इस्लामी एकता से खुल सकता है इस्लामी सभ्यता के वैभव का रास्ता
(last modified Mon, 02 Oct 2023 13:19:46 GMT )
Oct ०२, २०२३ १८:४९ Asia/Kolkata
  • इस्लामी एकता से खुल सकता है इस्लामी सभ्यता के वैभव का रास्ता

इस्लामी गणराज्य ईरान की राजधानी तेहरान में 37वीं इस्लामी एकता कान्फ़्रेंस जारी है जिसमें इस्लामी देशों के अलावा दूसरे देशों के बुद्धिजीवी, धर्मगुरु और स्कालर शामिल हैं। सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी के भाषण से हुआ।

कान्फ़्रेंस का विषय संयुक्त वैल्यूज़ निर्धारित करने के लिए इस्लामी सहयोग। सम्मेलन में दुनिया के 41 देशों के 3 हज़ार से अधिक बुद्धिजीवी और ओलमा शामिल हैं। कान्फ़्रेंस में इस्लामी जगत की चुनौतियों पर गहरी बहस हो रही है। जबकि विशेषज्ञ कमेटियां हालात की पेचीदगियों और रुकावटों को हटाने के तरीक़ों का जायज़ा ले रही हैं।

संयुक्त मूल्यों का निर्धारण, उन्हें पूरे इस्लामी जगत के सामने पेश करना और उनकी प्रतिबद्धता की दावत देना मुसलमानों के बीच एकता का प्रभावी मार्ग है। इस सम्मेलन में बड़ा अच्छा अवसर उपलब्ध हुआ है जिसका उपयोग करते हुए इस्लामी जगत के बुद्धिजीवी और स्कालर इस्लामी पुस्तकों और शिक्षाओं से इन समानताओं को निकाल सकते हैं और उन्हें मुसलमानों के सामने पेश कर सकते हैं ताकि उनकी मदद से इस्लामी समाज अधिक मज़बूत एकता व समरसता की तरफ़ आगे बढ़ें और एकजुट इस्लामी समाज के निर्माण के लक्ष्य से ख़ुद को क़रीब करें। यह काम इस्लामी बुद्धिजीवियों के हाथों ही अंजाम पा सकता है।

अलग अलग इस्लामी मतों को एक दूसरे के क़रीब लाना बहुत महत्वपूर्ण मिशन है जिस पर प्रबुद्ध समाज की तरफ़ से हमेशा बल दिया गया है। यह इस्लामी जगत की बहुत सी हस्तियों की तमन्ना भी रही है।

37 साल से तेहरान में इस्लामी सम्मेलन का आयोजन हो रहा है जिसका लक्ष्य इस्लामी जगत के संकटों और समस्याओं का समाधान खोजना और अलग अलग क्षेत्रों में मुसलमानों की क्षमताओं और संसाधनों को सशक्त बनाना है।

इमाम ख़ुमैनी की पहल पर एकता सप्ताह बनाने के एलान से ही इस्लामी जगत को बहुत महत्वपूर्ण पैग़ाम दिया गया कि उन्हें आपसी विवादों और मतभेदों को कंट्रोल करना है। वैसे एकता सप्ताह का नामकरण सबसे पहले आयतुल्लाह ख़ामेनेई के ज़रिए उस समय हुआ जब इस्लामी क्रांति का आंदोलन चल रहा था और शाही सरकार ने उन्हें निर्वासित कर दिया था। उस ज़माने में ईरानशहर में अपने निर्वासन के दौरान आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अहले सुन्नत धर्मगुरुओं के साथ मिलकर 12 से 17 रबीउल औवल को एकता सप्ताह मनाने की बात कही। बाद में इस्लामी क्रांति सफल हो जाने के बाद इमाम ख़ुमैनी ने इसका समर्थन किया। यहीं से इन दिनों को ईरान के कैलेंडर में एकता सप्ताह के रूप में दर्ज किया गया। 12 रबीउल औवल को अहले सुन्नत पैग़म्बरे इस्लाम का जन्म दिन मानते हैं और शिया समुदाय 17 रबीउल औवल को पैग़म्बर का जन्म दिन मानता है। इस बीच एकता सप्ताह मनाने की पहले महत्वपूर्ण साबित हुई।

इस नामकरण का ईरान ही नहीं बल्कि इस्लामी जगत के स्तर पर स्वागत किया गया। हर साल इस सप्ताह के दौरान शिया सुन्नी ओलमा और स्कालरों की शिरकत से अनेक प्रोग्राम आयोजित होते हैं।

यह सप्ताह मनाने का मूल लक्ष्य इस्लामी जगत में एकता को मज़बूत करना है। यह बड़ा अच्छा अवसर होता है कि मुसलमानों में एकता पैदा करने वाले तरीक़ों और उपायों पर ग़ौर किया जाए और उन्हें अमली जामा पहनाया जाए।

यह मिशन कोई सियासी मिशन नहीं बल्कि नई सभ्यता का रास्ता साफ़ करने वाला मिशन है। शिया सुन्नी एकता के बग़ैर इस्लामी सभ्यता का निर्माण नहीं किया जा सकता। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरे इस्लामी जगत का एकजुट होना ज़रूरी है।