इस उद्देश्य से दोनों देशों में सरकारों और उद्योगों के बीच करीबी भागीदारी विकसित करना अहम क़दम है। (AK)

 

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