Pars Today
बम विस्फोटों और सांप्रदायिक हिंसा के आरोपों में गिरफ़्तार कई मुसलमानों को वर्षों के बाद बाइज़्ज़त बरी कर दिया गया।
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में सांप्रदायिक हिंसा के भड़कने के चार दिनों बाद 20 अप्रैल को स्थानीय प्रशासन ने कई झुग्गियों, मकानों और दुकानों पर बुल्डोज़र चलवा कर उन्हें तुड़वा दिया।
भारत में इन दिनों सांप्रदायिकता का राज हो गया है, हर तरफ़ ज़हर घोला जा रहा है, हिन्दु और मुसलमानों को आपसी में लड़ाने की कोशिशें हो रही हैं, टीकाकार भारत के भविष्य के लिए इसे ख़तरनाक बता रहे हैं।
भारत में रामनवमी और हनुमान जयंती का त्योहार समाप्त हो जाने के बाद अभी भी इस देश के कई हिस्सों से सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की ख़बरें आ रही हैं। कई स्थानों पर स्थानीय प्रशासन ने कर्फ़्यू लगाया है लेकिन पुलिस द्वारा एक तरफ़ा कार्यवाही की भी बात सामने आ रही है।
भारत मैं मुस्लमानओं के विरुद्ध कट्टरपंथी हिन्दुऔं का उग्र व्यवहार
एक बहुत पुरानी कहावत है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस, यह हाल भारतीय पुलिस का है। जिसकी सत्ता उसकी पुलिस। आजकल भारत की किसी न किसी अदालत से पुलिस को लगातार फटकार लगती दिखाई दे रही है। इस मामले में दिल्ली पुलिस सबसे आगे है। क्योंकि दिल्ली में वर्ष 2020 के फ़रवरी महीने में हुए संप्रदायिक दंगे में हो रही जांच ने न्यायलय को भी आक्रोशित कर दिया है।
भारत की राजधानी दिल्ली दंगा मामले में जांच को ‘संवेदनाहीन और हास्यास्पद’ क़रार देते हुए अदालत ने दिल्ली पुलिस पर 25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया है।
देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ़ इकबाल तन्हा... ये उन तीन स्टूडेंट्स के नाम हैं जिन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को ज़मानत दी। तीनों के ख़िलाफ़ ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों की रोकथाम संबंधी क़ानून (UAPA) के मुक़दमे दर्ज हैं। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट कहती है कि 2020 में हुए दंगों के पीछे इनकी व अन्य आरोपियों की साज़िश थी। अदालत ने इन आरोपों का ख़ारिज कर दिया है। दिल्ली से हमारे संवाददाता शमशाद काज़मी की रिपोर्ट।
इंडियन एक्सप्रेस में हर्ष मंदर लिखते हैः भीमा कोरेगांव के मुल्ज़िमों को राज्य द्वारा क़ैद हुए तीन साल हो चुके हैं। कोविड-19 और उनकी सेहत का सामने मौजूद ख़तरे के बावजूद राज्य उनकी ज़मानत का विरोध कर रहा है।
भारत में संशोधित नागरिकता क़ानून के विरोध के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।