Jun ०३, २०२४ १५:१६ Asia/Kolkata
  • हमारा ध्यान ग़रीबों व निर्धनों पर होना चाहिये/ स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. और वंचितों की समस्या
    हमारा ध्यान ग़रीबों व निर्धनों पर होना चाहिये/ स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. और वंचितों की समस्या

पार्सटुडे- स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. के अनुसार ग़रीब और वंचित लोगों पर ध्यान देना महान ईश्वर के अधिकारों पर ध्यान देना है। स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी फ़रमाते हैं कि इस्लाम ने कहा है कि हमारा ध्यान ग़रीबों व निर्धनों पर होना चाहिये।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. की बरसी के उपलक्ष्य में इस संक्षिप्त चर्चा में हमने न्याय के महत्व और स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. की नज़र में ग़रीबों पर ध्यान देने पर एक दृष्टि डाली है।

जो बात हम पेश करने जा रहे हैं वह इसी संबंध में श्री एमाद अफ़रूग़ नामक प्रसिद्ध ईरानी अध्ययनकर्ता के भाषण का सार और ख़ुलासा है।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. का भाषण इस बात का सूचक है कि न्याय के संबंध में उनकी जो दृष्टि है वह पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी और शियों के पहले इमाम के अनुपालन व अनुसरण के अंतर्गत है।

बराबरी और पात्रता व योग्यता दोनों हज़रत अली अलैहिस्सलाम के दृष्टिगत हैं। हज़रत अली अलैहिस्सलाम समाज की वास्तविकता और उसके अधिकार के क़ाएल हैं परंतु साथ ही उनका मानना है कि किसी की कोशिश, प्रयास और काम को किसी दूसरे के ख़ाते में नहीं डाला जाना चाहिये।

जब स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. की नज़र में पूंजीवादी व्यवस्था और कम्यूनिज़्म आर्थिक व्यवस्था की तुलना करते हैं तो स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. निश्चितरूप से पूंजीवादी व्यवस्था को रद्द करते हैं और दो कारणों से वह सोशलिस्ट नीतियों के भी विरोधी हैं। पहला कारण यह है कि पूंजी, सरकारी पूंजी में परिवर्तित हो गयी थी और दूसरा कारण यह था कि सोशलिस्ट नीति, व्यक्तिग व निजी स्वामित्व की विरोधी थी।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. पूंजीवादी व्यवस्था के इसलिए विरोधी हैं कि उसमें अस्ल व मूल पूंजी होती है जिसका हर चीज़ पर वर्चस्व हो जाता है।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. ग़रीबों और वंचितों पर जो ध्यान देते थे वह केवल राजनीतिक और आर्थिक कारणों से नहीं बल्कि उसका मूल कारण व आधार धर्म था।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. के अनुसार समाज के ग़रीब वंचित वर्ग पर ध्यान, अल्लाह के अधिकारों पर ध्यान है। स्वर्गीय इमाम फ़रमाते हैं कि इस्लाम ने कहा है कि हमारा ध्यान ग़रीबों पर होना चाहिये, ग़रीबों व वंचितों के लिए प्रयास किया जाना चाहिये, इमाम के कथनानुसार इस्लाम भी ग़रीबों व वंचितों से आरंभ हुआ है।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. कहते हैं कि विभिन्न वर्गों को ग़रीब व निर्धन वर्गों पर ज़ुल्म नहीं करना चाहिये, ग़रीबों और ज़रूरतमंद लोगों के अधिकारों को दिया जाना चाहिये। स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. की नज़र में इस्लामी गणतंत्र में राष्ट्र को न्याय करना चाहिये और ग़रीबों व वंचितों पर ज़ुल्म के मुक़ाबले में खड़ा व डट जाना चाहिये।

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. कहते हैं कि ग़रीबी उन्मूलन यानी ग़रीबी व निर्धनता को मिटाना व ख़त्म करना हमारी परम्परा है। इमाम की नज़र में अगर वास्तव में कोई अमेरिकी ज़ुल्म से मुक़ाबला करना चाहता है तो उसे चाहिये कि वह निर्धनता को ख़त्म करने के लिए प्रयास करे। mm

स्रोतः न्याय के संबंध में "मसीर" में इमाम ख़ुमैनी रह. के विचारों की समीक्षा की गयी। 1399. इमाम ख़ुमैनी रह. की नज़र में अदालत के संबंध में मेहर न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट. "मसीर" टीवी कार्यक्रम का 38वां भाग।

कीवर्ड्सः इमाम ख़ुमैनी रह. कौन हैं? इस्लाम में ग़रीबी व निर्धनता, ग़रीबों पर इस्लाम की नज़र, इमाम ख़ुमैनी का धार्मिक दृष्टिकोण, इमाम ख़ुमैनी का राजनीतिक दृष्टिकोण

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें। 

टैग्स