फ्रांसीसी दूतावास के सामने ज़बरदस्त प्रदर्शन, कुख्यात पत्रिका शार्ली हेब्दो ने फिर पहुंचाई मुसलमानों को ठेस
(last modified Thu, 12 Jan 2023 03:38:05 GMT )
Jan १२, २०२३ ०९:०८ Asia/Kolkata
  • फ्रांसीसी दूतावास के सामने ज़बरदस्त प्रदर्शन, कुख्यात पत्रिका शार्ली हेब्दो ने फिर पहुंचाई मुसलमानों को ठेस

तेहरान में स्थित फ्रांसीसी दूतावास के सामने बड़ी संख्या में आम लोगों और छात्रों ने एकत्रित होकर कुख्यात फ्रांसीसी मेगज़ीन शार्ली हेब्दो द्वारा पवित्र धार्मिक हस्तियों और स्थलों के किए गए अनादर के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, फ़्रांस की कुख्यात मेगज़ीन शार्ली हेब्दो ने एक बार फिर अपनी सारी सीमाओं को लांघते हुए मुसलमानों और विशेष तौर पर शिया मुसलमानों को निशाना बनाया है। इस बार फ्रांसीसी पत्रिका "शार्ली हेब्दो" ने मुसलमानों के अधिकार, पवित्रता और धार्मिक और राष्ट्रीय मूल्यों का अपमान करने वाले कार्टून बनाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता शुरू करने के अपने शर्मनाक कार्य के बाद, बुधवार 4 जनवरी को अत्यंत आपत्तिजनक चित्रों और आपत्तिजनक शब्दों के साथ उन्हें प्रकाशित किया। शार्ली हेब्दो की इस हरकत के लिए दुनिया भर में व्यापक आलोचना हो रही है और एक बार फिर अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने लोगों के धार्मिक विश्वासों और धार्मिक प्रतीकों के अपमान का मुद्दा गर्म हो गया है। इस बीच तेहरान स्थित फ्रांस के दूतावास के सामने बड़ी संख्या में आम लोगों और छात्रों ने एकत्रित होकर विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने "मैक्रां अपराध करते हैं और यूरोप उनका समर्थन करता है", "फ्रांस शर्म करो, दुश्मनी को छोड़ दो" और "किसी भी मुसलमान की ख़ामोशी पवित्र क़ुरआन के साथ ग़द्दारी है" के नारे लगाए।

बता दें कि फ्रांसीसी पत्रिका ने वरिष्ठ धार्मिक नेताओं का अपमान करके एक बार फिर अपनी इस्लाम के ख़िलाफ़ दुश्मनी को उजागर किया है और इस्लामोफ़ोबिया को हवा दी है। यह कुख्यात मेगज़ीन इससे पहले पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अपमानजनक कार्टून प्रकाशित कर चुकी है और इसने अब ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई और ईरान के राष्ट्रीय धार्मिक प्रतीकों के अपमानजनक कार्टून प्रकाशित करने का दुस्साहस किया है। तेहरान ने शार्ली हेब्दो के इस क़दम की कड़ी निंदा की है और विदेश मंत्रालय तेहरान स्थित फ़्रांसीसी राजदूत को तलब भी कर चुका है। ग़ौरतलब है कि दूसरे पश्चिमी देशों की तरह फ़्रांस भी मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपमानजनक कृत्यों के लिए बयान की आज़ादी या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहाना बनाता है। हालाकिं बयान की आज़ादी का मतलब, की भी स्थिति में दूसरों का अपमान नहीं हो सकता है। (RZ)

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