पश्चिम द्वारा संकट उत्पन्न करने पर राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया
(last modified Sun, 24 Jul 2022 06:14:03 GMT )
Jul २४, २०२२ ११:४४ Asia/Kolkata

राष्ट्रपति ने कहा है कि ईरानी राष्ट्र पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से आईएईए मे प्रस्ताव पारित किया गया था।

राष्ट्रपति रईसी ने फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ टेलिफोनी वार्ता में ईरान के विरुद्ध अमरीका और यूरोप के प्रयासों की निंदा की है।

सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी के ईरानी विरोधी प्रस्ताव पारित करने का उद्देश्य हमारे राजनीतिक विश्वास को नुक़सान पहुंचाना था।

आईएईए के बोर्ड आफ गवरनर्स की बैठक के दौरान रुस और चीन के कड़े विरोध के बावजूद अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के अनुरोध पर 8 जून को ईरान विरोधी प्रस्ताव पेश किया गया था।  अवैध ज़ायोनी शासन की अपुष्ट तथा असंतुलित रिपोर्टों के आधार पर पारित किये गए इस प्रस्ताव की ईरान ने कड़ी आलोचना की थी।

अमरीका तथा कुछ यूरोपीय देशों की यह ईरान विरोधी कार्यवाही दर्शाती है कि प्रतिबंधों को हटवाने के उद्देश्य से की जाने वाली वार्ता में भाग लेने वाले पश्चिमी वार्ताकार, इसको ईरान पर दबाव के हथकण्डे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।  वास्तव में अमरीका प्रयास कर रहा है कि आईएईए का दुरूपयोग करके वह ईरान को उसकी क़ानूनी और वैध मांगों से भी पीछे हटने के लिए विवश करे।

स्पष्ट सी बात है कि ईरान के विरुद्ध प्रतिबंधों के जारी रहने, ईरान विरोधी प्रस्ताव पारित करने और अधिकतम दबाव की नीति अपनाने से वार्ता में अमरीका की नियत में खोट का पता चलता है।  हालांकि ईरान इससे पहले कई बार इस बात की घोषणा कर चुका है कि वह सामने वाले पक्ष की ज़्यादती के सामने झुकने वाला नहीं है।

अमरीकी प्रतिबंधों के संदर्भ में ईरान के राष्ट्रपति रईसी ने कहा है कि यह विश्व की अर्थव्यवस्था को अधिक नुक़सान पहुंचाने वाले हैं।  ईरान के राष्ट्रपति के अनुसार इसका सबसे अधिक नुक़सान यूरोप को होगा।  ईरान और रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर पश्चिम द्वारा प्रतिबंध लगाने से अब यूरोप में तेल और गैस के मूल्यों में उल्लेखनीय वृद्धि हो गई है।  इस वजह से वर्तमान समय में यूरोपीय देशों को अपनी ऊर्जा की ज़रूरतों को पूरा करने में गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

अब हालत यह हो गई है कि यूरोप में तेल और गैस के मू्ल्यों में वृद्धि को रोकने के उद्देश्य से फ़्रांस ने विश्व के तेल बाज़ार में ईरान और वेनेज़ोएला के तेल की आपूर्ति की मांग की है।  इसी संदर्भ में ब्लूमबर्ग ने ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाए जाने के लिए की जाने वाली वार्ता में आ रहे उतार-चढ़ाव का उल्लेख किया है।  इस समाचार एजेन्सी के अनुसार समझौते को पुनर्जीवित करने के संबन्ध में अमरीकी राष्ट्रपति की आशा पर इसलिए पानी फिरता दिखाई दे रहा है क्योंकि इस समय विश्व को तेल की बहुत अधिक आवश्यकता है।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान समय में यूरोपीय देशों में तेल और गैस की बढ़ती क़ीमत को देखते हुए यह समझ में नहीं आ रहा है कि आगामी शीतकाल में यह देश, किस प्रकार से अपनी गाड़ी खींच पाएंगे?

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