ट्रम्प की मोदी को बधाई तो बेरोज़गारों ने सुनाई खरी-खोटी
एक ओर जहां पूरी दुनिया सहित भारत कोरोना वायरस से जूझ रहा है वहीं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन बड़े-बड़े आयोजन करके मनाया जा रहा है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने मोदी को उनके जन्मदिन पर बधाई देकर उनके समर्थकों की ख़ुशी दो बराबर कर दिया है।
आजकल तो सोशल मीडिया पर हर दिन ही एक नया संग्राम होता है। लेकिन गुरुवार को नज़ारा ही अलग था, एक तरफ़ जहां मोदी भक्त कहे जाने वाले लोग कोविड-19 के सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन मन रहे थे, तो दूसरी तरफ़ करोड़ों की संख्या में बेरोज़गार युवा 'राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस' मना रहे थे। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी तो मोदी समर्थकों की ख़ुशी का कोई ठिकानी नहीं रहा। ट्रम्प ने एक ट्वीट में मोदी को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें 'महान नेता और वफ़ादार दोस्त' बताया। बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को हुआ था और गुरुवार को वह 70 साल के हो गए। ट्रम्प ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके 70वें जन्मदिन पर अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं, एक महान नेता और वफ़ादार दोस्त के लिए यह दिन बार-बार आए।'

वहीं मोदी के जन्मदिन पर जो सबसे ख़ास तोहफ़ा भारतीय प्रधानमंत्री के लिए रहा है वह था करोड़ो बेरोज़गारों की ओर से 17 सितंबर को बेरोज़गार दिवस के तौर पर मनाए जाने का। भारत में बेरोज़गारी कई साल से बड़ी समस्या बन कर उभर रही है। 2017-18 में तो कोरोना महामारी का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं था, लेकिन उस समय भी भारत में बेरोज़गारी की दर 6.1 प्रतिशत थी, जो बीते 45 साल सबसे ज़्यादा थी। लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद तो सब कुछ ही बदल गया, जिनके पास नौकरियां थीं, उनकी भी नौकरियां छिन गईं और रही सही कसर मोदी सरकार द्वारा देश की अधिकतर सरकारी संस्थाओं के निजीकरण ने पूरी कर दी है। इसलिए बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठना स्वाभाविक है। मोदी के जन्मदिन पर सरकार के कई मंत्रियों ने अख़बारों में बड़े बड़े लेख लिखकर उनकी उपलब्धियों का उल्लेख किया, लेकिन कोई एक सत्ताधारी पार्टी का नेता सामने नहीं आया जो बढ़ती बेरोज़गारी पर मोदी सरकार की विफलता पर एक शब्द भी कहता। हर साल दो करोड़ लोगों को रोज़गार देने का प्रधानमंत्री का वादा तो अब बहुत पीछे छूट गया है, लेकिन वह जिस युवा शक्ति की बार बार बात करते हैं, उसका इस्तेमाल तभी हो सकेगा जब उनके हाथ में रोज़गार हो। (RZ)