भारत में आधारकार्ड की विश्वसनीयता पर फिर उठने लगे सवाल
रेटिंग एजेंसी मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के ‘आधार’ कार्यक्रम जैसी केंद्रीकृत पहचान प्रणालियों में सुरक्षा और गोपनीयता की कमज़ोरियों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि गर्म और आर्द्र परिस्थितियों में इनकी बायोमेट्रिक पहचान संदिग्ध होती है।
द हिंदू के मुताबिक, मूडीज़ ने अपनी रिपोर्ट ‘विकेंद्रीकृत वित्त और डिजिटल संपत्ति’ में कहा कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार का प्रबंधन करता है, जिसका लक्ष्य हाशिये पर रहने वाले समूहों को एकीकृत करना और कल्याणकारी लाभों की पहुंच का विस्तार करना है, इस प्रणाली के परिणामस्वरूप अक्सर सेवा में बाधा उत्पन्न हो जाती है, विशेष तौर पर गर्म और आर्द्र जलवायु में मज़दूरों के लिए बायोमेट्रिक तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगते हैं।
रेटिंग एजेंसी ने सुझाव दिया कि ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित डिजिटल वॉलेट जैसी विकेंद्रीकृत पहचान (डीआईडी) प्रणाली एक बेहतर समाधान हो सकता है क्योंकि वह उपयोगकर्ताओं को अपने निजी डेटा पर अधिक नियंत्रण देती है और ऑनलाइन धोखाधड़ी के जोखिम को कम करती है।
रिपोर्ट में कैटलोनिया, आजरबाइजान गणराज्य और एस्टोनिया में सफल योजना के कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जिन्होंने डिजिटल पहचान जारी करने के लिए ब्लॉकचेन-आधारित प्रणाली का उपयोग किया है।
एक केंद्रीकृत प्रणाली में बैंक, सोशल मीडिया मंच या सरकारी मतदाता सूची जैसी एक इकाई यूजर्स के पहचान संबंधी विवरणों और ऑनलाइन संसाधनों तक उनकी पहुंच को नियंत्रित और प्रबंधित करती है, वह इकाई यूजर्स के पहचान संबंधी डेटा- जैसे कि नाम, पता और सामाजिक सुरक्षा नंबर आदि- आंतरिक या थर्ड पार्टी प्रोफाइलिंग उद्देश्यों के लिए बेच सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी प्रणाली यूजर्स को उनके निजी डेटा पर कम से कम नियंत्रण प्रदान करती है।
मूडीज ने कहा कि डीआईडी को अपनाने से गोपनीयता बढ़ती है और बिचौलियों के पास रखी व्यक्तिगत जानकारी की मात्रा कम हो जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने एक प्रेस नोट में कहा कि बिना किसी सबूत या आधार का हवाला दिए दुनिया की सबसे भरोसेमंद डिजिटल पहचान ‘आधार’ के ख़िलाफ़ बढ़-चढ़कर दावे किए गए हैं।
मंत्रालय की ओर से गर्म और आर्द्र जलवायु में बायोमेट्रिक के काम न करने के आरोपों पर कहा गया है कि यह भारत की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के संदर्भ में है, मनरेगा डेटाबेस में आधार की सीडिंग श्रमिकों को उनके बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके प्रमाणित किए बिना की गई है। (AK)
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