इस्लामी शिक्षाओं के मुताबिक़, मज़दूरों की क्षमताओं का विकास, एक ज़िम्मेदारी है। हदीस में है कि अगर कोई किसी मज़दूर पर अत्याचार करे, उसकी मज़दूरी या वेतन के बारे में अन्याय करेगा, तो उसके सभी पुण्य बर्बाद हो जाएंगे।
मजलिसे ओलमाए हिन्द के महासचिव और इमामे जुमा लखनऊ ने जुमे की नमाज़ में दिए गए अपने भाषण में अवैध आतंकी शासन इस्राईल द्वारा किए जाने वाले बर्बरतापूर्ण हमलों और मज़लूम फ़िलिस्तीनी जनता के हो रहे नरसंहार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ज़ायोनी शासन और उसका समर्थन करने वालों की कड़े शब्दों में निंदा की है।
पूरी दुनिया में शिया मुसलमानों की सबसे बड़ी तमन्ना जहां पवित्र हज पर जाना होता है तो वहीं पवित्र नगर कर्बला में स्थित इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े की ज़ियारत के लिए भी उतनी ही तड़प उनके दिल में होती है। लेकिन हर दिन बढ़ती मंहगाई की वजह से आज भी ऐसे बहुत सारे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चाहने वाले हैं जो कर्बला जाने में अक्षम हैं।
ईरान में आज पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
एक ही वक़्त में एक ही स्थान पर जुटने वाली सबसे बड़ी भीड़ के विश्व-रिकार्ड पर नज़र डालने से पता चलता है कि इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में अरबईन के मौक़े पर आयोजित होने वाला धार्मिक कार्यक्रम इस समय, एक वक़्त में एक स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का एकत्रित होना अभूतपूर्व है।
घाना के शिया समुदाय के प्रमुख ने नाइजर पर पश्चिम अफ़्रीक़ी देशों के आर्थिक संगठन (इकोवास) द्वारा संभावित सैन्य हमले के परिणामों के बारे में चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अफ़्रक़ी देशों को बाहरी शक्तियों के बहकावे में आए बिना सबसे पहले अपने क्षेत्र के हित के बारे में सोचना चाहिए।
ईरान में शाह चिराग़ के पवित्र रौज़े पर हुए आतंकवादी हमले के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता और इसी तरह व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में भाग लिया था ... उन्होंने ईरान के 6 अरब डॉलर की रूकी हुई संपत्ति को आज़ाद किए जाने समेत कई अन्य मुद्दों पर बातचीत की ... साथ ही क़ैदियों के अदान-प्रदान के बारे में भी अपना स्टैंड रखा। लेकिन इस दौरान दोनों ही प्रवक्ताओं ने ईरान में हुए आतंकवादी हमले के बारे में एक भी शब्द नहीं बोला ...हालांकि शीराज़ में हुए आतंकवादी हमले के बारे कुछ ...
हर सुबह मीडिया के माध्यम से मिलने वाले समाचारों में आतंकी हिंसा के बारे में कोई बुरी ख़बर ज़रूर होती है। शायद ही कोई दिन ऐसा गुज़रता है जिस दिन दुनिया के किसी न किसी हिस्से में किसी न किसी आतंकी घटना में लोगों की बलि न चढ़ती हो। दरअसल आतंकवाद, युद्ध का एक नया रूप हो गया है जो किसी सीमा को नहीं मानता और जिसका कोई स्पष्ट चेहरा भी नहीं होता। यह आतंकवाद आधुनिक तकनीक के साथ जुड़कर दुनिया में क़हर बरपा कर रहा है। साथ ही दुनिया में सबसे ज़्यादा आतंकवाद की अगर कोई बलि चढ़ा है तो वह हैं शिया मुसलमान।
जैसे-जैसे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का चेहलुम क़रीब आता है, उनके चाहने वालों में एक विशेष प्रकार का जोश और जज़्बा जागने लगता है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पवित्र परिजनों के कथनों में बताया गया है कि मोमिन की एक निशानी, अरबईन की ज़ियारत है। इमाम हुसैन के चेहलुम के दिन करबला में उपस्थिति का अपना एक विशेष महत्व है। इस दिन करबला में जो चीज़ दिखाई देती है उसका बयान करना संभव ही नहीं। क्योंकि उसको देखने के लिए अरबईन के मौक़े पर कर्बला में होना और अपनी आंखों से देखना ज़रूरी है।
बहरैन के नेता शेख ईसा क़ासिम ने कहा है कि यह राष्ट्र अत्याचार के मुक़ाबले झुकने वाला नहीं है।