इस्लामी क्रांति ने सीख ली है आशूर की पाठशाला सेःअबूतोराबी फ़र्द
ईरान की इस्लामी क्रांति ने अपनी पहचान आशूरा से पाठ लेकर बनाई है।
अबूतोराबी फ़र्द कहते हैं कि अगर आशूर न होता तो इस्लामी क्रांति भी नहीं आती। तेहरान के इमामे जुमा ने कहा है कि ईरान की इस्लामी क्रांति ने आशूर की पाठशाला से बहुत कुछ सीखा है।
हुज्जतुल इस्लाम अबूतोराबी फ़र्द ने तेहरान में जुमे के ख़ुत्बे में बताया कि आशूर की पाठशाला ने ही सीरिया को अमरीका के चंगुल से आज़ाद कराया और यमन को प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने कहा कि यह पाठशाला, वह है जिसने शहीद क़ासिम सुलैमानी जैसों का प्रशिक्षण किया है।
तेहरान के इमामे जुमा ने अपने संबोधन के दूसरे भाग में आगामी संसदीय चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा नामांकन की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए कहा कि यह देश में लोकतंत्र का प्रतीक है।
उनका कहना था कि ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के साथ ही तानाशाही शासन व्यवस्था का पतन हो गया और नए संविधान के बनने से देश के संचालन में ईरानी राष्ट्र की भागीदारी की प्रक्रिया आरंभ हो गई। देश के आम चुनाव में नामांकन की यह प्रक्रिया 13 अगस्त 2023 तक जारी रहेगी। 21 फरवरी 2024 को प्रत्याशियों की योग्यता की अन्तिम घोषणा की जाएगी।
ईरान में आम चुनाव एक मार्च 2024 को आयोजित करवाए जाएंगे जिनके साथ वरिष्ठ नेता का चयन करने वाली समिति, "मजलिसे ख़ुबरेगान" के सदस्यों के लिए भी मतदान होगा।
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