कई वर्षों तक जेल में रहने के बाद मुसलमान आरोपी बाइज़्ज़त बरी
बम विस्फोटों और सांप्रदायिक हिंसा के आरोपों में गिरफ़्तार कई मुसलमानों को वर्षों के बाद बाइज़्ज़त बरी कर दिया गया।
भारत में सन 1993 में कुछ शहरों में ट्रेनों में विस्फोट हुए थे। इन विस्फोटों के आरोप में कई लोगों में गिरफ़्तार किया गया था जिनमें अब्दुल करीम टुंडा भी शामिल थे। वर्षों तक जेल में जीवन गुज़ाने के बाद उनको बरी कर दिया गया।
अजमेर के टाडा न्यायालय ने अब्दुल करीम टुंडा को बरी किया है। इस न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अब्दुल करीम टुंडा के विरुद्ध कोई प्रमाण नहीं पाया गया इसलिए उनको बरी कर दिया गया। टुंडा को सन 2013 में नेपाल की सीमा के निकट गिरफ़्तार किया गया था।
याद रहे कि सन 1993 में भारत के हैदराबाद, कानपुर, लखनऊ, सूरत और मुंबई में रेलगाड़ियों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इन्ही धमाकों के आरोप में अब्दुल करीम टुंडा को गिरफ़्तार किया गया था।
दूसरी ओर भारत की राजधानी दिल्ली में 2020 में होने वाले सांप्रदायिक दंगों के संबन्ध में गिरफ़्तार 6 मुसलमानों को भी बाइज़्ज़त बरी किया गया है। दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि आरोपियों के विरुद्ध जो भी प्रमाण प्रस्तुत किये गए वे आरोपियों की निशानदेही करने में विफल रहे।