आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामनेई की मौजूदगी में हुई अज़ादारी
गुरुवार को तेहरान स्थित इमाम ख़ुमैनी हुसैनिया (इमामबाड़ा) में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों का ग़म मनाने के लिए आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई की मौजूदगी में एक शोक सभा आयोजित हुई।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, हर साल की तरह इस साल भी मोहर्रम के मौक़े पर कर्बला के शहीदों का ग़म मनाने के लिए इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई की मौजूदगी में गुरुवार 4 अगस्त को तेहरान स्थित इमाम ख़ुमैनी हुसैनिया में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभा का आयोजन हुआ। इस शोकसभा को तेहरान के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सिद्दीक़ी ने संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को पाप, इच्छाओं की ग़ुलामी और शैतानी ख़्यालों से मुक्ति का द्वार बताया। उन्होंने कहा कि कर्बला दुनिया के पीड़ितों को यह पाठ देती है कि अत्याचारी के ख़िलाफ़ ईश्वर पर आस्था के साथ मैदान में आना चाहिए और संख्या में कम होने के बावजूद, साम्राज्यवादियों के मुक़ाबले में सत्य के मोर्चे को नहीं छोड़ना चाहिए।

सर्वोच्च नेता की मौजूदगी में आयोजित हुई इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शोक सभा में सबसे पहले क़ारी मोहम्मद हुसैन मोवाह्हदी ने पवित्र क़ुरआन की तेलावत की और उसके बाद श्री मेहदी समावाती ने दुआए तवस्सुल पढ़ा। जिसके बाद सैयद मोहम्मद रज़ा नरिमानी ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों के संबंध में मरसिया और नौहा पढ़ा। बता दें कि गुरुवार 4 अगस्त से हुसैनिया इमाम ख़ुमैनी में शुरु हुई शोक सभा का सिलसिला अगले पांच दिनों तक चलेगा। ग़ौरतलब है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के प्राणप्रिय नाती हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को उनके वफ़ादार साथियों के साथ कर्बला के मैदान में तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया गया था। इमाम हुसैन (अ) ने उस समय के अत्याचारी और भ्रष्ट शासक के ख़िलाफ़ उठाई थी। (RZ)
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