रक्षा के क्षेत्र में ईरान ने की उल्लेखनीय प्रगति
(last modified Wed, 05 Apr 2023 13:47:07 GMT )
Apr ०५, २०२३ १९:१७ Asia/Kolkata
  • रक्षा के क्षेत्र में ईरान ने की उल्लेखनीय प्रगति

ईरान के प्रतिरक्षा के क्षेत्र में कुछ एसी उपलब्धियां अर्जित की हैं जो वास्तव में उल्लेखनीय हैं। पेश है इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट।

इस्लामी गणतंत्र ईरान का रक्षामंत्रालय, यहां की सेना और आईआरजीसी वे तीन प्रमुख सक्रिय इकाइयां हैं जिन्होंने देश के भीतर विभिन्न प्रकार के हथियारों की डिज़ाइनिंग और उनके उत्पादन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

ईरान की सशस्त्र सेनाओं में शोध और विकास का यूनिट पिछले कई दशकों से प्रयासरत है कि देश के भीतर पाई जाने वाली क्षमताओं से लाभ उठाते हुए अपनी आवश्यकता के हथियारों का निर्माण किया जाए।  इस संबन्ध में वायु रक्षा क्षेत्र भी वह एसा क्षेत्र है जिसमें ईरान ने बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं।  हर देश का वायु रक्षा क्षेत्र वह होता है जिसके माध्यम से देश की सुरक्षा को अधिक सुनिश्चित किया जा सकता है।  हालिया कुछ वर्षों के दौरान वायुरक्षा क्षेत्र में बावर-373, पंद्रह ख़ुरदाद और मिरसाद नामके कई सिस्टम बनाए गए। 

ईरान की सेना और आईआरजीसी या सिपाहे पासदारान के भीतर एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम के क्षेत्र में हालिया के वर्षों के दौरान उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है।  किसी ही देश की थल सेना की ज़मीनी कार्यवाही के दौरान उसको अपनी सुरक्षा के लिए वायुसेना विशेषकर उसके एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम की सहायता की ज़रूरत होती है जो एक कवच के रूप में उसकी सुरक्षा करता है।  पहले विश्व युद्ध के आरंभ के काल से ही थल सेनाओं के लिए युद्धक विमान एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आए है। 

आरंभ में तो एयर डिफेंस सिस्टम में तोपों का भी प्रयोग किया जाता था किंतु बाद में सतह से सतह तक मार करने वाले मिसाइलों और स्टिंगर मिसाइलों के सामने आ जाने के बाद इस क्षेत्र में अधिक प्रगति देखी गई।  ईरान के रक्षा उद्योग ने वायुरक्षा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम की डिज़ाइनिंग और उनके निर्माण में उल्लेखनीय कार्य किये।  शत्रु की संभावित कार्यवाही का मुक़ाबला करने में उसमें अधिक क्षमता पाई जाती है।  शत्रु का मुक़ाबला करने के लिए ईरान ने एंटी एयरक्राफ्ट के क्षेत्र में जो प्रगति की है उसमें "सईर" नामक तोप का बनाय जाना है।  यह दो प्रकार से अपना काम करती है।  सईर नामक तोप को बनाने का काम ईरान के पूर्व रक्षामंत्री मुहम्मद नज्जार के काल में आरंभ हुआ था।  इसके नमूनों को 2011 के जाड़े के मौसम में तैयार किया गया था।  9 आज़र सन 1390 हिजरी शमसी को ईरान के तत्कालीन रक्षामंत्री अहमद वहीदी और आईआरजीसी की वायुसेना के कमांडर मेजर जनरल अमीर अली हाजीज़ादे की उपस्थिति में सईर को आईआरजीसी के वायुसेना विभाग के हवाले किया गया था। 

इस अवसर पर मेजर जनरल अहमद वहीदी ने कहा था कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है जिसका व्यापक स्तर पर उत्पादन शुरू हो चुका है।  देश के रक्षा उद्योग में इसको स्थानीय संसाधनों से स्वदेशी ढंग से निर्मित किया गया है।   इस प्रणाली के परिचालन की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार की है कि यह एक रडार या आप्टीकल प्रणाली के साथ अपना लक्ष्य ट्रैक कर सकती है। किसी व्यक्ति की ज़रूरत के बिना यह वांचित लक्ष्यों को साध सकती है। सईर नामक एंटी एयरक्राफ्ट से संबन्धित सारे ही काम देश के प्रतिरक्षा उद्योग के माध्यम से ही किये गए और बाद में सका व्यापक पैमान पर उत्पादन किया जाने लगा। 

यह वास्तव में 100 मिलीमीटर की के.एस-19 जैसे सिस्टम की भांति है जो आटोमैटिक काम करती है।  इसको 12000 मीटर तक के ऊंचे लक्ष्य को टारगेट करने के लिए बनाया गया है। रडार और आप्टिकल सिस्टम से जुड़ने की क्षमता रखने वाली सईर तोप को नियंत्रण प्रणाली के माध्यम से निर्देशित किया जाता है।  हालांकि इसको प्रयोग करने के लिए मात्र एक व्यक्ति की अब भी ज़रूरत होती है किंतु इसने स्वचालन में अधिक लोगों के प्रयोग को बहुत कम कर दिया है।  यह तोप प्रति मिनट 12 से 15 गोलियां दाग़ने में सक्षम है।  यह प्रणाली समान प्रणालियों की तुलना में बहुत अधिक विश्वसनीयता के साथ अपने लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता रखती है।  इसके प्रयोग से देश की सेना कम और मध्यम ऊंचाई पर अपनी रक्षा करने में अधिक सक्षम हो सकेगी।  सीरिया के भीतर युद्ध के दौरान यह प्रणाली प्रभावी सिद्ध हुई है। 

सईर नामक तोप क्षेत्र में दुश्मन के विमानों के प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से अंतरिक्ष को असुरक्षित बनाने की ताक़त रखती है।  फिलहाल यह तोप हर मिनट 12 राउंड फाएर करने में सक्षम है किंतु इसको बढ़ाकर 15 से 20 राउंड प्रति मिनट करने की क्षमता की जाएगी।  इसकी उन्नत क़िस्म से तोपों का एक नेटवर्क तेयार किया जा सकता है जिनको मध्यम और निम्न ऊंचाई वाले लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।  इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका स्वचालित होना बताया जाता है।  ईरान के रक्षा मंत्रालय के रक्षा उद्योग ने सईर तोप के निर्माण के बाद उसकी मारक क्षमता को प्रभावी ढंग से बढ़ाने के लिए प्रयास किये हैं। 

सन 2018 में फार्स की खाड़ी में स्थित ईरान के तीन द्वीपों की सिपाहे पासदारान के कमांडर मेजर जरनल हुसैन सलामी की यात्रा के दौरान सईर रक्षा प्रणाली के एक मोबाइल माडल को प्रदर्शित किया गया था।  सईर रक्षा प्रणाली की विशेषता इस प्रकार है।  इसका भारत ग्यारह टन है।  इससे मिनट में 12 से 15 गोलियां फाएर होती हैं।  इसका आपरेश्नल कवरेज रेंज, एंगल माइनेस थ्री से प्लस 85 डिग्री तक होता है।  इसकी परिचालय सीमा 20 किलोमीटर से लेकर 40 किलोमीटर तक है।  इसकी आपरेटिंग ऊंचाई 15 किलोमीटर तक होती है।

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