Apr १८, २०२४ १५:०९ Asia/Kolkata
  • एक ऐसी हस्ती जो ईरान की इस्लामी क्रांति और पश्चिमी एशिया के प्रतिरोध की संस्थापक बन गई। इमाम ख़ुमैनी के 14 राजनीतिक नज़रिए+ तस्वीरें

पार्सटुडेः इमाम ख़ामनेई से पहले इमाम ख़ुमैनी (1902-1989) ईरान की इस्लामिक क्रांति के संस्थापक और इस्लामी गणराज्य ईरान के नेता थे। उन्होंने यह दिखाया कि इस्लामिक धर्मशास्त्र और राजनीतिक दर्शन को सही वक़्त और सही जगह पर इस्तेमाल किया जाए तो इससे समाज में बदलाव और उसके प्रबंधन के नए रास्तों को खोला जा सकता है।

प्रथम वलीए फ़कीह अर्थात सर्वोच्च धार्मिक नेता के रूप में इमाम ख़ुमैनी के विचारों ने जिस तरह ईरानी समाज के हर पहलुओं को कामयाबी तक पहुंचाया है वह उल्लेनीय है। इमाम ख़ुमैनी के विचारों ने कल्चरल, विज्ञान, राजनीति और सैन्य मैदान में ईरान को बहुत ऊंचाईयों तक पहुंचाया है। इसी संदर्भ में विशेषकर पश्चिम एशिया में लेबनान से लेकर यमन तक उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ एक सक्रिय प्रकार की आज़ादी की मांग करना बहुत महत्वपूर्ण है। इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने इस्लामी सरकार के सिद्धांत को पुनर्जीवित करके सैद्धांतिक दृष्टिकोण से ईरान के इस्लामी आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने शाही सरकार को अवैध घोषित कर दिया और ईश्वरीय शिक्षाओं पर आधारित सरकार के अलावा किसी भी अन्य सरकार को अस्वीकार कर दिया।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी (र.ह) की तस्वीरें।

इमाम ख़ुमैनी ने ख़िलाफत, शाही संविधान और विलायते फ़क़ीह के सिद्धांत को "इस्लामिक गणराज्य के सिद्धांत" के तहत आगे बढ़ाया। यह वही सिद्धांत है जो इमाम ख़ुमैनी (र.ह) के इस्लामी आंदोलन और पिछली शताब्दी के अन्य इस्लामी आंदोलनों के बीच बुनियादी अंतरों में से एक है। ईरान के शाही शासन का अंत और इस्लामी गणराज्य की स्थापना, वह भी एक धार्मिक नेता के नेतृत्व में, यह वह चीज़ है कि जो समकालीन युग में इस्लामी जागृति आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण जीत है। इमाम ख़ुमैनी (र.ह) और उनके साथियों की सबसे महत्वपूर्ण सैद्धांतिक उपलब्धि, इस्लामी गणतंत्र के संविधान की मंज़ूरी मानी जाती है। पहली बार, आधुनिक युग के समय और स्थान की आवश्यकताओं के अनुसार इस्लामी समाज को चलाने के सिद्धांत को व्यावहारिक तरीक़े से कोडिफाइड किया गया और इसे ईरानी राष्ट्र के अभिजात वर्ग और चुने हुए लोगों द्वारा अनुमोदित अर्थात अप्रूव किया गया।

इस्लामिक गणराज्य ईरान का संविधान इस्लामी सिद्धांतों, प्रबंधन अनुभव और मानवता के सामान्य ज्ञान के संयोजन से रेनेसांस (Renaissance) अर्थात पुनर्जागरण के बाद का ध्यान रखता है। संविधान की सामग्री इस्लाम और उसकी रूपरेखा मानव समूह के सामान्य बुद्धि के आधार पर इनोवेशन के दौर में है। इसलिए, शूरा अर्थात परिषदों और संस्थाओं का सिद्धांत जनता की सहभागिता को निर्धारण करने में महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि हम देखते हैं कि किस तरह ईरान में इस्लामी गणराज्य के सिद्धांतों के तहत अलग-अलग परिषदों और संस्थाओं का गठन किया गया है ताकि जनता कि अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा हो सके। संविधान में सशक्तिकरण के सिद्धांत के रूप में कार्यपालिका, न्यायपालिका, मजलिसे शूराये इस्लामी अर्थात संसद, शूरये निहेगबान अर्थात संरक्षक परिषद, मजलिसे ख़ुबरेगान अर्थात गॉर्जियन परिषद, शूराये तश्ख़ीसे मसलहते नेज़ाम अर्थात हित संरक्षक परिषद, शूराये आली अमनियते मिल्ली अर्थात राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और इसी तरह शहरों की शूरा जिसे नगर पालिका भी कह सकते हैं यह सब इस्लामी गणराज्य के सिद्धांत की ताक़त को दिखाती हैं। इमाम ख़ुमैनी ने एक साथ पूर्व और पश्चिम की साम्राज्यवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला और उसका मज़बूती के साथ सामना किया। इसी तरह उन्होंने अमेरिका और ज़ायोनीवाद के आतंकवाद और अत्याचारों से मुक़ाबले के लिए इस्लामी प्रतिरोध आंदोलनों की बुनियाद डाली। ईरान की इस्लामी क्रांति ने इमाम ख़ुमैनी (र.ह) के नेतृत्व में न केवल इस्लामी जगत के समाजिक और राजनीतिक समीकरणों की बदल दिया बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की समाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर देखने को मिलता है। इस्लामी क्रांति की सफलता के प्रभाव में एक नया युग "इस्लामी क्रांति का युग", "सियासी इस्लाम" और "धार्मिक शासन" के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मंचों और राजनीतिक-क्रांतिकारी विचारों की दुनिया में आरंभ हुआ।

