ईरान बना शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य
विदेशमंत्री ने कहा है कि शंघाई सहयोग संगठन में ईरान की सदस्यता का व्यापक सहयोग की प्रक्रिया पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि दोशंबे में राष्ट्रपति की उपस्थिति में ईरान को शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य चुना गया। उन्होंने कहा कि यह स्ट्रैटेजिक सदस्यता का ईरान की ओर से पड़ोसियों के साथ व्यापक सहयोग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
याद रहे कि शंघाई सहयोग संगठन के 21वें शिखर सम्मेलन में शुक्रवार 17 सितंबर 2021 को आधिकारिक रूप में ईरान को इसकी सदस्यता प्रदान की गई। शंघाई सहयोग संगठन के 21वें शिखर सम्मेलन ताजिकिस्तान की राजधानी दोशंबे में 12 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति से आरंभ हुआ।
भारत के प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 21वें शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन मेंं अपने भाषणों के दौरान इस संगठन में इस्लामी गणतंत्र ईरान की सदस्यता का स्वागत किया है। राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने शंघई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन मेंं अपने भाषण में इस संगठन में ईरान की स्थाई सदस्यता पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम आशा करते हैं कि शंघाई सहयोग संगठन बहुत ही कम समय में क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अच्छी पहचान बना लेगा। रूस के राष्ट्रपति ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ईरान की सदस्यता से इसके गौरव में वृद्धि होगी। इस सम्मेलन को आन लाइन संबोधित करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जीन पिंग ने कहा कि शंघाई शिखर सम्मेलन के सदस्यों को एक-दूसरे के साथ खड़े रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस बात की अनुमति नहीं देनी चाहिए कि इस संगठन के किसी भी सदस्य पर कोई दूसरा देश हमला करे।
ज्ञात रहे कि शंधाई सहयोग संगठन एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 15 जून सन 2001 में की गई थी। इसके गठन का उद्देश्य, क्षेत्र में अमरीका और नेटों के प्रभाव का मुक़ाबला करना है। जून सन 2017 को भारत और पाकिस्तान भी शंघाई सहयोग संगठन के आधिकारिक सदस्य चुने गए थे।
इस सम्मेलन में ताजिकिस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान, क़ज़ाक़िस्तान, तुर्कमनिस्तान, पाकिस्तान, उज़बेकिस्तान और बेलारूस के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त रूस, चीन, भारत और मंगोलिया के राष्ट्राध्यक्षों ने इसमें आनलाइन हिस्सा लिया।