सनातन धर्म संसद ने फिर फैलाया अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत
राजधानी दिल्ली में एक बार फिर अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा का अह्वान किया गया और प्रशासन पूरी तरह ख़ामोश नज़र आया।
पांच फ़रवरी को बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘सनातन धर्म संसद’ का आयोजन किया था।
इस कार्यक्रम में शामिल होने वालों की तीन मुख्य मांगें हैं, रामचरितमानस को ‘हिंदू राष्ट्र’ भारत का राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और शास्त्री को ज़ेड-प्लस सुरक्षा दी जाए हालांकि बाद में यह कार्यक्रम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा के आह्वान में तब्दील हो गया.
आयोजन में शामिल मुख्य वक्ता भक्त हरि महाराज ने इस कार्यक्रम में हिंसा का भी आह्वान किया। मुख्य वक्ता भक्त हरि के भाषण की शुरुआत उत्तर प्रदेश के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस की आलोचना के खिलाफ आक्रोश दिखाकर हुई।
उन्होंने कहा था कि यह किताब नफरत फैलाती है और दलितों एवं निचली जातियों के प्रति भेदभावपूर्ण है, ‘उन्हें सबक सिखाने’ के लिए क़ानूनी कार्रवाई की मांग करने के बाद भक्त हरि का आक्रोश अचानक अल्पसंख्यकों की तरफ केंद्रित हो गया।
उन्होंने कहा कि जो लोग हनुमान की पूजा करेंगे, उन्हें ईसाई और मुसलमान मार डालेंगे. गायों को खाने वाले तुम्हें खा जाएंगे, हमारे 36 करोड़ देवता एक गाय के अंदर रहते हैं और ये ईसाई और मुसलमान हर सूर्योदय से पहले 1.5 लाख गायों का वध कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ों ने कहा था कि तोड़ो, बांटो, राज करो. कांग्रेस ने कहा, तोड़ो, बांटो, राज करो. ईसाइयों ने कहा- तोड़ो, बांटो, राज करो. मुसलमानों ने कहा- काटो, मारो। ईसाइयों ने कहा- काटो, मारो। वे आगे बोले, ‘कब मारोगे? अरे, ईसाई-मुसलमानों को कब मारोगे?’
उन्होंने कहा कि आपके पास मारने के लिए कोई हथियार नहीं है, आपके पास सब्ज़ियां काटने के लिए चाकू हैं. हथियार रखो. तलवारें रखो. बंदूकें रखो. हमारे सभी देवी-देवता अपने हाथों में शस्त्र धारण करते हैं. आपको एक हाथ में हथियार रखना चाहिए और दूसरे हाथ में धर्म ग्रंथ, हथियारों और किताबों का संतुलन बनाकर आगे बढ़ो, हमारे रामचरितमानस का अपमान करने वालों को देशद्रोही घोषित कर गोली मार देना चाहिए जो हमारी बेटियों-बहुओं को उठा कर ले जाते हैं उन्हें खुले में गोली मार दो, फिर चाहे ईसाई हों या मुसलमान।
5 फ़रवरी को सनातन धर्म संसद के समय ही सुदर्शन टीवी के प्रमुख और हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता सुरेश चव्हाणके के समर्थकों द्वारा एक और कार्यक्रम आयोजित किया गया था. वहां, वक्ताओं ने कहा कि भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए ‘मरने और मारने’ के चव्हाणके के 2021 के सार्वजनिक उद्बोधन पर सुप्रीम कोर्ट की आलोचनात्मक टिप्पणी ‘अनावश्यक क़नूनी उत्पीड़न’ थी।
उन्होंने शीर्ष अदालत पर मुसलमानों का पक्ष लेने का भी आरोप लगाया और भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए फिर से शपथ ली। मंच से अल्पसंख्यकों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी और चव्हाणके का विरोध करने वालों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया गया।
दोनों घटनाओं में कुछ सामान्य वक्ता और दर्शक थे। दोनों घटनाओं के खिलाफ अभी तक कोई पुलिस कार्रवाई नहीं हुई है। (AK)
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