Feb २८, २०२३ १९:०१ Asia/Kolkata
  • हिन्दू राष्ट्र, खालिस्तानी राष्ट्र और इस्लामी राष्ट्र, जब बात निकली है तो बहुत दूर तलक जाएगी ...

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसकी ख़ूबसूरती भी अनेकता में एकता के तौर पर मानी जाती है। शायद ही दुनिया का कोई ऐसा देश होगा कि जहां इतनी बड़ी संख्या में विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के मानने वाले रहते हों या फिर इतनी ज़्यादा तादाद में भाषाएं बोली जाती हों। लेकिन इधर कुछ वर्षों से हिन्दू कट्टरपंथियों की ओर से हिन्दुस्तानी गुलिस्तां में मौजूद रंग-बिरंगे फूलों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

वैसे तो हिन्दू राष्ट्र की मांग का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन उसके साथ ही साथ खालिस्तान की भी मांग की जाती रही है। जबकि मुसलमानों द्वारा भारत पर सैकड़ों साल किए गए शासन के बाद भी उन्होंने हिन्दुस्तान को हिन्दुस्तान ही रहना दिया और हिन्दुस्तानी गुलिस्तानं में लहरा रहे रंग-बिरंगे फूल को फलने फूलने दिया। वर्ष 2014 के बाद से एक बार फिर भारत में कट्टरपंथी हिन्दुओं ने सिर उठाना शुरु कर दिया और देखते ही देखते पूरे देश के माहौल को ज़हरिया बना दिया। जिस संविधान की लोग क़स्में खाते हैं उसी को राजधानी दिल्ली में सरे आम जलाया भी गया। लेकिन इस बात का अंदाज़ा तो पहले से ही लगाया जा रहा था कि आने वाले दिनों में हिन्दू राष्ट्र के साथ-साथ अन्य लोगों द्वारा भी अलग-अलग राष्ट्रों की मांग की जाएगी। यहां दिलचस्प बात यह है कि जहां हिन्दू राष्ट्र की मांग करने वालों को सरकार समेत मीडिया भी सही दिखाने और ठहराने की कोशिश में लगा रहता है वहीं खालिस्तानी और इस्लामी राष्ट्र की मांग करने वालों को तुरंत देश द्रोही क़रार दे दिया जाता है। जबकि यह सारी मांगे असंवैधानिक हैं या फिर सभी की मांगे जायज़ हैं, यह तो देश के संविधान के ही ख़िलाफ़ है कि किसी एक को महत्व दिया जाए और दूसरे को अन्देखा कर दिया जाए।

अब बात करते हैं अमृतपाल सिंह की। जिन्होंने हाल ही में खालिस्तानी राष्ट्र की मांग करते हुए यह सवाल किया कि हमारी यह मांग कैसे क़ानून के ख़िलाफ़ है और अगर है तो फिर हिन्दू राष्ट्र की मांग करना भी क़ानून के ख़िलाफ़ है। कार्यवाही हो तो दोनों पर हो, वर्ना किसी एक पर कार्यवाही हो और एक पूरी आज़ादी के साथ देश के संविधान को जलाकर हिन्दू राष्ट्र की मांग करे और उसपर कार्यवाही न हो तो यह पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी और तानाशाही रवैया है। वहीं अमृतपाल के बयान के बाद अब भारतीय मीडिया और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह उनको विदेश एजेंट साबित करने में लग गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अमृतपाल सिंह को बढ़ावा देकर पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई पंजाब में एक 'कट्टर सांप्रदायिक नेता' खड़ा करना चाहती है। वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले युवाओं के बीच अलगाववादी भावनाओं को भड़काना चाहती है। वहीं यही एजेंसियां और मीडिया हिन्दू राष्ट्र के नाम पर ज़हरिले और भड़काऊ बयान देने वालों के ख़िलाफ़ मुंह भी नहीं खोलती। कुल मिलाकर भारत का संविधान का सबको सम्मान करना चाहिए, उसके अनुसार ही समान तौर पर ऐसे सभी तत्वों के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए जो हिन्दुस्तां के गुलिस्तां के रंग-बिरंगे फूलों को तोड़कर ज़हर के बीच बोने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि अगर हालात ऐसे ही रहे तो फिर आने वाले दिनों में कोई भी इस गीत को गाने से शर्माएगा कि, सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी वह गुलिस्तां हमारा...। (रविश ज़ैदी R.Z)

नोटः लेखक के विचारों से पार्स टुडे हिन्दी का सहमत होना ज़रूरी नहीं है।

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