ग़ज़्ज़ा की मुश्किल मानवता की मुश्किल हैः वरिष्ठ नेता
इस्लामी गणतंत्र ईरान के अधिकारियों और इस्लामी देशों के राजदूतों ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से आज मुलाक़ात की।
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहो अलैहे वआलेही वसल्लम की बेसत अर्थात उनके ईश्वरीय दूत होने की घोषणा के अवसर पर ईरान के अधिकारियों और इस्लामी देशों के राजदूतों एवं प्रतिनिधियों ने गुरूवार को तेहरान में आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई से भेंटवार्ता की।
आज 8 फ़रवरी 2024 को पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पैग़म्बरी की घोषणा के सुखद अवसर पर पूरे ईरान में ईदे बेसत मनाई जा रही है। इस अवसर पर वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति की सफलता को, बेसत के संदेश का अनुसरण करना और स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी द्वारा ईरानी जनता के आह्वान को बताया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि उसके बाद से ईरान की जनता ईश्वर की कृपा से अपने रास्ते पर बढ़ती रही।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई के अनुसार जबतक पैग़म्बरे इस्लाम (स) के निमंत्रण का अनुसरण किया जाता रहेगा उस समय तक प्रगति भी होती रहेगी। पैग़म्बरे इस्लाम की शिक्षाओं पर अमल करते हुए इंसान, सांसारिक जीवन और पारलौकिक जीवन के लिए उदाहरण बन सकता है।
सर्वोच्च नेता के अनुसार पैग़म्बरे इस्लाम के निमंत्रण का पालन करते हुए वर्तमान समय की समस्याओं से मुक्ति हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमारी ज़िम्मेदारी आत्मनिर्माण के साथ ही इस्लामी आदर्श के आधार पर ईरान के संकल्प को दर्शाना है। इस संदर्भ में हमें उपलब्धियां भी अर्जित हुई हैं जिन्होंने दुनिया को प्रभावित किया है। हालांकि इसमें कुछ कमियां भी रही हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस भेंटवार्ता में सारे मुसलमानों को ईदे मबअस की बधाई देते हुए, इसको मानव इतिहास की बहुत ही महत्वपूर्ण घटना बताया। आपने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) की बेसत के माध्यम से मानवत जाति की लौकिक और परलौकिक परिपूर्णता का अन्तिम रुप पेश किया गया।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ग़ज़्ज़ा की मुश्किल मानवता की मुश्किल है। इसने सिद्ध कर दिया है कि वर्तमान विश्व व्यवस्था पूरी तरह से अमान्य और अस्थिर है जो नष्ट हो जाएगी। आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई के अनुसार इस समय अमरीका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों के साथ ही उनके पिछलग्गू, अवैध ज़ायोनी शासन का साथ दे रहे हैं जिसके हाथ ख़ून से रंगे हुए हैं। इस बात से ही यह समझा जा सकता है कि इस समय की विश्व व्यवस्था भ्रष्ट हो चुकी है जो मिट जाएगी। उन्होंने अस्पतालों पर बमबारी और ग़ज़्ज़ा के लगभग 30 हज़ार लोगों के जनसंहार को पश्चिमी संस्कृति के लिए शर्म की बात बताया।
वरिष्ठ नेता का कहना था कि ज़ायोनी अपराधों के पीछे अमरीका का धन, उसके हथियार और उसकी कूटनीतिक सक्रिय है। जैसाकि ज़ायोनी भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि अमरीकी हथियारों के बिना वे एक दिन भी युद्ध को जारी रखने में सक्षम नहीं थे। इस हिसाब से ग़ज़्ज़ा की कटु घटना के लिए अमरीकी भी ज़िम्मेदार हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि ग़ज़्ज़ा संकट का समाधान तभी सभव होगा जब विश्व की शक्तियां और पश्चिम के समर्थक इससे पीछे हटेंगे। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ता, संघर्ष का संचालन करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। वे अबतक म़जबूती से लड़ रहे हैंं और इस काम में उनको कोई विशेष क्षति भी नहीं हुई है।
आतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि सरकारों का दायित्व बनता है कि वे ज़ायोनी शासन की कूटनीतिक, प्रचारिक और सैनिक सहायता रोकते हुए उसके लिए उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति को भी बंद कर दें। आपने कहा कि राष्ट्रों की यह महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है कि इस काम को अंजाम देने के लिए वे सरकारों पर दबाव बनाएं।