इमाम ख़ुमैनी (र.ह) आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामनेई।

इमाम ख़ुमैनी के राजनीतिक विचारों के सिद्धांत:

इमाम ख़ुमैनी (र.ह) के नज़रिए के अनुसार वह जनता को और उनसे जुड़े मुद्दों को शीर्ष पर मानते हैं। इसके अलावा उपनिवेशवाद से टकराव और मुसलमानों का एकीकरण इमाम ख़ुमैनी का मुख्य राजनीतिक सिद्धांत रहा है। जनता की इच्छा और राय को क़ानून निर्माण और निर्णय लेने में शामिल करना उनके महत्वपूर्ण धार्मिक दृष्टिकोणों में से एक है जो उन्होंने इस्लामी नारे के साथ तिरस्कारी और अत्याचारी सोच के साथ मुक़ाबला करने के लिए अपनाया है।

इमाम ख़ुमैनी के कुछ ऐसे बयान जो उनके राजनीतिक और शासनिक दृष्टिकोण के आयाम को दर्शाते हैं, उनमें यहां कुछ का उल्लेख करते हैं:

1. इस्लामी सरकार के मूल सिद्धांत

तीन मूल सिद्धांत इस्लामी सरकार के कुछ इस तरह हैं। पहला सिद्धांत इस्लामी राज्य में न्याय की ज़रूरत को बयान करता है। दूसरा सिद्धांत इस्लामी राज्य में अपना नेता चुनने के लिए पूरी तरह आज़ादी ताकि वे अपनी क़िस्मत का पूरी स्वतंत्रता के साथ फ़ैसला ले सकें। तीसरा सिद्धांत इस्लामी देश की आज़ादी को विदेशियों की हस्तक्षेप और उनके हितों और अधिकारों पर नियंत्रण के ख़िलाफ़ रक्षा करता है।

 2. गणतंत्र का प्रकार

इस्लामिक गणराज्य की सरकार अन्य गणराज्यों की तरह एक गणतंत्र है, लेकिन इसका क़ानून इस्लामी क़ानून है।

शाह के तानाशाही शासन के खिलाफ ईरानी लोगों की क्रांति की जीत से पहले इमाम खुमैनी की एक तस्वीर, नोफ़ेल लेशातो (Neauphle-le-Château), फ्रांस

3. इस्लामी गणतंत्र की ज़िम्मेदारियां

इस्लामिक गणराज्य के मूल काम शामिल हैं: राष्ट्र की स्वतंत्रता और जनता की स्वतंत्रता की सुनिश्चिति, भ्रष्टाचार और अनैतिकता के ख़िलाफ़ लड़ाई, और इस्लामी मानकों के आधार पर सभी क्षेत्रों में आवश्यक सुधार करना, जैसे कि आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक। यह सुधारात्मक क़दम सभी लोगों की पूरी सहभागिता के साथ होगा और इसका पहला उद्देश्य किसी भी ग़रीबी को ख़त्म करना और बहुमत लोगों के लिए जीवन की स्थितियों को सुधारना है जो सभी दिशाओं से उत्पीड़ित हो गए हैं।

4. संसद और विधान की स्थिति

नेशनल असेंबली का मतलब यह है कि लोग पूरी आज़ादी के साथ जनता एक प्रतिनिधि को चुनें और वह बैठकर देश के कामों में सलाह दें।

5. चुनाव और सामान्य इच्छा

शाह के पतन के बाद मामलों को संभालने वाले समूह के सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिक कर्तव्यों में से एक स्वतंत्र चुनाव के लिए स्थितियां प्रदान करना है जिसमें चुनावों में किसी भी वर्ग या समूह की कोई शक्ति और प्रभाव नहीं होगा।

6. विदेश नीति के सिद्धांत और आधारभूत तत्व

इस्लामिक रिपब्लिक की नीति, स्वतंत्रता, राष्ट्र और सरकार की आज़ादी और देश की रक्षा करना होगा और स्वतंत्रता के बाद साथी सम्मान करना होगा, और शक्तिशाली और अन्य लोगों के बीच किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होगा।

7. फ़िलिस्तीन का मुद्दा और विश्व में स्वतंत्रता के पक्षधरों का मुद्दा।

ईरानी लोगों ने हमेशा सभी स्वतंत्रता प्रिय लोगों के संघर्ष, विशेष रूप से अवैध ज़ायोनी शासन के अतिक्रमण ख़िलाफ़ संघर्ष करने वाली फ़िलिस्तीनी जनता का हर स्तर पर समर्थन किया है और जितना संभव हुआ उनकी सहायता की है।

