ईरान और पाकिस्तान के तरक़्क़ी की ओर बढ़ते क़दम
(last modified Fri, 26 Jan 2024 08:00:38 GMT )
Jan २६, २०२४ १३:३० Asia/Kolkata

पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ भाईचारे और मैत्रीपूर्ण के संबंधों के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि ईरान के विदेशमंत्री की इस्लामाबाद की आगामी यात्रा, दोनों पड़ोसी देशों के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में एक कदम होगी।

जलील अब्बास जीलानी ने इस्लामाबाद में क्षेत्रीय अध्ययन के थिंक टैंक में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु संकट सम्मेलन के मौके पर कहा कि पाकिस्तान के ईरान के साथ बहुत क़रीबी और भाईचारे के रिश्ते हैं और यह रिश्तों का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

निस्संदेह, धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक समानताओं के कारण, ईरान और पाकिस्तान के बीच हमेशा गहरे द्विपक्षीय संबंध रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि ईरान, पाकिस्तान की रणनीतिक गहराई समझा जाता है, यही कारण है कि इस्लामाबाद, ईरान के साथ तनाव नहीं चाहता है।

राजनीतिक मुद्दों के विशेषज्ञ अब्बास खटक कहते हैं कि दो इस्लामी व मुस्लिम देशों के रूप में, पाकिस्तान और ईरान के  हमेशा भाईचारे के रिश्ते रहे हैं और तेहरान ने पाकिस्तान की समस्याओं को हल करने विशेषकर आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्रों में मदद करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।

इस बीच दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों के रूप में पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव के दृष्टिगत इस्लामाबाद और तेहरान के बीच संबंधों का विस्तार पाकिस्तान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान और पाकिस्तान के सामने विभिन्न और अनगिनत चुनौतियां हैं जिसने उनके आपसी संबंधों पर प्रभाव डाला है। इन महत्वपूर्ण चुनौतियों में सबसे अहम आतंकवादी गुटों की गतिविधियां, मादक पदार्थों, ईंधन और हथियारों की तस्करियां शामिल हैं।

हालिया दिनों में आतंकवादी गुटों ने अपने हमले तेज़ कर दिए है जिसकी वजह से न केवल क्षेत्र की सुरक्षा ख़तरे में पड़ी है बल्कि ईरान और पाकिस्तान के संबंधों पर भी इसने नकारात्मक प्रभाव डाला है लेकिन तेहरान और इस्लामाबाद ने स्थिति और संकट को संभालते हुए दुश्मनों की साज़िश को नाकाम करने में कामयाबी हासिल की है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के विशेषज्ञ मंसूर अहमद ख़ान कहते हैं कि ईरान-पाकिस्तान के संबंध दो मुस्लिम देशों के बीच संबंधों का एक मॉडल हैं, इसलिए दोनों देशों के दुश्मन इनको प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।

क्षेत्र में सक्रिय चरमपंथी और आतंकवादी गुट कभी-कभी प्राक्सी ग्रुप्स के रूप में तेहरान और इस्लामाबाद के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करते हैं जिससे आतंकवादी गुटों से निपटने में दोनों पक्षों की सतर्कता की आवश्यकता बहुत ही ज़रूरी हो जाती है।

बहरहाल ईरान के विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान की आगामी पाकिस्तान यात्रा के मौक़े पर द्विपक्षीय संबंधों के ढांचे को मज़बूत करने पर आधारित पाकिस्तान के विदेशमंत्री अब्बास जीलानी का बयान यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष स्थिति को समझते हुए तेज़ी से आगे बढ़ेंगे और तनाव को दूर करने, दोनों देशों और क्षेत्र के लिए अच्छाई और भलाई के रास्ते पर चलने में कामयाब रहेंगे।

तेहरान में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत रफ़अत मसूद का भी मानना ​​है कि हम ईरान को न केवल एक मित्र देश बल्कि अपना भाई देश भी मानते हैं, इस क्षेत्र में आतंकवाद की समस्या है और दोनों देशों की सीमाएं आतंकवाद की समस्याओं से उलझी हुई हैं और आतंकवादी गुट जैशे ज़ुल्म का विनाश इस्लामी गणतंत्र ईरान की सबसे महत्वपूर्ण चिंता है। (AK)

 

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