Mar २१, २०२३ १८:२१ Asia/Kolkata

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई नौरोज़ और नए हिजरी शम्सी वर्ष 1402 के अवसर पर पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के पिवत्र रौज़े से सीधे देश और दुनिया के लोगों को संबोधित कर रहे हैं।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई ने ईदे नौरोज़ के अवसर पर पवित्र नगर मशहत में इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े में लाखों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान के दुश्मन इस इस्लामी व्यवस्था के ताक़तवर बिन्दुओं को ख़त्म करना चाहता है। उन्होंने कहा कि जनता की राय से बुनियादी मुद्दों को उठाया जाना चाहिए, जनता को बुनियादी ज़रूरतों से परिचित होना चाहिए। इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने कहा कि उठाये जाने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर विचार सक्रिय होंगे और वे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं उसपर विचार के लिए प्रतिभाशाली युवा भी सक्रिय होंगे। उन्होंने कहा कि बड़ी मांगों को साकार करने के लिए, उन्हें जनता के सामने रखा जाना चाहिए और उनकी राय लेनी चाहिए। इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने कहा कि हमें यह समझाने की ज़रूरत है कि परिवर्तन से हमारा क्या मतलब है, परिवर्तन का मतलब परिवर्तन है, इस्लामी व्यवस्था के दुश्मन भी परिवर्तन कहते हैं, लेकिन वे जो चाहते हैं, वह हम जो चाहते हैं, उसके ठीक विपरीत है।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई ने कहा कि दुश्मनों का लक्ष्य उन सभी चीज़ों को हटाना और मिटाना है जो लोगों को वास्तविक इस्लाम और क्रांति की याद दिलाती हैं। उनका लक्ष्य लोकतांत्रिक सरकार को अहंकारी शक्तियों की ग़ुलाम सरकार में बदलना है। साम्राज्यवादी शक्तियों का लक्षय यह है कि वे ऐसे आज्ञाकारी व्यक्ति बैठाना चाहते हैं जो पश्चिमी की झूठी और फरेब देने वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था के एजेंट का तौर पर उनके लिए काम करे। उन्होंने कहा कि वे लोग जो यहां रहकर संविधान के बदले जाने की बात करते हैं, वे दुश्मनों की ज़बान बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऐसी बातें करने वाले लोग बहकावे और असावधानी के कारण इस तरह करते हैं, लेकिन कभी-कभी वे दुश्मनों के लक्ष्यों को दोहराते हैं। ग़ौरतलब है कि तीन साल बाद यह पहला ऐसा मौक़ा है जब इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता नौरोज़ के मौके पर सीधे मशहद से लोगों को संबोधित कर रहे हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान कोरोना महामारी को देखते हुए आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई नौरोज़ के अवसर पर टीवी चैनलों के माध्यम से लोगों को संबोधित कर रहे थे। (RZ)

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