आज़ाद होकर घर वापस लौटे ईरानी कूटनयिक असदी
पांच वर्षों तक जेलों में बंद रहने के बाद ईरान के कूटनयिक असदुल्ला असदी अंततः स्वदेश पहुंच गए।
बेल्जियम और आस्ट्रिया ने 2 जूलाई 2018 को 5 लोगों की गिरफ़्तारी की सूचना दी थी जिनमें एक ईरानी राजनयिक शामिल थे। उनको मुनाफेक़ीन अर्थात आतंकवादी गुट की बैठक में बम रखने के तथाकथित आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।
इसी आरोप में पेरिस में भी एक ईरानी मूल के जोड़े को गिरफ़्तार किया गया। बेल्जियम ने गिरफ़्तार किये जाने वाले ईरानी कूटनयिक का नाम असदुल्ला असदी बताया था। आरोप यह भी लगाया गया था कि ईरानी मूल के जोड़े के साथ वे संपर्क में थे। उनको जर्मनी के बायरन राज्य में गिरफ्तार किया गया। बाद में बेल्जियम के एक न्यायालय में उनको हाज़िर किया जाएगा। जर्मनी के प्रोसिक्यूटर आफिर का दावा था कि इस ईरानी कूटनयिक ने ईरानी मूल के जोड़े को विस्फोटक पदार्थ उपलब्ध करवाए हैं।
अस्ल में यह पूरा नाटक, अवैध ज़ायोनी शासन, मुनाफेक़ीन और कुछ यूरोपीय गुप्तचर सेवाओं के सहयोग से तैयार किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य, ईरान तथा यूरोपीय देशों के संबन्धों को ख़राब करना था। विशेष बात यह है कि यह घटना अमरीका द्वारा एकपक्षीय ढंग से परमाणु समझौते से निकलने के बाद घटी।
इस नाटक के अन्तर्गत ईरान के राजनयिक को एक दिखावटी न्यायालय में 20 वर्ष की सज़ा सुनाई गई। इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इस घटना के पहले ही दिन से अपने राजनयिक की स्वतंत्रता के लिए यथा संभव प्रयास आरंभ कर दिये थे क्योंकि उनकी गिरफ़्तारी, कूटनयिक अधिकारों का खुला उल्लंघन थी। इसके अतिरिक्त यह मानवाधिकारों का भी खुला हुआ हनन था।
इस्लामी क्रांति विरोधी तत्वों के षडयंत्रों के कारण असदुल्ला असदी की आज़ादी को लेकर हालिया कुछ महीनों में कई उतार-चढ़ाए आए। पिछले पांच वर्षों के दौरान इस ईरानी कूटनयिक को आज़ाद न किये जाने के उद्देश्य से क्रांति विरोधी तत्वों और इस्लामी गणतंत्र ईरान के शत्रुओं ने भरसक प्रयास किये किंतु ओमान की मध्यस्था में अंततः असदुल्ला असदी की स्वतंत्रता संभव हुई।
याद रहे कि ईरान के कूटनयिक की आज़ादी, जहां पर ईरान के दुश्मनों विशेषकर मुनाफ़ेक़ीन गुटों की विफलता को दर्शाती है वहीं पर कूटनीति के क्षेत्र में इस्लामी गणतंत्र ईरान की सफलता की भी परिचायक है।
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