8. मुस्लिम एकता

मुसलमानों और इस्लामी राज्यों की एकता का विचार मेरे जीवन की योजनाओं में सबसे ऊपर है। मैं इस्लामिक सरकारों के विवादों से चिंतित हूँ। मुझे उस घटनाओं से डर लगता है जो मुस्लिमों और उनकी सरकारों के बीच दरार पैदा करती है।

9. कमज़ोर और ग़रीबों का समर्थन और सामाजिक न्याय

मुझे उम्मीद है कि इस्लामी गणतंत्र की सफलता और हमारी आपकी कामयाबी के साथ, हम इस्लामी न्याय की बुनियाद रख सकें, ताकि हम सभी की मुश्किलें हल हों, कर्मचारियों की मुश्किलें हल हों, मज़दूरों की मुश्किलें हल हों। इस्लामी गणराज्य में ग़रीबों का समर्थन किया जाना चाहिए। ग़रीबों को मज़बूत किया जाना चाहिए।

इमाम ख़ुमैनी अपनी परिवार के सदस्यों के साथ।

10. आज़ादी

आज़ादी इंसानों का अधिकार है। क़ानून स्वतंत्रता प्रदान करता है। ईश्वर लोगों को आज़ादी देता है। इस्लाम स्वतंत्रता देता है। संविधान लोगों को स्वतंत्रता देता है।

11. न्याय

इस्लाम ऐसा धर्म है कि जिसके नज़रिए से अल्लाह आदिल है, अल्लाह द्वारा भेजे गए दूत भी न्यायकारी हैं और इमाम भी आदिल हैं। निर्णय करने वाले या न्यायधीश पर लोग उसी समय भरोसा करते हैं कि जब वह स्वयं आदिल होते हैं।

12. मानव अधिकार

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, चुनाव की स्वतंत्रता, मीडिया की स्वतंत्रता, रेडियो-टेलीविज़न की स्वतंत्रता, प्रचार की स्वतंत्रता, यह मानवाधिकारों में से हैं और सबसे मौलिक मानवाधिकार हैं। जब तक मानवता का आधार आध्यात्मिक नहीं होगा तब तक वह सुधरने योग्य नहीं होगी। दूसरे शब्दों में इसको इस तरह कह सकते हैं कि मानव को सुधारना और मानव अधिकारों की रक्षा करना उस समय तक संभव नहीं हो सकता है कि जब तक उसकी निर्भरता का बिंदु आध्यात्मिक मूल न हो।

13. साम्राज्यवाद

इस्लामी देशों के प्रमुखों के बीच मौजूदा मतभेद, जो क़बीलाई राजतंत्रों और बर्बरता के युग की विरासत है  और राष्ट्रों को पीछे रखने के लिए विदेशियों के हाथों बनाया गया और इसके ज़रिए उन्होंने उन्हें सामग्री के बारे में सोचने के अवसर से वंचित कर दिया है। उबाऊ और निराशा की भावना जो उपनिवेश में लोगों में है, यहां तक कि इस्लामी नेताओं में भी उन्हें समस्या की उपाय ढूंढने की सोच से वंचित कर दिया है। आशा है कि युवा पीढ़ी, जो अभी बुढ़ापे की ठंड और शरीर की कमज़ोरियों तक नहीं पहुंची है, जितनी भी संभावना हो, उन्हें चाहिए कि राष्ट्रों को जागरूक करें।

14. अमेरिका की आलोचना

लाखों मुसलमानों के अधिकारों को छीनना और गुंडों से दबंगई कराके मुसलमानों के अधिकारों की हड़पना, इस्राईल जैसे अवैध और दिखावटी शासन को मुसलमानों के अधिकारों को हड़पने और उन्हें स्वतंत्रता से वंचित करने और सेंचुरी डील करने की अनुमति देना, यह वे अपराध हैं जो अमेरिकी राष्ट्रपतियों के दस्तावेज़ों में दर्ज हैं।

इमाम ख़ुमैनी लोगों के बीच।

सारांशः

इमाम ख़ुमैनी (र.ह) ने सिद्ध किया कि वे नए तरीक़े से इस्लामी समाज का प्रबंधन करने के लिए कोशिश करेंगे, जो वक़्त और जगह की आधुनिक ज़रूरतों को ध्यान में रखता है। उन्होंने इस रास्ते पर कई इनोवेटिव आईडियोलॉजिकल प्रस्ताव पेश किए और दिखाया कि इस्लामी न्यायशास्त्र और राजनीतिक दर्शन, समय और स्थान के अनुसार, समाज के प्रबंधन के लिए नई योजनाएं बनाने की क्षमता रखते हैं। इस्लामी राजनीतिक विचार का सार सत्ता का उचित वितरण और अपने भाग्य की योजना बनाने में लोगों की व्यावहारिक भागीदारी है। सरकार का अंतर्निहित कर्तव्य लोगों की आजीविका का प्रबंधन करना और स्वतंत्रता और न्याय स्थापित करना है। (RZ)

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