पवित्र स्थलों के रक्षक ही इस्लाम के मुख्य संरक्षक हैंः रईसी
(last modified Thu, 10 Aug 2023 09:03:20 GMT )
Aug १०, २०२३ १४:३३ Asia/Kolkata

राष्ट्रपति रईसी ने कहा है कि "मुदाफेईने हरम" अर्थात पवित्र स्थलों के रक्षक ही इस्लाम के वास्तविक सरंक्षक हैं। 

ईरान के राष्ट्रपति के अनुसार इस्लामी मूल्यों की रक्षा करते हुए यह रक्षक, ईशवर के मार्ग में शहीद हो जाते हैं। 

सैयद इब्राहीम रईसी ने बुधवार को शहीद क़ासिम सुलैमानी और शहीद हाज हुसैन हमदानी की याद में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि पवित्र स्थलों के रक्षकों ने पवित्र स्थलों की रक्षा के साथ ही देश की संप्रभुता की भी रक्षा की है।  यही कारण है कि आज उनकी याद मनाई जा रही है। 

पिछले कुछ वर्षों से इस्लामी गणतंत्र ईरान, क्षेत्रीय देशों में बढ़ती अशांति का साक्षी रहा है जिनमें अफ़ग़ानिस्तान, इराक़ और सीरिया का नाम लिया जा सकता है।  इसी अशांति की कोख से दाइश नामक आतंकी गुट ने जन्म लिया।  यह आतंकी गुट बाद न केवल क्षेत्रीय बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीरत ख़तरे में परिवर्तित हो गया।इसने ईरान की शांति को भी प्रभावित किया तथा क्षेत्र में उभरने वाली प्रतिरोधक शक्ति के विरुद्ध भी कार्यवाहियां कीं जिनका मुख्य उद्देश्य अवैध ज़ायोनी शासन के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र तैयार करना था। 

सन 2011 में जब आतंकवादी गुट दाइश ने इराक़ और सीरिया में अपने पैर फैलाने शुरू किये और वहां पर सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थलों को नष्ट करना आरंभ किया तो ईरान से इस आतंकी गुट से मुक़ाबला करने का अनुरोध किया गया।  इसी अनुरोध का जवाब देते हुए जनरल क़ासिम सुलैमानी के नेतृत्व में प्रतिरोध के जियालों ने इराक़ और सीरिया का रुख़ किया।  जिस समय दाइश के आतंकवादी क्षेत्र में विशेषकर इराक़ तथा सीरिया के भीतर ख़ून की होली खेल रहे थ उस समय उस समय क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों द्वारा मौन धारण करके दाइश का समर्थन किया जा रहा था। 

इन हालात में केवल इस्लामी गणतंत्र ईरान ही वह देश था इराक़ और सीरिया की सहायता के लिए आगे आया।  ईरान ने पूरी सूझबूझ और दूरदर्शिता से दाइश के बढ़त को रोका और इस आतंकी संगठन द्वारा हड़पे गए क्षेत्रों को उसके चुंगल से निकलवाने मे पूरी मदद की।  इस कार्यवाही में बहुत से जियालों ने अपनी जानें न्योछावर की जिनमें सबसे प्रमुख शहीद क़ासिम सुलैमानी, हाज हुसैन हमदानी और मोहसिन हुजजी का उल्लेख किया जाता है। 

पवित्र स्थलों के रक्षको के परिवार के सदस्यों के साथ भेंट में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा था कि अगर वे न होते तो हम अब भी इन दुष्ट आतंकवादियों ने संघर्ष कर रहे होते।  उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जिस शांति एवं सुरक्षा से हम लाभान्वित हो रहे हैं वह पवित्र स्थलों की रक्षा करने वाले बलों के बलिदान के कारण हमें मिली है।

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें