Jan २१, २०२४ १५:३४ Asia/Kolkata
  • आयोध्या में बीजेपी के राम मंदिर के उद्घाटन से ठीक पहले हुआ बड़ा ख़ुलासा! मोदी के दोस्त का नाम फिर आया सामने!

अयोध्या में बीजेपी के राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह से कुछ ही दिन पहले समाचार वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन ने अपनी विस्तृत जांच में स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं और अडानी समूह के बीच भूमि सौदे के बारे में ख़ुलासा करते हुए एक बड़ा धमाका किया है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, एक समाचार रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर-दिसंबर 2023 के बीच टाइम सिटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी नामक एक कंपनी ने सरयू नदी के पास 1.13 करोड़ रुपये में ज़मीन का एक टुकड़ा ख़रीदा, जिसे कुछ हफ्तों बाद अडानी समूह को तीन गुना से भी अधिक क़ीमत पर बेच दिया गया। टाइम सिटी समूह एक पूर्व भाजपा विधायक का है। टाइम सिटी सहारा समूह के पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट चंद्र प्रकाश शुक्ला द्वारा स्थापित टाइम सिटी समूह का एक हिस्सा है। शुक्ला भाजपा में शामिल हो गए थे और 2017 से 2022 के बीच कप्तानगंज से विधायक थे। यह समूह शुक्ला के पूर्व व्यावसायिक सहयोगी पंकज पाठक द्वारा चलाया जाता है, जो भाजपा सदस्य हैं। जिनके बारे में स्क्रॉल की रिपोर्ट कहती है कि ‘उनके भाजपा की राज्य इकाई में कई दोस्त हैं।’ इस सौदे में किसानों ने ही औने-पौने दाम में ज़मीन बेच दी, भूमि सौदा कई पारिस्थितिकी संबंधी प्रश्न भी उठाता है। अक्टूबर 2023 में टाइम सिटी ने माझा जमथरा में एक हेक्टेयर ज़मीन ख़रीदी। वह ज़मीन घनसीरा यादव और कबूतरा देवी यादव के परिवार की थी। माझा जमथरा में जो ज़मीन अडानी समूह को बेची गई थी, वह सरयू के पास पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील आर्द्रभूमि का हिस्सा है, जो सारस क्रेन, ग्रे हेरोन और भारतीय लोमड़ी का निवास स्थान है। दिसंबर 2022 से सरकार ने इस क्षेत्र में किसी भी नए निर्माण पर रोक लगा दी है।

माझा जमथरा फैज़ैबाद, अयोध्या और सरयू नदी के बीच एक विशाल, ग़ैर आबादी वाला क्षेत्र है,  उस स्थान से क़रीब 5 किलोमीटर दूर जहां कभी बाबरी मस्जिद थी और अब बीजेपी का राम मंदिर बन रहा है। स्क्रॉल के सवालों के जवाब में अडानी समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘(इसकी सहायक कंपनियों में से एक द्वारा) किया गया लेन-देन पूरी तरह से क़ानूनी है और सभी क़ानूनों और विनियमों के अनुसार किया गया है। कंपनी ने मौजूदा सर्किल रेट पर ज़मीन ख़रीदी है। दिलचस्प बात यह है कि इस लेन-देन में लगभग सभी गवाह स्थानीय भाजपा नेताओं से जुड़े हुए हैं। लेन-देन के साथ-साथ, दूसरा पहलू जो जांच के दायरे में आया है, वह पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में एक निजी ख़रीददार को भूमि की बिक्री की वैधता है। स्क्रॉल की रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित 2019 की समिति पर प्रकाश डालती है, जिसने पाया था कि माझा जमथरा आर्द्रक्षेत्र के आसपास का क्षेत्र राज्य सरकार का है। एनजीटी की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन निगरानी समिति को सबसे पहले मई 2019 में अयोध्या के एक पुजारी द्वारा माझा जमथरा में जल प्रदूषण के बारे में सचेत किया गया था। समिति की अंतरिम रिपोर्ट में संलग्न भूमि रिकॉर्ड से पता चलता है कि माझा जमथरा में अडानी समूह द्वारा ख़रीदी गई भूमि का एक बड़ा हिस्सा इस जलमग्न क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

कुल मिलाकर यह एक ख़बर है जिसकी अभी काफ़ी जांच होनी बाक़ी है। वैसे भी जब मस्जिद की ज़मीन को कोर्ट बिना किसी सबूत के केवल आस्था को बुनियाद बनाकर मंदिर के निर्माण के लिए दे सकती है तो यह तो मोदी के दोस्त का मामला है और कहते हैं न कि "सैयां भये कोतवाल, अब डर काहे का" (RZ)  

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