आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष करने वाले क्यों अब दिखने लगे आतंकी?
ईरान के विदेशमंत्री ने आईआरजीसी के संदर्भ में स्वीडन की संसद के फैसले को उकसावे वाली कार्यवाही बताया है।
ईरान के सिपाहे पासदारान या आईआरजीसी के नाम को आतंकवादी गुटों की सूचि में शामिल करने के स्वीडन संसद के फैसले की अमीर अब्दुल्लाहियान ने कड़ी निंदा की है।
गुरूवार को आयरलैण्ड के विदेशमंत्री माइकल मार्टिन के साथ टेलिफोन वार्ता में उनका कहना था कि यह निर्णय उन आतंकी तत्वों के उकसावे में आकर लिया गया है जिनको ईरानी राष्ट्र बहुत पहले ही रिजेक्ट कर चुका है।
ईरान के विदेशमंत्री कहते हैं कि क्षेत्र में आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में सिपाहे पासदारान ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आईआरजीसी वह बल है जो राष्ट्रीय सुरक्षा का भी ज़िम्मेदार है और इसके अतिरिक्ति आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में भी आगे-आगे रहा है।
विदेशमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान के बयान से पहले ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी स्वीडन की संसद के फैसले की निंदा करते हुए इसको उकसावे वाली कार्यवाही बताया था।
विडंबना यह है कि वह सैन्य बल जिसने तन-मन और धन से आतंकवाद के विरुद्ध प्रभावी ढंग से संघर्ष करके क्षेत्र में आतंकवाद की कमर तोड़ दी, आज उसी को तथाकिथत आतंकवादी संगठनों की सूचि में शामिल किया जा रहा है।
इस टेलिफोन वार्ता में आयरलैण्ड के विदेशमंत्री माइकल मार्टिन ने कहा कि उनका देश एक प्रशासनिक संस्था के बारे में किये जाने वाले अनुचित फैसले का समर्थन नहीं करता। उनका कहना था कि आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में हम ईरान की भूमिका से भलिभांति परिचित हैं।
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