शंघाई सहयोग संगठन की बैठक, क्षेत्र के लिए क्यों अहम है?
(last modified Thu, 27 Apr 2023 08:28:49 GMT )
Apr २७, २०२३ १३:५८ Asia/Kolkata

इस्लामी गणराज्य ईरान के रक्षामंत्री शंघाई सहयोग संगठन के रक्षामंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुंच गये।

ब्रिगेडियर जनरल मुहम्मद रज़ा आश्तियानी एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल के साथ शंघाई सहयोग संगठन के रक्षामंत्रियों की बैठक में भाग लेने भारत की राजधानी नई दिल्ली पहुंचे। शंघाई सहयोग संगठन की बैठक इसी साल 4 और 5 मई को भारत के शहर गोवा में आयोजित होगी।

कुछ दिन पहले ही शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव झांग मिंग ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के अधिकारियों से मुलाक़ात के उद्देश्य से तेहरान की यात्रा की थी जिसके दौरान राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा था कि शंघाई और इस्लामी गणतंत्र ईरान के अधिकारियों के प्रयास ऐसे होने चाहिए कि समझौतों के कार्यान्वयन और संचालन में देरी की भरपाई हो और दोनों पक्षों का सहयोग स्वीकार्य स्तर तक पहुंच जाए।

इस मुलाक़ात में शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव झांग मिंग ने भी ईरान के शंघाई संगठन में शामिल होने की प्रक्रिया और सदस्य देशों के साथ ईरान के अच्छे संबंधों पर एक रिपोर्ट पेश की जिसमें ईरान की भूमिका और महत्व पर ज़ोर दिया गया।

उधर भारत ने पाकिस्तान को भी शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेने का निमंत्रण दिया जिसे पाकिस्तान ने आख़िरकार स्वीकार कर लिया। भारतीय मीडिया का कहना था कि भारत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को एससीओ की बैठक में शामिल होने के लिए दावत दी थी जिससे दोनों पारम्परिक प्रतिद्वंद्वियों के संबंधों पर जमी बर्फ़ पिघलने की उम्मीद लगाई जा रही है।भारत की ओर से इस बैठक का दावतनामा भेजे जाने से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत को कश्मीर सहित सारे मसले हल करने के लिए संजीदा बातचीत की मांग की थी।

लगभग डेढ़ महीने पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री को गुजरात का क़साई कह दिया था जिस पर हिंदुवादी भाजपा के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था वहीं भारत ने बिलावल भुट्टो के बयान को अभद्र कहा था। पाकिस्तान के विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत का न्योता स्वीकार कर लिया जिसके बाद वह पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री होंगे जो 12 साल बाद भारत का दौरा करेंगे, इससे पहले जुलाई 2011 में उस समय की विदेशमंत्री हिना रब्बानी खर ने भारत का दौरा किया था।

भारतीय अख़बार के अनुसार भारत के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पड़ोसी देशों के साथ पालीसी को तरजीह को देखते हुए भारत चाहता है कि पाकिस्तान के साथ संबंध बेहतर हों, भारत का हमेशा यह दृष्टिकोण रहा है कि ख़ौफ़ और हिंसा का माहौल ख़त्म करके भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मसलों पर शांति के साथ दोतरफ़ा बातचीत होनी चाहिए। शंघाई सहयोग संगठन या एससीओ का गठन 2001 में छह देशों ने मिलकर किया था। तब चीन और रूस के अलावा मध्य एशिया के चार देश क़ज़ाक़िस्तान, क़िर्ग़िज़स्तान, उज़्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान इसके सदस्य थे। 2017 में पहली  बार संगठन में विस्तार किया गया और भारत और पाकिस्तान को इसमें शामिल किया गया।

वास्तव में वर्तमान वैश्विक व्यवस्था पर अगर नज़र डालेंगे तो साफ़ पता चल जाएगा कि चीन, भारत और रूस जैसी शक्तियों का उदय हो रहा है और यह दुनिया की उभरती हुई नई आर्थिक शक्तियां हैं। इसी तरह से ब्रिक्स और एससीओ जैसे संगठनों का गठन इस बात का सुबूत है कि शक्ति का संतुलन पश्चिम से पूरब की ओर झुक रहा है। इसलिए दुनिया के नेतृत्व का अमरीका का दावा सिर्फ़ एक खोखला दावा है, जिसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है। (AK)

 

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